आचार्य विद्यासागर महाराज ने कहा- चींटी का ज्ञान भी स्वीकारने योग्य

Acharya Vidyasagar Maharaj said- Knowledge of ant is also acceptable
आचार्य विद्यासागर महाराज ने कहा- चींटी का ज्ञान भी स्वीकारने योग्य
धर्म ज्ञान आचार्य विद्यासागर महाराज ने कहा- चींटी का ज्ञान भी स्वीकारने योग्य

डिजिटल डेस्क, वाशिम। कर्म दिखाई तो नहीं देता लेकिन उसका प्रभाव लगातार समय-समय पर महसूस होता है । कर्म अपना प्रभाव दिखाए बिना नहीं रहता । जिस प्रकार चींटी रास्ते पर चलते समय दीवार का सहारा लेकर एक कतार में नियमानुसार चलती रहती है, उसका यह ज्ञान अनुकरणीय है । कतार से बाहर होने के बाद यदि उस स्थान पर ठंड़ी अथवा अन्य बातें उसके ध्यान में आने पर वह तत्काल अपना मार्ग बदलती है । उसकी बौध्दिक क्षमता भले ही छोटी हो लेकिन वह उसका सदुपयोग करती है । मात्र इसके विपरित अनुष्य अपने मानवी स्वभावानुसार निरंतर गलतियां करता है । इस कारण प्रतिदिन दुर्घटना घटती रहती है । नियमाें काे भंग करते हुए मनुष्य के सड़कों पर तेज़ी से दौड़ने के कारण उसके प्राण खतरे में पड़ते है । चिंटी दीवार पर चढ़ते समय अनेक मर्तबा नीचे आती है और पुन: उपर चढ़ती है । इस प्रकार अंत तक प्रयास करने के बाद आखिर वह अपने लक्ष्य तक पहुंच ही जाती है । चिंटी का यह ज्ञान स्वीकारने योग्य होने का प्रतिपादन युगश्रेष्ठ संत शिरोमनी आचार्य विद्यासागरजी महाराज ने किया । शिरपुर में चातुर्मास के चलते आयोजित कार्यक्रम में भक्ताें को मार्गदर्शन करते हुए वे सम्बोधित कर रहे थे । इस अवसर पर निर्यापक श्रमनमुनीश्री प्रसादसागरजी महाराज, मुनीश्री चंद्रप्रभसागरजी महाराज, मुनीश्री निरामयसागरजी महाराज, ऐलकश्री सिध्दांतसागरजी महाराज मंच पर उपस्थित थे । आचार्य विद्यासागर महाराज ने भक्ताें को विविध दाखले देते हुए मार्गदर्शन किया । प्रवचन में भक्तगण बड़ी तादाद में उपस्थित थे । तरूण क्रांती मंच व भारतीय जैन संगठन के अध्यक्ष निलेश सोमाणी, वाशिम अर्बन बैंक के शाखा सभापति नितीन करवा, समिति सदस्य आसाराम जायभाये, समाजसेवी पवन मंत्री ने श्रीपल अर्पित कर आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज के दर्शन लिए ।

चातुर्मास महोत्सव के कारण शिरपुर जैन को आया यात्रा का स्वरुप

भारत के अन्य राज्याें से ही नहीं तो संपूर्ण विश्व से जैन समुदाय के श्रध्दालु जैन संत शिरोमणी तीर्थरक्षक 108 आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज, सहसंघ निर्यापक मुनिश्री 108 प्रसादसागरजी महाराज, मुनीश्री 108 चंद्रप्रभसागर जी महाराज, मुनीश्री 108 निरामयसागरजी महाराज, एलक श्री 105 सिद्धांतसागरजी महाराज त्यागी तपस्वी मुनीश्री के दर्शन हेतु शिरपुर जैन आ रहे है । यहां आनेवाले सभी नागरिकों की व्यवस्थापन कमिटी की ओर से उत्तम व्यवस्था की जा रही है और प्रत्येक स्थान पर नि:स्वार्थ भावना से सेवा देनेवाले सेवेकरी है । प्रत्येक का स्वच्छ जल, उत्तम भोजन और उत्तम व्यवस्थापन शिरपुर नगरी में देखने को मिलता है । इसी प्रकार इतिहासकालीन शिरपुर नगरी, शिरपुर जैन नाम से प्रसिद्ध थी । 

वर्तमान समय में जैनों की काशी सही मायनों में शिरपुर जैन के रुप में प्रसार होने की प्रचिति देखने में आती है । सोमवार से शनिवार रत्नकरण श्रावक की अमृतवाणी और रविवार को विश्वभर के सभी गुरु भक्ताें को दर्शन तथा प्रवचन का अलभ्य लाभ प्राप्त हो रहा है । स्वदेशी खादी का उपयोग तथा लड़कियों की शिक्षा और संस्कार जैसे ऐतिहासिक कार्य आचार्यश्री के आशिर्वाछ से शिरपुर नगरी में होंगे । इस कार्यों की बुनियाद रखी जा चुकी है और आनेवाले कुछ समय मंे ही शिरपुर जैन नगरी का नाम विश्वभर में प्रचार हुआ है । जैन समुदाय के अलावा अन्य समाज के नागरिकों ने भी आचार्य श्रीं के दर्शन लेने के बाद मद्यपान व मांसाहार का आजीवन त्याग किया, यह जानकारी चतुर्मास समिति के प्रचार सचिव प्राचार्य प्रशांत गडेकर की ओर से प्राप्त हुई है ।

 

Created On :   28 July 2022 6:58 PM IST

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