वैकल्पिक व्यवस्था बेअसर, हेल्थ इंश्योरेंस के लिए अब उपभोक्ता आयोग का सहारा

Alternative system ineffective, now consumer commission support for health insurance
वैकल्पिक व्यवस्था बेअसर, हेल्थ इंश्योरेंस के लिए अब उपभोक्ता आयोग का सहारा
वैकल्पिक व्यवस्था बेअसर, हेल्थ इंश्योरेंस के लिए अब उपभोक्ता आयोग का सहारा

जिला उपभोक्ता आयोग में 15 दिन में दायर हुए 20 प्रकरण
डिजिटल डेस्क  जबलपुर ।
केन्द्र सरकार द्वारा हेल्थ इंश्योरेंस के विवादों के निराकरण के लिए बनाई गई आईआरडीएआई और बीमा लोकपाल की वैकल्पिक व्यवस्था बेअसर साबित हो रही है। इसकी मूल वजह आईआरडीएआई और बीमा लोकपाल द्वारा बीमाधारकों के पक्ष में आदेश तो पारित किए जा रहे हैं, लेकिन बीमा कंपनियाँ आदेशों का पालन नहीं कर रही हैं। यही वजह है कि बीमाधारक अब उपभोक्ता आयोग का सहारा ले रहे हैं। जिला उपभोक्ता आयोग जबलपुर में पिछले 15 दिन में हेल्थ इंश्योरेंस के 20 से अधिक प्रकरण दायर हो चुके हैं। केन्द्रीय वित्त मंत्रालय ने बीमाधारकों के हितों की रक्षा के लिए आईआरडीएआई और बीमा लोकपाल का गठन किया था, ताकि बीमाधारकों को अदालतों का दरवाजा नहीं खटखटाना पड़े। उन्हें आसान और सुलभ तरीके से न्याय मिल सके। कोरोना काल में जब बीमा कंपनियों ने छोटी-छोटी खामी निकालकर बीमा का भुगतान से इनकार करना शुरू किया तो कई लोगों ने आईआरडीएआई और बीमा लोकपाल की शरण ली, उन्हें वहाँ से राहत भी मिली, लेकिन बीमा कंपनियों ने राशि का भुगतान नहीं किया। अधिवक्ता राजेन्द्र गुप्ता का कहना है कि आईआरडीएआई और बीमा लोकपाल द्वारा बीमाधारकों के पक्ष में आदेश पारित किया जा रहा है, लेकिन बीमा कंपनियाँ उन आदेशों का पालन नहीं कर रही हैं। इसकी वजह है कि वित्त मंत्रालय ने आईआरडीएआई और बीमा लोकपाल को आदेश जारी करने का अधिकार तो दिया है लेकिन आदेश का पालन कराने की शक्तियाँ प्रदान नहीं की हैं। इसके कारण बीमा कंपनियाँ आदेश का पालन करने में बेवजह विलंब करती हैं, ताकि उन्हें बीमा राशि का भुगतान नहीं करना पड़े। श्री गुप्ता का कहना है यदि बीमा कंपनियाँ भुगतान से इनकार करती हैं तो बीमाधारक जिला उपभोक्ता आयोग के साथ ही हाईकोर्ट में भी रिट पिटीशन दायर कर सकता है। 
 खुद वेटरनरी के जानकारों का कहना है िक यदि नगर िनगम बर्थ कंट्रोल नहीं करता तो अब तक शहर में आवारा कुत्तों की संख्या 1 लाख के आँकड़े को पार कर जाती। इतना सब होने के बाद भी आखिर शहर परेशान क्यों है। लोग अपने घर नहीं जा पा रहे हैं, ठीक से सो नहीं पा रहे हैं, पालतू श्वानों को आसपास घुमा नहीं पा रहे हैं और तो और अन्य जानवरों के लिए भी खतरा लगातार बढ़ता ही जा रहा है। 
आदेश का निर्धारित समय-सीमा में होता है पालन 
जिला उपभोक्ता आयोग के आदेश का निर्धारित समय-सीमा में पालन किया जाता है। आयोग के न्यायिक सदस्य योमेश अग्रवाल ने बताया कि आयोग के पास आदेश का पालन कराने की भी शक्तियाँ हैं। आदेश का पालन नहीं होने पर पहली बार संबंधित व्यक्ति के खिलाफ जमानती वारंट जारी कर चेतावनी दी जाती है। इसके बाद गिरफ्तारी वारंट जारी कर उसे जेल भेज दिया जाता है, इसलिए आयोग के आदेशों का शत-प्रतिशत पालन किया जाता है। 
निगमायुक्त के निर्देश पर  अपर आयुक्त परमेश जलोटे, कार्यपालन यंत्री शैलेन्द्र मिश्रा और फायर अधीक्षक  कुशाग्र ठाकुर की उपस्थिति में  ग्वारीघाट के नावघाट पर मॉकड्रिल की गई। इस मौके पर जिला  एवं पुलिस प्रशासन के अधिकारीगण भी मौजूद रहे।   व्यापारियों को भी अलर्ट करने तथा उन्हें प्राकृतिक आपदाओं से बचाने संबंधी मॉकड्रिल की गई। इस मौके पर थाना प्रभारी ग्वारीघाट विजय सिंह परस्ते, गोताखोर  किशन मल्लाह, होमगार्ड पुष्पेन्द्र कुमार एवं उनकी टीम के साथ  अन्य लोग उपस्थित रहे। 
 सुनवाई के बाद डिवीजन बैंच ने याचिकाकर्ता को केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सचिव को अभ्यावेदन देने का निर्देश देते हुए याचिका का निराकरण कर दिया है।  इसके अलावा स्कूल के अलग-अलग कमरों में वैक्सीनेशन व स्लॉट बुकिंग की बात कही, ताकि मौके पर अत्यधिक भीड़ से बचा जा सके। इसके अलावा डीईओ ने हितकारिणी स्कूल बीटी तिराहा, हितकारिणी स्कूल देवताल भी पहुँचकर निरीक्षण किया। 

Created On :   17 Jun 2021 1:28 PM GMT

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