अनिल अंबानी को मिली राहत को बरकरार, अदालत ने पूछा- काला धन अधिनियम भूतलक्षी प्रभाव से कैसे लागू होगी

Anil Ambanis relief upheld, the court asked - how will the Black Money Act be implemented with retrospective effect
अनिल अंबानी को मिली राहत को बरकरार, अदालत ने पूछा- काला धन अधिनियम भूतलक्षी प्रभाव से कैसे लागू होगी
हाईकोर्ट अनिल अंबानी को मिली राहत को बरकरार, अदालत ने पूछा- काला धन अधिनियम भूतलक्षी प्रभाव से कैसे लागू होगी

डिजिटल डेस्क, मुंबई। हाईकोर्ट ने सोमवार को रिलायंस समूह (एडीएजी) के चेयरमैन अनिल अंबानी के खिलाफ कथित कर चोरी के आरोप पर काला धन अधिनियम (ब्लैक मनी एक्ट) के तहत मुकदमा चलाने की आयकर विभाग की मांग से जुड़ी नोटिस पर सवाल उठाए है। हाईकोर्ट ने विभाग से पूछा है कि  कुछ कार्यों को आपराधिक बनाने वाले अधिनियमों को भूतलक्षी प्रभाव से कैसे लागू किया जा सकता है। श्री अंबानी ने इस मामले में आयकर विभाग की ओर से जारी की गई नोटिस को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। 

सोमवार को अंबानी की याचिका न्यायमूर्ति गौतम पटेल व न्यायमूर्ति एसजी दिगे की खंडपीठ के सामने सुनवाई के लिए आयी। याचिका पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 20 फरवरी 2023 तक के लिए स्थगित कर दी और इस मामले में अंबानी को इस मामले में दंडात्मक कार्रवाई से मिली राहत को कायम रखा। खंडपीठ ने कहा कि याचिका में कालाधन अधिनिम (ब्लैक मनी एक्ट) की वैधता को चुनौती दी गई है इसलिए हम अट्रानी जनरल ऑफ इंडिया को नोटिस भी जारी करते है। प्रसंगवश खंडपीठ ने एक उदाहरण देते हुए कहा कि एक व्यक्ति कोई किताब खरीदता है और फिर उस पर छूट का दावा करता है। लेकिन एक दिन सरकार कानून बनाकर कहती है कि छूट का दावा नहीं किया जा सकता है। यह अपराध है। आखिर सरकार ऐसा कैसे कह सकती है क्योंकि जब किताब खरीदी गई उस समय छूट का दावा करना अपराध नहीं था तो अब सरकार इसे कैसे अपराध कह सकती है? याचिका के मुताबिक आयकर विभाग ने आठ अगस्त 2022 को इस मामले को लेकर अंबानी को नोटिस जारी किया था। नोटिस के मुताबिक अंबानी ने अपने स्विस बैंक खाते में अघोषित 814 करोड़ रुपए की जानकारी को छुपाया था। इसके अतंर्गत आयकर विभाग ने कहा था कि क्यों न अंबानी के खिलाफ ब्लैक मनी (कालेधन) कानून की धारा 50 व 51 तहत मुकदमा चलाया जाए। जिसके अंतगर्त दस साल के कारावास की सजा व जुर्माने का प्रावधान है। आयकर विभाग ने अंबानी पर आरोप लगाया है कि उन्होंने जानबूझकर विदेशी बैंक खाते में जमा राशि की जानकारी छिपाई है। 

आयकर विभाग की इस नोटस को अंबानी ने याचिका दायर कर हाईकोर्ट में चुनौती दी है। याचिका में दावा किया गया है कि आयकर विभाग की नोटिस में विदेशी बैंक खाते में जिस लेन-देन का जिक्र किया गया है वह साल 2006-2007 व 2010-2011 का है। जबकि कालेधन से जुड़े कानून को साल 2015 में पारित किया गया है। 

 

Created On :   9 Jan 2023 3:04 PM GMT

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