जमीन के नीचे खनिज सम्पदा की खोज कर रहा है अधुनिक तकनीक से लैस एयरक्राफ्ट

Aircraft equipped with modern technology is searching for mineral wealth under the ground
जमीन के नीचे खनिज सम्पदा की खोज कर रहा है अधुनिक तकनीक से लैस एयरक्राफ्ट
चंद्रपुर में जारी अभियान जमीन के नीचे खनिज सम्पदा की खोज कर रहा है अधुनिक तकनीक से लैस एयरक्राफ्ट

डिजिटल डेस्क, संतोष यादव, चंद्रपुर। तस्वीर में नजर आ रहा दल भूगर्भ में दबे खनिजों की खोज कर रहा है। गुड़गांव की कंपनी पैन इंडिया कन्सल्टंट और कैनडा की सेंडर जियोफिजिक्स कंपनी का संयुक्त दल इसकी रिपोर्ट तैयार करेगा, जो रिपोर्ट मिनिस्ट्री ऑफ माइंंस को सौंप दी जाएगी। राज्य में खनिज सम्पदा का विशाल भंडार है, भूगर्भीय खोज कर उन इलाकों को चिन्हित किया जा रहा है, यहां जमीन के नीचे से खनिज का भंडार जुटाया जा सकता है, खास तरह की तकनीक से लैस एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल हो रहा है। जिसके बाद अब जिले का महत्व और बढ़ गया है। 

कनाडा की संस्था सेंडर जियोफिजिक्स के अधिकारी एडम जोंस ने बताया कि महाराष्ट्र के साथ चारों राज्य में 11,000 वर्ग किलोमीटर के धरातल में कौन कौन से खनिज दबे हैं, इसकी जानकारी एयरक्राफ्ट में लगी तकनीक से मिल सकेगी।

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इस संयुक्त दल ने महाराष्ट्र सहित चार पड़ोसी राज्यों में खनिजों की खोज शुरू कर दी है। इसके लिए मोरवा हवाई पट्टी से ग्रैंड करवान 208 बी ने 5 दिसंबर को खोजी दल के साथ उड़ान भरी थी। बतौर पूजन के बाद यह काम शुरु किया गया था। इसमें दो पायलटों के अलावा खोजी दल के सदस्य शामिल हैं। इनमें पैन इंडिया कन्सल्टंट कंपनी के तुषार गुप्ता, अजय सिंह और सेंडर जियोलिजिक्स कैनडा के एडम जोंस, विमान पट्टी इंचार्ज जीतेंद्र केदार पवार और सुपरवाइजर दीक्षांत कांबले सहित मिनिस्ट्री ऑफ माइंस के 5 अधिकारी शामिल हैं, जो 180 दिन में तैयार होने वाली रिपोर्ट मिनिस्ट्री ऑफ माइंस को सौंपेंगे।

खास बात हा कि इलाके में खनिज संपदा का अध्ययन पहले ही हो गया था। वर्ष 2013-14-15 में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग ने बल्लारपुर तहसील के बामनी और सिंदेवाही तहसील के मिनझरी ब्लॉक में खोज की थी। जिसकी रिपोर्ट नवंबर 2017 में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग मध्य क्षेत्र नागपुर ने केंद्रीय खनन मंत्रालय को सौंपी थी। इसके मद्देनजर मिनस्ट्री ऑफ माइंस ने भूगर्भीय खोज का जिम्मा संयुक्त दल को सौंप दिया।

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मोरवा विमान तल से 11,000 वर्ग किलोमीटर में जमीन के नीचे दबे खनिजों की तलाश एयरक्राफ्ट में लगे सेंसर और मैग्नेटिक स्पेक्टोमीटर के इस्तेमाल से हो रही है। 

केंद्रीय खनन मंत्रालय महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश और छत्तीसगढ़ में खनिजों की जानकारी जुटा रहा है, यह काम इतना आसान नहीं, विदेशी तकनीक की मदद से इलाकों को चिन्हित किया जा रहा है। इसकी एक रिपोर्ट जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया को भी भेजी जा रही है। 

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वैसे देखा जाए तो भारत में लौह-अयस्क का भी बहुत विशाल भंडार है । भारत लोहा के अलावा मैंगनीज, क्रोमाईट, टाइटेनियम, मैग्नासाईट, केनाईट, सिलिमनाईट, परमाणु-खजिनों अभ्रक और बाक्साइट के मामले में न केवल आत्मनिर्भर है, देश बड़ी मात्रा में इनका निर्यात भी करता है ।

 

 

 

 

Created On :   14 Dec 2022 10:03 PM IST

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