पुरातन अवशेषों की अब भी प्रासंगिकता, जानिए क्या है खास बात

डिजिटल डेस्क, नागपुर. भारतीय विज्ञान कांग्रेस में भू-विज्ञान सर्वेक्षण विभाग ने प्राचीन अवशेष और मानवीय विकास के क्रम का प्रदर्शन किया। इस दौरान प्रदर्शनी में 5 लाख पुरानी मानवीय खोपड़ी, शाकाहारी और मांसाहारी डायनासोर के अलावा कई तरह के पत्थरों और लौह खनिज के नमूनों को भी दिखाया गया। इस दौरान विदर्भ के कोयला, लौह अयस्क समेत अन्य धातुओं और 400 से अधिक प्रकार के पत्थरों को जानकारी के लिए प्रदर्शन में रखा गया।
भरपूर सराहना
भारतीय विज्ञान कांग्रेस में राज्य और पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश में मिलने वाले लौह अयस्क, पत्थरों के अलावा मानवीय विकास क्रम को दर्शाया गया। भूविज्ञान सर्वेक्षण विभाग ने विद्यार्थियों और नागरिकों की जानकारी के लिए प्रदर्शनी में रखा। पश्चिम महाराष्ट्र समेत विदर्भ के अंचल में मिलने वाले कोयले, मध्य प्रदेश के मलाजखंड में मिलने वाले तांबा अयस्क, रामटेक के मैंगनीज समेत करीब 400 प्रकार के पत्थर और अयस्क को दिखाया गया। इसके अलावा लावा के प्रभाव से अग्निजन्य निर्मित परावर्तित पत्थर, रेत के भीतर जमीन में परावर्तित पत्थर और खदानों के भीतर मिलने वाले पत्थरों को भी रखा गया। मध्य प्रदेश के पन्ना में मिलने वाले कीम्बरलाइट, आंध्र प्रदेश में मिलने वाले वज्रकरूर को भी नागरिकों ने सराहा।
शिवालिक श्रेणी के जानवर और जुरासिक डायनासोर अवशेष
भारतीय भूविज्ञान की सराहनीय उपलब्धि के रूप में शिवालिक श्रेणी के 2 हजार साल पुराने हाथी का जबड़ा, दरियाई घोड़े का सिर और जंगली भैंसे के पूर्वजों के अवशेषों को भी दिखाया गया। सबसे महत्वपूर्ण जुरासिक श्रेणी में दो खाद्य सभ्यता वाले डायनासोर के अवशेषों को दिखाया गया। अपने विकासक्रम में डायनासोर हरी घास वाले शाकाहारी के रूप में अस्तित्व में आए, लेकिन बदलते कालखंड में मांसाहारी बने। इसी तरह वैज्ञानिकों ने ऐसे ही एक सांप को डायनासोर के अंडों को खाने वाले अवशेष को पुर्ननिर्माण किया है। इस तरह के अवशेष नर्मदा नदी के समीप से वैज्ञानिकों को मिले हैं। इसमें एक बड़े आकार के सांप ने शाकाहारी डायनासोर के घोसलें में अंडों तक पहुंच बनाई, लेकिन अचानक भूस्खलन के चलते सांप और अंडे जमीन के भीतर दब गए। इस अवशेष में सांप के ढांचे के आधार पर थ्रीडी तकनीक से पुनर्निर्माण कर फोटो रूप में रखा गया, जबकि वास्तविक अवशेष को भी दिखाया गया है।
5 लाख साल पुरानी खोपड़ी, मानवीय विकासक्रम का प्रतीक
डॉ तुषार मेश्राम, वरिष्ठ भूवैज्ञानिक, नागपुर बंदर से मानवीय विकास के क्रम का जीवंत उदाहरण 5 लाख पुरानी मानवीय खोपड़ी है। होशंगाबाद की नदी में इस खाेपड़ी को पाया गया था, ऐसे में होमो इरेक्टस नर्मदासिस वैज्ञानिक नाम दिया गया है। इसके अलावा शाकाहारी डायनासोर और मांसाहारी डायनासोर के क्रमानुसार विकास और अवशेषों को भी संजोया गया है।
Created On :   8 Jan 2023 7:46 PM IST