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सीएम ने कहा- नेताओं में आक्रामकता के साथ संयम भी जरूरी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि सार्वजनिक जीवन में कार्य करनेवालों को अपने कार्यों के परिणाम का भी ध्यान रखना चाहिए। जनप्रतिनिधियों के लिए आक्रामकता के साथ ही संयम की आवश्यकता है। नामांतर आंदोलन के माध्यम से युवाओं में संघर्ष का नया उत्साह जगानेवाले प्रा. जोगेंद्र कवाड़े से आक्रामकता के साथ संयम बरतने की राजनीति सीखी जा सकती है। शनिवार को पीरिपा नेता व विधान परिषद सदस्य कवाड़े का अमृत महोत्सव मनाया गया। देशपांडे सभागृह में आयोजित समारोह की अध्यक्षता पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने की।
मुख्यमंत्री फडणवीस के हाथों प्रा. कवाड़े का सत्कार किया गया। इसी अवसर पर मुख्यमंत्री बोल रहे थे। उन्होंने प्रा. कवाड़े के व्यक्तित्व की सराहना करते हुए कहा कि विचारों व मुद्दों को लेकर सभी को संघर्षशील रहना चाहिए। प्रा. कवाड़े विविध मामलों मेें साहसी निर्णय लेते रहे हैं। खैरलांजी प्रकरण के समय भी उन्होंने विधान परिषद की सदस्यता से इस्तीफा देने का साहसी निर्णय लिया था। सत कार्य के लिए सत्कार किया जाता है। संपन्नता पैसों से नहीं जनसमर्थन से आंकी जाती है।
राजनीति में विरोधक हो सकते हैं, पर शत्रु नहीं
सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि विचारों का जुनून दिमाग में हाे तो व्यक्ति आंदोलन के लिए जल उठता है। विचारों के संघर्ष से ही समाज आगे बढ़ सकता है। दलित अांदोलन के लिए नए सिरे से सोचने की आवश्यकता है। सभी जाति को साथ लेकर चलने की प्रक्रिया शुरू होगी, तो ही दलितों के बीच की अस्पृश्यता दूर हो सकती है। प्रा. कवाड़े ने कहा कि राजनीति में विरोधक हो सकते हैं, पर शत्रु नहीं। नागपुर की संस्कृति है कि यहां चुनाव के बाद सभी दलों के जनप्रतिनिधि मित्रवत रहते हैं।
नागपुर की संस्कृति देश स्वीकारे, तो देश में शत्रु से अधिक मित्र मिलेंगे। पूर्व मंत्री अनिल देशमुख ने भी संबोधित किया। पूर्व मंत्री नितीन राऊत ने कार्यक्रम की प्रस्तावना रखी। प्रा. कवाड़े की पत्नी रंजना कवाड़े, सामाजिक न्याय मंत्री राजकुमार बडोले, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की सदस्य सुलेखा कुंभारे, पूर्व महापौर अटलबहादुर सिंह, गिरीश गांधी, इ.मो नारनवरे, विधान परिषद सदस्य प्रकाश गजभिये, पूर्व विधायक यादवराव देवगडे समेत अन्य जनप्रतिनिधि उपस्थित थे।
कवाड़े ने व्यक्त की व्यथा
प्रा. कवाड़े ने सत्कार का जवाब देते हुए कहा कि वे नागपुर के सर्वदलीय नेताओं के प्रेम के प्रति कृतज्ञ तो हैं, लेकिन देश में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। अटलबिहारी वाजपेयी सज्जन प्रधानमंत्री थे। वे मुख्यमंत्री को राष्ट्रधर्म निभाने की नसीहत देने से भी नहीं चूकते थे। छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता है, टूटे मन से कोई खड़ा नहीं होता है। भीमा काेरेगांव मामले में जो भी हो रहा है वह ठीक नहीं है। संभाजी भिड़े को गिरफ्तार नहीं किया गया है। मुख्यमंत्री ने ही कहा था कि प्रकरण की न्यायालयीन जांच होगी। जांच रिपोर्ट आने के पहले ही समाचार पत्रों में खबरें आ रही है कि भिड़े को सरकार ने क्लीन चिट दे दी है।
Created On :   6 May 2018 4:04 PM IST