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अंबाझरी डैम का कंपाउंड हुआ खोखला, कभी भी टूटने का खतरा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। शहर को जलापूर्ति करने वाला जलाशय अंबाझरी तालाब असुरक्षित है। बांध पर खेड़े बड़े-बड़े पेड़ों ने सुरक्षा दीवार को खोखला कर दिया है। वापस लौटा मानसून मेहरबान हो जाने से तालाब लबालब हो गया है। सुरक्षा दीवार खोखली होने से किसी भी समय तालाब फूटने का खतरा बना हुआ है। वर्ष 2016 में तालाब का सुरक्षा ऑडिट हुआ था। उस समय सुरक्षा की दृष्टि से दीवार को खोखला कर रहे 304 पेड़ काटने का निर्णय लिया गया। उद्यान विभाग की ओर से 3 बार निविदा जारी की गई। ठेकेदारों का प्रतिसाद नहीं मिलने से पेड़ों की कटाई खटाई में पड़ी है। संभावित खतरे से बचने के लिए उद्यान विभाग को दूसरा कोई रास्ता अपनाने के लिए कहा गया। उद्यान विभाग ने मनपा की सर्वसाधारण सभा में 15 दिन में पेड़ काटने का आश्वासन देने के बाद हाथ पर हाथ धरे बैठा है।
आसपास भी मंडरा रहा खतरा
22 अगस्त को मनपा की आमसभा में कांग्रेस सदस्य प्रफुल्ल गुड़धे ने अंबाझरी तालाब की सुरक्षा का मुद्दा उठाया था। उस समय मनपा के उद्यान विभाग अधीक्षक अमोल चोरपगार ने 15 दिन में पेड़ काटने का सभागृह को आश्वासन दिया था। उस समय तालाब में 30 प्रतिशत से कम पानी था। मानसून की वापसी में मूसलाधार बारिश होने से तालाब लबालब हो गया है और सुरक्षा का खतरा और बढ़ गया है। उद्यान विभाग ने सभागृह को दिया आश्वासन पूरा नहीं किया। अंबाझरी तालाब की सुरक्षा की दृष्टि से पेड़ काटने में उद्यान विभाग के असमर्थ रहने से आस-पास के इलाकों की सुरक्षा पर खतरा मंडरा रहा है।
मेट्रो के निर्माणकार्य से अंबाझरी तालाब की सुरक्षा को खतरा होने का एक सर्वेक्षण में खुलासा हुआ था। सुरक्षा उपाययोजना के लिए मेट्रो रेलवे प्रशासन से मनपा ने पांच करोड़ निधि की मांग की है। इसमें से 1 करोड़ रुपए मनपा को दिए गए। सिंचाई विभाग को उपाययोजना के लिए निधि आवंटित की गई है। शेष निधि मिलना बाकी है। यह निधि मिलने पर सुरक्षा की दृष्टि से समुचित उपाययोजना करने की मनपा प्रशासन आस लगाए हुए है।
बड़े पेड़ों ने खोखली की सुरक्षा दीवार
वर्ष 2016 में ऑडिट हुआ था। उस समय दीवार को खोखला कर रहे 304 पेड़ काटने का िनर्णय लिया गया था। उद्यान िवभाग ने 3 बार निविदा जारी की। ठेकेदारों का प्रतिसाद नहीं मिलने से पेड़ों की कटाई खटाई में पड़ी है।
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ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।