अडानी प्रबंधन का प्रपोजल प्रभावित किसानों को नामंजूर, अपनी मांगों पर अड़े

Adani managements proposal rejected by the affected farmers, adamant on their demands
अडानी प्रबंधन का प्रपोजल प्रभावित किसानों को नामंजूर, अपनी मांगों पर अड़े
अडानी प्रबंधन का प्रपोजल प्रभावित किसानों को नामंजूर, अपनी मांगों पर अड़े

प्रबंधन अभी अस्थाई तौर पर साइट मेंटेनेंस के तहत काम देने को तैयार, प्रभावित ग्रामीण स्थाई रोजगार की मांग रहे
डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा।
थर्मल पावर प्लांट के लिए जमीन देने वाले किसानों और अडानी प्रबंधन के बीच मंगलवार को हुई दूसरी बैठक में समझौता नहीं हो सका। वजह अडानी प्रबंधन का प्रपोजल प्रभावित किसानों को रास नहीं आया। प्रबंधन ने अभी कुछ ही लोगों को रोजगार देने का प्रपोजल रखा है,  वह भी साइट मेंटेनेंस का है, प्लांट चालू होने पर पढ़े लिखों को जॉब देने का आश्वासन दिया गया। वहीं प्रभावित किसानों का कहना है कि जमीन लेते वक्त दिए गए आश्वासन के मुताबिक एक परिवार के एक सदस्य को नौकरी दी जाए। शिक्षित बेरोजगार को प्लांट में और अशिक्षितों को कुशल, अद्र्धकुशल श्रमिक का रेग्यूलर काम दिया जाए। पॉवर प्लांट के लिए प्रस्तावित स्थल चौसरा में करीब ढाई घंटा चली, जो बेनतीजा रही। बैठक में अडानी कंपनी के भोपाल से आए महाप्रबंधक देवेंद्र बांठिया और प्रभावित 5 गांवों के 15 किसान शामिल हुए। शेष प्रभावित किसान कैंपस के गेट पर ही खड़े रहे।
प्रभावितों की ओर से 300 से ज्यादा बेरोजगारों की सूची:
पावर प्लांट के लिए चौसरा, हिवरखेड़ी, डागावानी पिपरिया, धनौरा और थांवरीटेका के 172 किसानों से करीब 285 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित की गई थी। मंगलवार को हुई बैठक में प्रभावित किसानों की ओर से 5 गांवों के 300 से ज्यादा बेरोजगारों के नामों की सूची दी गई। इसमें शिक्षित व अन्य बेरोजगार शामिल किए गए। 8 जून को चौरई एसडीएम कार्यालय में हुई त्रिपक्षीय बैठक में कंपनी द्वारा रोजगार देने रोडमेप तैयार करने और किसानों से बेरोजगारों की सूची देने पर बात खत्म हुई थी।
किसानों का कहना- जमीन बखरें हैं, तो फसल भी लगाएंगे:
किसानों 6 जून को अधिग्रहित जमीन पर हल व टै्रक्टर से बखरनी शुरू कर दी थी। इसके बाद एसडीएम ने दलबल के साथ पहुंचकर समझाइश दी थी। समझाइश के बाद कंपनी प्रबंधन की मौजूदगी में 8 जून की बैठक हुई। मंगलवार को हुई बैठक में समझौता नहीं होने के बाद किसान उक्त जमीन पर फसल लगाने की बात कह रहे हैं। बैठक में शामिल रहे प्रभावित किसान नन्हेंलाल चंद्रवंशी, गयाप्रयाद वर्मा, साकेत जैन, अनूप चंद्रवंशी और हरिप्रसाद वर्मा का कहना है कि एग्रीमेंट के अनुसार नौकरी मिले नहीं तो उक्त जमीन पर खेती करने की अनुमति दें।
11 साल से अडानी के कब्जे में है जमीन:
वर्ष 1982 से 84 के बीच तत्कालीन सरकार ने चौसरा गांव में 500 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता का थर्मल पॉवर प्लांट स्थापित करने की तैयारियां की थीं। 5 गांवों की 285 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया गया था। वर्ष 1984 में मप्र विद्युत मंडल ने यहां पॉवर प्लांट के तहत साइट ऑफिस, कॉलोनी, गेस्ट हाउस और हेलीपेड का निर्माण भी करा लिया था। वर्ष 2010 में मेसर्स अदानी पॉवर लिमिटेड को जमीन हस्तांतरित की गई। अदानी ने आते ही आवंटित जमीन को बाउंड्रीवाल से कवर किया, पुराने निर्माण को दुरूस्त कराया, लेकिन प्लांट का काम शुरू नहीं हो सका।

Created On :   16 Jun 2021 6:06 PM IST

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