ऑटिज्म बीमारी से पीड़ित बच्चों को मिलेंगी दिव्यांगों की तरह सभी सुविधाएं : मुद्गल

All the facilities will be available to autism divinities: Mudgal
ऑटिज्म बीमारी से पीड़ित बच्चों को मिलेंगी दिव्यांगों की तरह सभी सुविधाएं : मुद्गल
ऑटिज्म बीमारी से पीड़ित बच्चों को मिलेंगी दिव्यांगों की तरह सभी सुविधाएं : मुद्गल

डिजिटल डेस्क, नागपुर। राज्य में ऑटिज्म (स्वमग्नता) बच्चों को दिव्यांग प्रमाणपत्र नहीं मिलने के कारण उन्हें चिकित्सा व शैक्षणिक तथा अन्य योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा था। इन दिव्यांगों को उनका हक दिलाने व प्रमाणपत्र वितरित करने के लिए सरकारी मेडिकल कॉलेज राज्य का पहला केंद्र साबित हुआ है। इन्हें प्रमाणपत्र मिलने से अब इनका भविष्य व जीवन अधिक सुखकर होगा। यह विचार जिलाधिकारी अश्विन मुद्गल ने रखे। सरकारी मेडिकल कॉलेज के सभागृह में ऑटिज्म बीमारी से ग्रस्त बच्चों को नेशनल ट्रस्ट एक्ट के अनुसार स्वमग्न दिव्यांग के तौर पर मान्यता दी गई है। इसके लिए बोर्ड तैयार किया गया है। इस प्रकार के 40 दिव्यांगों को बुधवार को दिव्यांग प्रमाणपत्र जिलाधिकारी अश्विन मुद्गल के हाथों विशेष समारंभ में वितरित किए गए।

राहुल रमन नामक बच्चे को राज्य का पहला प्रमाणपत्र दिया गया। इस मौके पर मंच पर मेडिकल कॉलेज के अधिष्ठाता डा. अभिमन्यू निसवाडे, स्वास्थ्य अधीक्षक डा. राजेश गोसावी, मानसिक स्वास्थ्य विभाग प्रमुख डा. प्रशांत टिपले, सहयोगी प्राध्यापक डा. शिल्पा लांजेवार, जिला विकलांग व पुनर्वास केंद्र के अभिजीत राऊत, डा. मनीष ठाकरे आदि उपस्थित थे। दिव्यांगों के लिए उपलब्ध विविध योजनाएं व उनका लाभ दिलाने के लिए सभी विभागों में समन्वय रखकर प्राथमिकता देने की बात जिलाधिकारी अश्विन मुद्गल ने कही।

दिव्यांगों को रेलवे का भी प्रमाणपत्र दिया जाएगा। भविष्य में सम्मानपूर्ण जीवन व शैक्षणिक तथा स्वास्थ्य सुविधा के अलावा पुनर्वास योजनाओं में किसी भी प्रकार की दिक्कतें नहीं आएगी। इसके लिए प्रत्येक दिव्यांगों का प्रमाणपत्र व उनकी स्वास्थ्य जांच को प्राथमिकता दी जा रही है। सिकलसेलग्रस्त मरीजों को भी दिव्यांग प्रमाणपत्र देने की प्रक्रिया तत्काल शुरू करें, यह निर्देश जिलाधिकारी ने दिए। ऑटिज्म के दिव्यांग मरीजों को अन्य लोगों के साथ बर्ताव करने, संवाद तथा शब्दों के उच्चारण में दिक्कतें पेश आती है। इसलिए वे समाज से अलग-थलग पड़ जाते है।

विश्व में हर 160 व्यक्तियों में से एक ऑटिज्म का मरीज होता है। लेकिन इसके पूर्व इन्हें दिव्यांग के तौर पर मान्यता नहीं होने के कारण वे अनेक लाभ पूर्ण योजनाओं से उपेक्षित रहे। सरकारी मेडिकल कॉलेज में ऑटिज्म बोर्ड शुरू होने से इसका अनेक दिव्यांगों को लाभ मिलेगा। दिव्यांग प्रमाणपत्र वितरण के लिए सरकारी मेडिकल कॉलेज, जिला विकलांग पुनर्वास केंद्र व महानगर पालिका ने संयुक्त रूप से अभियान चलाया, इसमें जिले के 18000 विविध दिव्यांगों को प्रमाणपत्र बांटे गए। सूची में ऐसे 21 प्रकार के दिव्यांगों का समावेश किया गया है।

ऑटिज्म से ग्रस्त बच्चों को दिव्यांग प्रमाणपत्र देने के लिए सहकार्य किए जाने पर डा. मनीष ठाकरे, डा. संजय काकडे, डा. उर्मिला डहाके, डा. प्रशांत टिपले, डा. स्नेहल शंभरकर आदि उपस्थित थे। डॉ. राजेश गोसावी, डा. शिल्पा लांजेवार तथा अधिष्ठाता डा. अभिमन्यू निसवाडे का सत्कार जिलाधिकारी अश्विन मुद्गल ने किया। कार्यक्रम का संचालन अभिजीत राऊत ने तथा आभार डा. मनीष ठाकरे ने माना। इस मौके पर डा. सुधीर महाजन, डा. सजल मित्रा, डा. बनसोड, डा. दीप्ति जैन, डा. अशोक मधान, डा. नितनवरे आदि उपस्थित थे।


 

Created On :   22 Jun 2018 6:19 PM IST

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