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जेल में कैदियों को नहीं मिल रही न्यूनतम मजदूरी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। जेल में कैदियों से तरह-तरह के काम तो लिए जाते हैं, लेकिन इन्हें सरकार द्वारा तय न्यूनतम मजदूरी नहीं मिलती। न्यूनतम मजदूरी के आसपास का मेहनताना भी इन्हें नहीं मिलता। जेल में काम करने वाले कैदियों को कुशल, अर्धकुशल, अकुशल व कुशल खुली वसाहत में वर्गीकृत किया गया है। काम करने वाले कुशल कैदी को 61, अर्धकुशल को 55, अकुशल को 44 व कुशल खुली वसाहत को 77 रुपए प्रतिदिन मेहनताना मिलने का खुलासा RTI में हुआ है। जेल की भाषा में इसे बंदी वेतन कहा जाता है। सेंट्रल जेल में तरह-तरह का माल तैयार किया जाता है। सेंट्रल जेल 14 महीने में 3 करोड़ 37 लाख से ज्यादा का उत्पादन कर चुका है।
सेंट्रल जेल ने 14 महीने में किया 3 करोड़ 37 लाख से ज्यादा का उत्पादन
सेंट्रल जेल में कैदियों से बढ़ई, बुनकरी, यंत्रमाग, सिलाई, लोहार, बेकरी, कार वाशिंग, कपड़े धुलाई जैसा काम लिया जाता है। साल 2017 में सभी कामों से जेल को 2 करोड़ 67 लाख 96 हजार से ज्यादा का उत्पादन हुआ। इसी तरह साल 2018 के पहले दो महीने में 69 लाख 52 हजार से ज्यादा उत्पादन कर चुका है। इस तरह केवल 14 महीने में ही 3 करोड़ 37 लाख 49 हजार 51 रुपए का उत्पादन कर चुका है।
3 साल में 10% बढ़ती है कैदियों की मजदूरी
कैदियों का मेहनताना हर तीन साल में 10 फीसदी बढ़ता है। 20 अगस्त 2017 को मेहनताने में 10 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। तीन साल पूरे होने के बाद गृह विभाग के आदेश पर बंदी वेतन बढ़ेगा। सेंट्रल जेल में 2,208 कैदी सेंट्रल जेल में कुल 2,208 कैदी है, जिनमें 63 महिला कैदी है। इसमें भी 9 विदेेशी कैदी है। जेल के अंदर बड़ा गोल में 1,107, छोटी गोल में 700, आदान में 227, अस्पताल में 57, अंडा सेल में 20, पाकगृह में 34 व इसके अलावा 63 महिला कैदी है। विदेशी कैदियों में 3 छोटी गोल में, 1 अस्पताल में व 5 महिलाएं हैं।
Created On :   27 May 2018 3:21 PM IST