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सिर्फ 7/12 में नाम होने से नहीं बना सकते आरोपीः हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क, मुंबई। सिर्फ जमीन से जुड़े रिकार्ड 7/12 में नाम होने के आधार पर दर्ज की गई एफआईआर व आरोपपत्र को रद्द करते हुए बांबे हाईकोर्ट ने एक युवक को राहत प्रदान की है। दरअसल नहर से जोडकर अवैध नाली बनाने के लिए सिंचाई विभाग के अधिकारी ने पुणे के वालचंद नगर पुलिस स्टेशन में 54 किसानों के खिलाफ साल 2015 में एफआईआर दर्ज कराई थी। जिसमे आरोपी के रुप में शंकर खाडे नाम के युवक का नाम भी शामिल था। खाडे ने हाईकोर्ट में दायर याचिका में दावा किया था जब सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने नहर से जोड़कर बनाई गई अवैध नालियो के खिलाफ कार्रवाई गई थी वह उस वक्त घटना स्थल पर नहीं था। एलएलबी की पढाई पूरा करने के बाद मैं महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग द्वारा ली जानेवाली परीक्षा के लिए पुणे में देवेंद्र स्टडी सेंटर में साल 2015 से 2016 तक पढाई कर रहा था। इस बीच मैंने पुलिस उपनिरीक्षक पद के लिए ली गई परीक्षा दी थी। इस परीक्षा में मैं पास हो गया हूं और मेरा इस पद के लिए जरुरी प्रशिक्षण के लिए चयन भी हो गया है। याचिका में खाडे ने दावा किया था कि उसके बडे भाई पूर्वजों की जमीन पर खेती करते हैं। चूंकी जमीन पर से जुड़े रिकार्ड 7/12 में मेरा भी नाम है। इसलिए मुझे भी इस प्रकरण में आरोपी बना दिया गया है।
नहर से अवैध नाली बनाने के मामले में 54 किसानों के खिलाफ दर्ज हुई थी एफआईआर
मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति आरवी मोरे व न्यायमूर्ति एनजे जमादार की खंडपीठ ने पाया कि जब सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने कार्रवाई की थी उस समय याचिकाकर्ता वहां पर नहीं था। इसके अलावा अभियोजन पक्ष ने ऐसा कोई सबूत नहीं पेश किया है कि जो यह दर्शाए कि याचिकाकर्ता ने अवैध रुप से नाली बनाकर नहर का पानी मोड़ने की कोशिश की है। याचिकाकर्ता के खिलाफ सिर्फ इसलिए मामला दर्ज किया गया है क्योंकि उसका उस जमीन के 7/12 रिकार्ड पर नाम है, जहां पर नाली बनी है। खंडपीठ ने कहा कि अब याचिकाकर्ता का पुलिस उपनिरीक्षक के रुप में चयन भी हो गया है। इसलिए हम उसके खिलाफ इंदापुर की मैजिस्ट्रे कोर्ट में दायर किए गए आरोपपत्र को रद्द करते हैं। खंडपीठ ने साफ किया कि हमने सिर्फ याचिकाकर्ता के खिलाफ मामला रद्द किया है अन्य आरोपियों के खिलाफ नहीं।
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ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।