प्रदेश कांग्रेस में विदर्भ के नेताओं का दबदबा, वंचित आघाड़ी का दावा - अब हमारे बिना बन ही नहीं पाएगी सरकार

Assembly election : Vidarbha leaders dominate in state Congress
प्रदेश कांग्रेस में विदर्भ के नेताओं का दबदबा, वंचित आघाड़ी का दावा - अब हमारे बिना बन ही नहीं पाएगी सरकार
प्रदेश कांग्रेस में विदर्भ के नेताओं का दबदबा, वंचित आघाड़ी का दावा - अब हमारे बिना बन ही नहीं पाएगी सरकार

डिजिटल डेस्क, नागपुर। प्रदेश कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन के साथ ही जवाबदारी का विकेंद्रीकरण किया जा रहा है। इस परिवर्तन में विदर्भ के नेताओं काे लाभ मिला है। विधानसभा चुनाव में देखा जाए तो प्रदेश कांग्रेस में विदर्भ के नेताओं का सबसे महत्वपूर्ण स्थान रहेगा। लोकसभा चुनाव लड़ चुके नाना पटोले प्रदेश कांग्रेस के प्रचार प्रमुख बनाए गए हैं। नितीन राऊत व यशोमति ठाकुर कार्याध्यक्ष बनाए गए हैं। इससे पहले विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विदर्भ के ही विजय वडेट्टीवार को दिया गया है। राजनीतिक जानकारों की माने तो कांग्रेस में ऐसा गुट भी जल्द ही सक्रिय हो जाएगा जिसके बारे में कहा जा रहा था कि वह किनारे लग रहा है। प्रदेश अध्यक्ष चुने गए बालासाहब थोरात नागपुर व विदर्भ के उन असंतुष्ट नेताओं के सहयोगी रहे हैं जो असंतोष जताते हुए गुट का नेतृत्व करने लगे थे। गौरतलब है कि नाना पटोले कांग्रेस में प्रवेश के साथ ही प्रदेश की राजनीति में सक्रिय होने का प्रयास करते रहे हैं। उनका नाम प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए भी चर्चा में था। लेकिन पार्टी प्रवेश के साथ उन्हें पहले प्रदेश उपाध्यक्ष और बाद में किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दी गई। गोंदिया भंडारा में लोकसभा के उपचुनाव के बाद नागपुर में लोकसभा चुनाव में पटोले काफी चर्चा में रहे। विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार प्रमुख बनाए जाने से चुनाव के समय उनकी कांग्रेस में सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी रहेगी। अमरावती जिले से कांग्रेस विधायक यशोमति ठाकुर को कांग्रेस ने केंद्रीय स्तर पर सचिव बनाया था। वे राहुल गांधी की युवा टीम में शामिल रही है। एक समय में इस फेरबदल में निवर्तमान अध्यक्ष अशोक चव्हाण के समर्थकों की टीम थोड़ी निराश हो सकती है। लेकिन पार्टी की ओर से दावा किया जा रहा है कि सब मिलजुलकर कार्य करेंगे। 16 जुलाई को मुंबई में कांग्रेस व राकांपा की सीट साझेदारी को लेकर महत्वपूर्ण बैठक होनेवाली है।

चतुर्वेदी की घरवापसी का मार्ग खुला

माना जा रहा है कि पूर्व मंत्री सतीश चतुर्वेदी की कांग्रेस में घरवापसी का मार्ग खुल गया है। अशोक चव्हाण व सतीश चतुर्वेदी के बीच विवाद चर्चा में रहा है। चतुर्वेदी नागपुर ही नहीं विदर्भ स्तर पर खुलकर बगावत करते नजर आए। नितीन राऊत, सुनील केदार, नरेश पुगलिया सहित अन्य नेताओं की बगावत चर्चा में रही। इस बीच संगठनात्मक अनुशासनहीनता के आरोप में चतुर्वेदी को कांग्रेस से बाहर कर दिया गया। हालांकि चतुर्वेदी कहते रहे हैं कि वे कांग्रेसी बने रहेंगे। किसी पार्टी में शामिल नहीं होंगे। इसी बीच चतुर्वेदी के पुत्र दुष्यंत चतुर्वेदी ने शिवसेना में प्रवेश लिया है। हालांकि मुंबई में शिवसेना में प्रवेश के बाद दुष्यंत विदेश रवाना हो गए थे।  शहर शिवसेना में वे सक्रिय नहीं हो पाए हैं। लिहाजा चतुर्वेदी की राजनीतिक स्थिति पर सबकी नजर रहेगी। 

वंचित आघाड़ी का दावा, सरकार तो उनके बिना बन ही नहीं पाएगी

उधर लोकसभा चुनाव में राज्य में 6 प्रतिशत से अधिक मतदान पानेवाली वंचित बहुजन आघाड़ी का विश्वास विधानसभा चुनाव को लेकर बढ़ा है। आघाड़ी के संसदीय मंडल के सदस्य अण्णाराव पाटील ने दावा किया है कि राज्य में तीसरे विकल्प के तौर पर आघाड़ी सक्षम पर्याय देगी। आघाड़ी के बिना राज्य में नई सरकार बन ही नहीं पाएगी। शनिवार को वंचित आघाड़ी ने विधानसभा चुनाव को लेकर साक्षात्कार प्रक्रिया आरंभ की। नागपुर सहित भंडारा, गोंदिया व वर्धा जिले के इच्छुक उम्मीदवार से चर्चा की गई। चर्चा के बाद पत्रकार वार्ता में श्री पाटील बोल रहे थे, उन्होंने प्रकाश आंबेडकर को भावी मुख्यमंत्री भी बताया। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में वंचित आघाड़ी को 41 लाख से अधिक मतदान मिला। वंचित घटक को अवसर दिया गया। विधानसभा चुनाव में वंचित आघाड़ी को कम से कम 82 सीटें मिलेंगी। तहसील व जिला स्तर पर अच्छे उम्मीदवार देने का प्रयास किया जा रहा है। चरित्र, प्रमाणिकता, समाजसेवा, साफ सुथरी छवि को प्राथमिकता दी जाएगी। प्रति स्पर्धक पर विचार नहीं करते हुए ऐसे उम्मीदवार खड़े किए जाएंगे जो राजनीतिक चक्रव्यूह को भेद सकें। अब तक 70 इच्छुकों ने आवेदन भरा है।
 

Created On :   14 July 2019 6:54 PM IST

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