सरकारी कर्मचारी के गलत कार्य के लिए भी नहीं की जा सकती है कार्रवाई - ये धारणा गलत

डिजिटल डेस्क, मुंबई। सरकारी कर्मचारी के गलत काम के लिए कार्रवाई नहीं की जा सकती है फिर भले ही वह लगातार गलत काम करता रहे। भारत देश में जमे इस विश्वास को शीघ्रता से खत्म करने की जरुरत है। बांबे हाईकोर्ट ने यह बात महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन महामंडल (एसटी) के एक कंडक्टर को नौकरी से निकाले जाने के खिलाफ की गई अपील को खारिज करते हुए कही है। पुणे से बोरीवली रुट पर कार्यरत कंडक्टर जे.एन सोनवणे को बस के टिकट काटने में गड़बड़ी के आरोपों के बाद 1995 में एसटी ने नौकरी से निकाल दिया था। क्योंकि जांच दल ने सोनवणे के पास जांच के दौरान 24 रुपए 90 पैसे अधिक पाए थे। जिसका “वे बिल” में जिक्र नहीं था। एसटी की कार्रवाई के खिलाफ सोनवणे ने औद्योगिक न्यायालय में आवेदन दायर किया था। वहां से कोई राहत नहीं मिली तो सोनवणे ने हाईकोर्ट में अपील की। हाईकोर्ट के एकल न्यायमूर्ति ने भी सोनवणे के खिलाफ फैसला सुनाया। जिसे फिर सोनवणे ने हाईकोर्ट में चुनौती दी।
न्यायमूर्ति गौतम पटेल व न्यायमूर्ति गौरी गोडसे की खंडपीठ के सामने सोनवणे की अपील पर सुनवाई हुई। इस दौरान सोनवणे के वकील ने कहा कि मेरे मुवक्किल के खिलाफ एसटी को नरम रुख अपनना चाहिए था। नौकरी से निकालकर मेरे मुवक्किल को कड़ा दंड दिया गया है। किंतु खंडपीठ ने मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद पाया कि सोनावणे ने अतीत में भी कई गड़बड़िया की थी। फिर भी उसे मौके दिए गए थे। ऐसे में इस मामले में एकल न्यायमूर्ति का फैसला सही है। खंडपीठ ने कहा कि इस देश में एक विश्वास बन गया है कि सरकारी कर्मचारी भले लगातार गलती करे लेकिन उसके खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा सकती है। इस नजरिए को जल्द से जल्द खत्म करने की जरुरत है। खंडपीठ ने कहा कि हम याचिकाकर्ता पर कोई जुर्माना नहीं लगा रहे हैं। यही हमारा मामले को लेकर नरम रुख है। इस तरह खंडपीठ ने सोनवणे की अपील को खारिज कर दिया।
Created On :   26 July 2022 9:00 PM IST