नागपुर मंडल के सौ फीसदी विद्युतिकरण से सालाना 342 करोड़ रुपए की बचत
डिजिटल डेस्क, मुंबई। कायापलट की कोशिशों में जुटे रेल विभाग ने नागपुर मंडल का 100 फीसदी विद्युतिकरण करके 342 करोड़ रुपए सालाना की बचत की है। यही नहीं विद्युतिकरण के चलते कार्बन उत्सर्जन में भी 1.05 लाख टन की कमी आई है। मध्य रेल के नागपुर मंडल में 970 रुट किलोमीटर और कुल ब्रॉडगेज पटरियों की लंबाई 2332 किलोमीटर है। मंडल में 17 कर्षण उपस्टेशनों के जरिए 753 एमवीए बिजली की आपूर्ति की जाती है। सबसे पहले इटारसी-नागपुर के बीच सितंबर 1989 में विद्युतिकरण का काम पूरा हुआ था इसी महीने में सेवाग्राम-बल्लारशाह का भी काम पूरा कर लिया गया। नागपुर बडनेरा मार्ग का भी विद्युतिकरण फरवरी 1991 में, आमला-छिंदवाड़ा मार्ग और नरखेड-चंदूर बाजार का विद्युतिकरण अगस्त 2017 में और फरवरी 2020 में वानी-पिंपलखुटी के बीच विद्युतिकरण का काम पूरा हो गया। वानी और पिंपलखुटी के बीच के लगभग 67 किलोमीटर लंबे ट्रैक के विद्युतिकरण के साथ ही 100 फीसदी विद्युतिकरण का काम पूरा हो गया। इससे पहले सितंबर 1990 में अजनी में इलेक्ट्रिक लोको शेड ने काम करना शुरू कर दिया था। विद्युतिकरण से रेलवे के परिचालन के लिए आयातित कच्चे तेल पर निर्भरता कम हुई। एक अधिकारी ने बताया कि 100 फीसदी विद्युतिकरण के चलते ईंधन के बिल में सालाना 342 करोड़ रुपए का बचत हुई। इसके अलावा कार्बन उत्सर्जन में भी सालाना 1.05 लाख टन की कमी आई। नागपुर डिविजन बेहद अहम है क्योंकि यह मुंबई-हावड़ा और दिल्ली-चेन्नई मार्ग की मुख्य लाइन पर स्थित है। ग्रांट ट्रंक एक्सप्रेस, गीतांजलि एक्सप्रेस, आंध्र प्रदेश एक्सप्रेस, केरल एक्सप्रेस, बेंगलुरु-हजरत निजामुद्दीन राजधानी एक्सप्रेस, बिलासपुर-नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस, हजरत निजामुद्दीन-सिकंदराबाद राजधानी एक्सप्रेस, हिमसागर एकप्रेस जैसी प्रतिष्ठित ट्रेनें इस मंडल से होकर गुजरती हैं। यह डिविजन पहले ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे का हिस्सा था जिसे 1951 में मध्य रेल जोन का हिस्सा बना दिया गया।
Created On :   6 March 2023 9:46 PM IST