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महिला को समान अधिकार देने का दावा खोखला, महिला प्रताड़ना में नागपुर है तीसरे नंबर पर

डिजिटल डेस्क, नागपुर। केंद्र और राज्य में महिलाओं को भले ही समान अधिकार देने की बात की जाती है, लेकिन समाज में अभी भी महिलाओं को समान दर्जा मिल नहीं पाया है। महिलाओं को समान अधिकार, सामाजिक भेदभाव, अत्याचार पर प्रतिबंध की बातें भले हो रही हैं, लेकिन समाज में महिलाओं पर अत्याचार का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। जाने-अनजाने महिलाएं भी अपराध की दलदल में फंस रही हैं। राज्य में बीते तीन साल में आईपीसी की धाराओं के अंतर्गत 5 लाख से अधिक मामले दर्ज किए गए, जिसमें महिला उत्पीड़न से जुड़े मामलों का आंकड़ा 65 हजार से अधिक रहा है। नागपुर में हर साल महिला प्रताड़ना से जुड़े 1 हजार से अधिक प्रकरण दर्ज होते हैं।
सूत्रों के अनुसार नागपुर में हर साल करीब 8 से 10 हजार मामले यहां के 30 थानों में दाखिल होते हैं। दिल्ली के निर्भया कांड के बाद महिलाएं अत्याचार के खिलाफ आवाज बुलंद करने लगी हैं और शिकायतें भी थानों की दहलीज पर पहुंचकर करने लगी हैं। पहले महिलाएं अत्याचारों को सहते हुए बंद कोठरी में सिसकियां लेते हुए किसी कोने में पड़ी रहती थीं। राज्य के नागपुर, पुणे, औरंगाबाद शहर, नई मुंबई, नासिक शहर, अमरावती, सोलापुर शहर में महिला के अत्याचार के दाखिल कुल अपराध के मामले में नागपुर तीसरे नंबर पर है। यह बात हम नहीं कह रहे हैं। यह बात राज्य के थानों में दर्ज महिला अत्याचार और हिंसामय अपराध से जुड़े मामले बयां कर रहे हैं।
राज्य में महिलाओं पर अत्याचार से जुड़े 80 प्रतिशत मामले अभी भी राज्य की विविध अदालतों में लंबित होने की बात जानकार कर रहे हैं। इन मामलों में दुष्कर्म, भगाकर ले जाना, अपहरण, दहेज के लिए हत्या, हत्या का प्रयास, आत्महत्या के लिए उकसाने, शारीरिक- मानसिक रुप से प्रताड़ित करने, छेड़छाड़, कम उम्र की लड़कियों को देश-विदेश में बेचने, अश्लील संदेश भेजने, देह व्यवसाय की दल-दल में झोंकने संबंधी मामले शामिल हैं, जिनका निपटारा संबंधित अदालतों में होना बाकी है। हालांकि सरकार भी चाहती है कि, ऐसे मामलों का जल्द से जल्द निपटारा हो और आरोपियों को दोषी पाए जाने पर सजा दिलाई जाए।
राज्य के दूसरे शहरों की अपेक्षा नागपुर में महिलाओं पर अत्याचार से जुड़े मामलों का प्रमाण करीब 7 से 8 प्रतिशत हो गया है। गत तीन वर्ष पहले यह प्रमाण करीब 5 से 6 प्रतिशत था, जो करीब 1 से 2 प्रतिशत हर वर्ष बढ़ने लगा है। देह व्यापार का प्रमाण राज्य में 49 प्रतिशत तक पहुंच चुका है। इस पर लगाम कसने में राज्य की पुलिस पूरी तरह सफल नहीं हाे पा रही है।
कई दस्ते बनाए गए
तीन साल पहले दहेज प्रताड़ना के मामले में नागपुर शहर राज्य के 9 शहरों में तीसरे नंबर पर था। तीन साल बाद यह प्रमाण 1 प्रतिशत कम हुआ है, इसका कारण है महिलाओं के लिए कई तरह के सुरक्षा के इंतजाम। शहर की सड़कों, बगीचों, अन्य स्थानों पर होने वाले अत्याचार को रोकने के लिए भरोसा सेल, दामिनी दस्ता, महिला पुलिस गश्ती दल, महिला कमांडो फोर्स सहित अन्य महिला पुलिस विभाग बनाए गए हैं, जहां पर महिलाओं पर होने वाले अत्याचार को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जा सकें।
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Created On :   9 July 2018 1:49 PM IST