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अकोला के भाजपा विधायक शर्मा को सुप्रीम कोर्ट से लगा झटका
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अकोला पश्चिम से भाजपा विधायक गोवर्धन मांगीलाल शर्मा को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। शीर्ष अदालत ने महाराष्ट्र सरकार और अकोला महानगर पालिका को भी राहत देते हुए विधायक शर्मा की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें शर्मा ने महाविकास आघाडी सरकार पर अकोला शहर के विकास कार्य के लिए जारी निधि के दुरुपयोग का आरोप लगाया था। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ के समक्ष शुक्रवार को मामले पर सुनवाई हुई। मामले में अकोला महानगर पालिका की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सुहास कदम ने कैविएट दायर की थी। पक्षकार के रूप में अधिवक्ता कदम ने दलील रखते हुए कोर्ट को बताया कि अकोला महापालिका की ओर से तय कामों के लिए अगले दो दिन के भीतर टेंडर निकालने की प्रक्रिया शुरु की जाएगी। इसमें कोर्ट की ओर से कोई हस्तक्षेप किया जाता है तो विकास कामों में देरी हो सकती है। पीठ ने दलील को सुनने के बाद कहा कि वे महाविकास आघाडी सरकार द्वारा विकास कार्यों से संबंधित अध्यादेश में हस्तक्षेप नहीं करेंगे।
यह है मामला
दरअसल, महाराष्ट्र सरकार ने 12 दिसंबर 2017 को एक अध्यादेश जारी करके तय किया था कि अकोला शहर के विकास कार्य के लिए राज्य सरकार और महानगर पालिका 50-50 प्रतिशत खर्च वहन करेंगे। इस फैसले के आधार पर तत्कालीन राज्य सरकार ने अकोला के कुल 91 विकास कार्यों के लिए करीब 15 करोड़ रुपए मंजूर किए थे। लेकिन फिर 22 सिंतबर 2019 को विधानसभा चुनाव घोषित हुए, जिसके चलते विकास कार्य स्थगित कर दिए गए। इसके बाद राज्य में सत्ता में महाविकास आघाडी सरकार आई और उसने 16 जुलाई 2020 को एक नया अध्यादेश जारी करके अकोला शहर के लिए पूर्व निर्धारित 91 विकास कार्यों की सूची में और 176 नए कार्यों की सूची जारी की। इस नए अध्यादेश को शर्मा ने हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में यह कहते हुए चुनौती दी थी कि सरकार ने उनके द्वारा सूचित किए गए 91 कार्यों को रद्द कर उक्त निधि अन्य कार्यों के लिए देने हेतु नया मंजूरी आदेश दिया है। उन्होंने दावा किया था कि उनके बड़े प्रयासों से अकोला शहर के लिए विकास कार्य मंजूर किए थे, जिसे ठाकरे सरकार ने बगैर किसी कारण के रद्द कर दिया।
नागपुर खंडपीठ ने विधायक की यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि सरकार का यह नीतिगत फैसला है। अकोला शहर के लिए विकास कार्यों पर इस अध्यादेश का कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं दिखता और सूची में नए कार्यों को जोड़ने से शहर में और अधिक ढांचागत कार्य और सुविधाएं उपलब्ध होंगी। शर्मा द्वारा इस आदेश को चुनौती देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आज उनकी याचिका खारिज कर दी और नागपुर खंडपीठ के आदेश को बरकरार रखा।
Created On :   20 May 2022 6:38 PM IST