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Nagpur News: कपास उत्पादन में भारी कमी हाई कोर्ट ने कसा तंज, सरकार जिम्मेदार

- निश्चित नीति न होने पर नाराजगी जताई
- राज्य में कपास की फसल में कमी आ रही
Nagpur News राज्य में कपास खरीद केंद्रों के बारे में किसानों की हमेशा शिकायत रहती हैं। कपास के संबंध में राज्य सरकार और कॉटन कार्पोरेशन ऑफ इंडिया की कोई निश्चित नीति नहीं है। इसके कारण, राज्य में कपास की फसल में कमी आ रही है। इस टिप्पणी के साथ बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने इस पर खेद जताया।
किसानों को आर्थिक नुकसान : नागपुर खंडपीठ में ग्राहक पंचायत महाराष्ट्र संस्थान के श्रीराम सातपुते ने यह जनहित याचिका दायर की है। याचिका पर बुधवार को न्या. नितीन सांबरे और न्या. सचिन देशमुख के समक्ष सुनवाई हुई। याचिका के अनुसार, सरकारी कपास खरीद केंद्र समय पर शुरू नहीं होने के कारण व्यापारी गारंटी मूल्य से कम कीमत पर कपास खरीद रहे हैं, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान हो रहा है। इसलिए दिवाली से पहले दशहरे के शुभ अवसर पर राज्य में सभी तालुका स्तरों पर सरकारी खरीद केंद्र शुरू किए जाने चाहिए, किसान की कृषि उपज बेचने के बाद सात दिन के अंदर कृषि उपज का पैसा किसान के बैंक खाते में जमा हो जाना चाहिए आदि मांग याचिका में की गई है।
कपास की बुआई का क्षेत्र और उत्पादन कितना : नागपुर खंडपीठ ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि वह राज्य में कपास की बुआई के क्षेत्र और इस क्षेत्र में होने वाले उत्पादन की विस्तृत आंकड़े की जानकारी प्रस्तुत करें। कोर्ट के आदेश के अनुसार, राज्य सरकार को दो सप्ताह में यह जानकारी कॉटन कार्पोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) को प्रस्तुत करनी है। इसके बाद इस आंकड़े के आधार पर सीसीआई को एक सप्ताह में कपास खरीद केंद्र व उनकी आवश्यकताओं पर नीति तय करनी है, साथ ही इसकी जानकारी कोर्ट में प्रस्तुत करनी है।
गुमराह करने वाली जानकारी : कॉटन कार्पोरेशन ऑफ इंडिया ने इस मामले में एक और शपथ पत्र दायर करते हुए कोर्ट को बताया था कि, राज्य में 1 अक्टूबर 2024 से 121 कपास खरीद केंद्र शुरू किए गए। राज्य सरकार और जनप्रतिनिधियों से अनुरोध पर 7 और खरीद केंद्र खोले गए। यानी राज्य में कुल 128 कपास खरीदी केंद्र शुरू हैं। वहीं दूसरी ओर याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि सीसीआई कोर्ट को गलत और गुमराह करने वाली जानकारी दे रहा है। याचिकाकर्ता ने यह भी कहा था कि, दिसंबर 2024 और जनवरी 2025 में कई कपास खरीद केंद्र शुरू करने के लिए निविदा नोटिस जारी किए गए थे। इससे यह स्पष्ट है कि अक्टूबर में कई कपास खरीदी केंद्र शुरू ही नहीं हुए है। यदि अक्टूबर में कपास खरीद केंद्र शुरू हुए होते तो कृषि उपज मंडी समिति के सचिव सीसीआई को पत्र भेजकर केंद्र शुरू करने का अनुरोध नहीं करते। इस मामले पर बुधवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने उक्त निरीक्षण के साथ याचिका पर 28 जुलाई को अगली सुनवाई रखी है। याचिकाकर्ता श्रीराम सातपुते ने खुद ही पक्ष रखा।
Created On :   3 July 2025 11:40 AM IST