पूर्व उपराष्ट्रपति अंसारी बोले- राजनीति में व्यक्तिपूजा बेहद खतरनाक

Ansari said in terms of per capita income of maharashtra  is on second position
पूर्व उपराष्ट्रपति अंसारी बोले- राजनीति में व्यक्तिपूजा बेहद खतरनाक
पूर्व उपराष्ट्रपति अंसारी बोले- राजनीति में व्यक्तिपूजा बेहद खतरनाक

डिजिटल डेस्क, नागपुर। पूर्व उपराष्ट्रपति हमीद अंसारी लगातार अपने बयानों से परोक्ष रूप से सरकार पर हमला करते आए हैं। रविवार को पूर्व उपराष्ट्रपति ने मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि राजनीति में व्यक्तिपूजा हुकुमशाही को न्यौता देता है। यह देश के लिए घातक होगा। लोकशाही केवल राजनीतिक विचार नहीं होना चाहिए। इसकी नींव सामाजिक संरचना पर आधारित है। अंसारी ने कहा कि देश में लोकशाही की वास्तविकता को बनाए रखने के लिए डॉ. आंबेडकर के बताए तीन तत्वों का ध्यान रखना होगा। 

पूर्व उपराष्ट्रपति डॉ. आंबेडकर महाविद्यालय सभागृह दीक्षाभूमि में सामाजिक और आर्थिक समता संघ के उद्घाटन समारोह में संबोधित करते हुए राज्य सरकार पर भी हमला बोला। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में आर्थिक विकास के मुकाबले मानव विकास की गति धीमी है। प्रति व्यक्ति आय के मामले में महाराष्ट्र दूसरे पायदान पर है। गरीबी के मामले में 6 वां नंबर है। कुपोषण, बच्चों और महिलाओं में एनीमिया, माध्यमिक और उच्च शिक्षा क्षेत्रों में राज्य काफी पिछड़ा है। उन्होंने राज्य के आर्थिक विकास को गरीब विरोधी बताया। कहा कि गरीबों को विकास का लाभ नहीं मिलने से अमीरों और गरीबों के बीच खाई बढ़ रही है। 

महाराष्ट्र में विकास की गति काफी धीमीं 
प्रति व्यक्ति कम आय वाले राज्यों के मुकाबले महाराष्ट्र के विकास की गति काफी कम है। प्रति व्यक्ति आय को छोड़ अन्य मामलों में महाराष्ट्र की स्थिति काफी खराब है। कुपोषण में सबसे आगे है। साल 2013 के सरकारी आंकड़ों के हवाले से अंसारी ने बताया कि देश की 84 फीसदी संपत्ति 20 फीसदी परिवारों के कब्जे में है। 72 फीसदी सरकारी जमीन पर इन परिवारों का कब्जा है। जब्कि मात्र 16 फीसदी संपत्ति की 20 फीसदी मालिक जनता है। ग्रामीण क्षेत्र में जमीन आय का माध्यम है। गरीबी रेख के नीचे जीवनयापन करने वाले 10 फीसदी गरीबों के पास मात्र 0.1 फीसदी जमीन है। कुल जनसंख्या के 72 फीसदी से अधिक किसानों को पास 5 एकड़ से कम जमीन है। इसी प्रकार निजी उद्योग और व्यवसाय में अंतर  है। आर्थिक विषमता के कारण 53 फीसदी मजदूर, 26 फीसदी वेतन कामगार और 26 फीसदी जनता कम मजदूरी कर परिवार को पालने के लिए मजबूर है।
 

 

Created On :   26 Nov 2017 12:46 PM GMT

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