बैग में महज कारतूस मिलने से नहीं दर्ज हो सकता आर्म एक्ट का मामला

डिजिटल डेस्क, मुंबई। किसी के कब्जे में महज कारतूस मिलने के आधार पर ही आर्म एक्ट की धारा 3 व 25 के तहत अपराध नहीं हो सकता है। मामले में कारतूस के कब्जे का सचेत ज्ञान व वास्तविक नियंत्रण जरुरी है। बांबे हाईकोर्ट ने यह बात कहते हुए अहमदाबाद की एक निजी कंपनी के एसोसिएट प्रबंधक विहार शाह के खिलाफ दर्ज एफआईआर व कोर्ट में दायर आरोपपत्र को रद्द कर दिया है। शाह दो जनवरी 2019 को अपनी कंपनी के काम सेअमहदाबाद से मुंबई के लिए फ्लाइट पकड़ी थी और यहां से उनको जर्मनी के शहर फ्रैंटफर्क के लिए फ्लाइट पकड़नी थी। इससे पहले अहमदाबाद एयरपोर्ट पर उनके बैग की सुरक्षा जांच की गई थी। इसके बाद वे मुंबई पहुंचे फिर यहां के इंटरनेशनल एयरपोर्ट से जर्मनी के लिए फ्लाइट पकड़ी। पर वेजब जर्मनी पहुंचे और अपना बैग लेने के लिए बेल्ट पर गए तो उन्हें बताया गया कि उनके बैंग में कोई संदिग्ध चीज मिली है। इसलिए मुंबई से एयरइंडिया के विमान में उनका बैग नहीं चढाया गया। 16 जनवरी को शाह जब मुंबई लौटे और एयरपोर्ट जाकर अपने बैग की जानकारी मांगी तो वहां से उन्हें सहार पुलिस स्टेशन ले जाया गया। उन्हें बताया गया कि उनके बैग में नाइनएमएम पिस्तौल का एक जिंदा कारतूस मिला था। इस मामले में एयरपोर्ट के सुरक्षा अधिकारी की शिकायत पर शाह के खिलाफ पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई। कुछ दिनों बाद शाह को इस मामले में अग्रिम जमानत मिल गई और बाद में उनके खिलाफ पुलिस ने कोर्ट में आरोपपत्र दायर कर दिया। जिसे रद्द करने की मांग को लेकर शाह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते ढेरे व न्यायमूर्ति पीके चव्हाण की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि मेरे मुवक्किल ने अपने बैग में ताला लगा रखा था। लेकिन बाहर की एक चैन में कोई ताला नहीं लगा था। इसके अलावा अहमदाबाद एयरपोर्ट पर मेरे मुवक्किल के बैग की गहराई से जांच की गई थी। जहां बैग में कुछ आपत्तिजनक नहीं मिला था। इसके बाद मुंबई में मेरे मुवक्किल को बैग नहीं सौपा गया। इस बीच बैग की ऊपरी खुली चैन में किसी ने कुछ रखा हो उन्हें इसकी बिल्कुल जानकारी नहीं थी। इसलिए इस मामले में आम्र्स एक्ट की जिन धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। उसके तहत अपराध का खुलासा नहीं होता है।मामले से जुड़े आरोपपत्र पत्र पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि हमारे सामने ऐसा कोई सबूत नहीं है जो दर्शाए कि आरोपी को बैग में कारतूस होने की जानकारी थी। वैसे भी कई फैसलों में साफ किया गया है कि किसी के कब्जे में महज कारतूस मिलने के आधार पर ही आर्म एक्ट की धारा 3 व 25 के तहत अपराध नहीं दर्द किया जा सकता है। यह बात इस मामले में भी लागू होती है। इसलिए याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज एफआईआर व आरोपपत्र को रद्द किया जाता है।
Created On :   8 Jan 2023 4:53 PM IST