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महाराष्ट्र विधानसभा सत्र: सिंचाई घोटाले से बैकफुट, पर आदर्श राहत ने उबारा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। योगेश चिवंडे। अधिवेशन से पहले आक्रामक रवैया अपनाने वाला विपक्ष हल्लाबोल मोर्चा के बाद अचानक शांत हो गया। हल्लाबोल मोर्चा की शाम सिंचाई विभाग के चार बड़े अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद विपक्ष खासकर एनसीपी नेताओं का रुख बदला-बदला दिखा। विधानसभा में किसान कर्जमाफी और बोंडअड़ी को लेकर तीखा रवैया अपनाने वाला विपक्ष, दूसरे सप्ताह पूरी तरह शांत रहा। अधिवेशन के अंतिम दिन उसके रुख में थोड़ी आक्रामकता देखी गई। वजह, आदर्श स्कैम में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण को मिली क्लीनचिट। इसने कांग्रेस सहित एनसीपीनेताओं का मनोबल बढ़ाने में कुछ मदद की।
कांग्रेस और एनसीपीमें ज्यादा तालमेल
कर्जमाफी, बोंडअड़ी से कपास, सोयाबीन को नुकसान, मुन्ना यादव, विविध विभागों के घोटाले को विपक्ष ने अपने एजेंडे में प्रमुखता से रखा था। मुद्दे भी अनेक थे। अधिवेशन की पूर्व संध्या सहित हल्लाबोल मोर्चा होने तक इसे लेकर विपक्ष का रुख तीखा था। पिछले अधिवेशन की अपेक्षा इस अधिवेशन में कांग्रेस और एनसीपीमें ज्यादा तालमेल दिखा। विपक्ष के इस बार अधिक हमलावर होने के संकेत मिल रहे थे। शुरुआती दो दिन में इसका अहसास भी हुआ, लेकिन सिंचाई विभाग के अधिकारियों पर मामले दर्ज होने के बाद अचानक सांप सूंघ गया।
2-जी घोटाला और आदर्श में मिली क्लीनचिट
अधिवेशन समाप्ति से ठीक पहले 2-जी घोटाला और उसके बाद आदर्श घोटाले में मिली क्लीनचिट ने उस आक्रामकता को फिर लौटाने का काम किया, जिसका असर अंतिम दिन दिखा। हालांकि इसे वापसी की औपचारिकता भी माना जा रहा है। कामकाज की दृष्टि से दूसरे सप्ताह विधानपरिषद में भरपूर काम हुआ। सुबह से रात तक कामकाज चला। अधिवेशन में नागपुर शिक्षण विभाग भी चर्चा में रहा। 2012 में पदभर्ती पर लगी पाबंदी के बावजूद शिक्षकों की भर्ती की गई। इस मामले में तत्कालीन शिक्षणाधिकारी महेश करजगांवकर सहित अनेक अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठे।
शिक्षण विभाग में बड़ा रैकेट सक्रिय
शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े को भी मानना पड़ा कि शिक्षण विभाग में बड़ा रैकेट सक्रिय है। हालांकि अधिवेशन खत्म होने से पहले कार्रवाई का भरोसा दिलाने वाले शिक्षा मंत्री अधिवेशन खत्म होने के बाद भी नहीं बता पाए कि क्या कार्रवाई हुई। शिक्षण विभाग की पोल खोलने में विधायक नागो गाणार अधिक सक्रिय दिखे। विधेयक पारित करवाने में सरकार गंभीर दिखी। जितने विधेयक रुके थे, उन सभी को अंतिम दिन अल्प समय में पारित करवाया गया। अंतिम दिन रात तक काम चलते रहा। विपक्ष ने भी आक्रामकता की औपचारिकता दिखाकर अंतिम दिन विदाई ली।
Created On :   24 Dec 2017 6:07 PM IST