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अब सर्बिया में गोल्डन पंच लगाएंगी नागपुर की अल्फिया, हासिल किया स्वर्ण पदक

डिजिटल डेस्क, नागपुर। उपराजधानी की उदीयमान मुक्केबाज अल्फिया खान पठान ओलिंपिक में देश का प्रतिनिधित्व करने का सपना लिए कड़ी मेहनत कर रही है। खेल इंडिया की स्वर्ण पदक विजेता को जोरदार मुक्कों की बरसात के बीच हालांकि लंबा सफर तय करना है, लेकिन फिलहाल वह सर्बिया में होने वाली गोल्डन ग्लोब स्पर्धा में स्वर्णिम पंच लगाने की तैयारी कर रही हैं। हाल ही में कजाकिस्तान से लौटीं अल्फिया सर्बिया में होने वाली स्पर्धा को लेकर बेहद उत्साहित है। स्पर्धा में भाग ले रही टीम में चुने जाने के बाद अपनी प्रतिक्रिया देते हुए अल्फिया ने कहा कि अभी तो शुरुआत भर है, लेकिन मेरा एकमात्र लक्ष्य देश के लिए अोलिंपिक में खेलना है।
महज 15 वर्ष की अल्फिया शारीरिक रूप से बेहद मजबूत होने के कारण उनमें मुक्केबाजी में शिखर पर पहुंचने की सारी संभावनाएं है। जब जरूरत है सही प्रशिक्षण और मार्गदर्शन की। खेलो इंडिया में स्वर्ण पदक जीतने के बाद अल्फिया को कजाकिस्तान भेजा गया, जहां उन्होंने कड़ी ट्रेनिंग की। वहां मिले अनुभव को लेकर उन्होंने कहा कि मुक्केबाजी में ताकत और तकनीक का समान रूप से उपयोग होता है। कजाकिस्तान में मुझे तकनीक सुधारने का अवसर मिला।
अपने बड़े भाई साकिब पठान की देखा-देखी मुक्केबाजी में आई अल्फिया गोल्डन ग्लोब स्पर्धा के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं। कोच अरुण बुटे के मार्गदर्शन में रोजाना पांच घंटे की ट्रेनिंग कर रही अल्फिया हरियाणा के रोहतक में 18 जुलाई से आयोजित राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर में हिस्सा लेंगी। अल्फिया सेंट विन्सेंट पलौटी की दसवीं कक्षा की छात्रा है, लेकिन उन्होंने पढ़ाई और खेल को तालमेल बैठाकर आगे बढ़ने की बात कही है। उनके पिता अकरम पठान सिटी पुलिस मुख्यालय में कार्यरत है और बेटी को हरसंभव मदद के लिए कटिबद्ध है।
राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में दो और राज्य स्तर पर पांच स्वर्ण पदक जीत चुकी इस युवा मुक्केबाज को विरोधी खिलाड़ी पर जोरदार मुक्के बरसाना पसंद है। अपने उल्टे हाथ को प्रमुखता से इस्तमाले करने वाली (साउथ पाव) इस खिलाड़ी के पहले कोच गणेश पुरोहित ने कहा कि जोरदार पंच ही अल्फिया की सबसे बड़ी ताकत है। अभी तक के सारे मुकाबलों में अल्फिया ने विरोधी खिलाड़ी पर तेज आक्रमण किया। उनके पंच में सही में जोरदार ताकत है।
अल्फिया महज 15 वर्ष की आयु होने के बाद भी 80 से अधिक वजन वर्ग में हिस्सा लेते है, लेकिन उनके काेच अरुण बुटे इसे उनके लिए प्लास प्वाइंट मानते हैं। उन्होंने कहा कि इस मुक्केबाज का वजन कम करना उनके लिए घातक होगा। अल्फिया पांच से दस किलो वजन कम करते हुए 70 किलो वजन वर्ग में खेल जरूर लेगी, लेकिन उससे उनकी बॉडी मूवमेंट में इजाफा नहीं होगा। इसके विपरीत 80 से अधिक वजन वर्ग में आमतौर में ऐसी खिलाड़ी रिंग में उतरती है, जो शारीरिक रूप से भारी-भरकम है और उनका बॉडी मूवमेंट भी कम होती है। ऐसी खिलाड़ियों को शिकस्त देने अल्फिया के लिए आसान है।
Created On :   13 July 2018 8:36 PM IST