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गंग बनारस हिन्दुआं, मुसलमाना मक्का काबा - हिन्दू-मुसलमान के बीच अंतर पाट रहे जगत गुरु बाबा नानक
डिजिटल डेस्क, नागपुर। गुरुनानक पातशाह का प्रकाश पर्व (आगमन दिन) दुनियाभर में भक्ति भाव से मनाया जा रहा है। उपराजधानी में वाहे गुरुजी का खालसा-वाहे गुरु की फतेह की गूंज के बीच विशाल नगर कीर्तन निकाला गया, जिसमें हजारों लोग शामिल हुए। फूलों से सजी आधुनिक पालकी में गुरु ग्रंथ साहब का प्रकाश किया गया था, जो आकर्षण का खास थी।
12 को मुख्य कार्यक्रम
12 नवंबर को मानकापुर इंडोर स्टेडियम हॉल में कार्यक्रम होगा। सुबह 4 बजे श्री गुरु ग्रंथ साहब की पालकी गुरुद्वारा गुरु नानक दरबार से निकलकर मानकापुर इंडोर स्टेडियम हॉल पहुंचेगी। सुबह 5 से दोपहर 2.30 बजे तक और शाम 6 से 10.45 बजे तक कार्यक्रम होंगे। प्रतिदिन सुबह-शाम को गुरु का लंगर चलेगा। गुरुद्वारा गुरु नानक दरबार में दोपहर 2 बजे अमृत संचार कार्यक्रम होगा। अमृत अभिलाषियों से केशी स्नान कर गुरुद्व्रारा में पहुंचने की अपील की गई है।
नगर कीर्तन में श्री गुरु तेगबहादुर साहिब गतका के सदस्यों ने हैरतअंगेज करतबों का प्रदर्शन कर लोगों को दांतों तले उंगली दबाने पर मजबूर कर दिया। लाठी से लेकर तलवार के जौहर दिखाए गए।
9 नवंबर की तारीख को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा कि जिस दिन बर्लिन की दीवार गिरी, दुनिया ने एक नया संकल्प लिया था, इसी तरह करतारपुर कॉरिडोर की शुरुआत ने हमें आगे बढ़ने की सीख दी है।
जानकारों के मुताबिक गुरु ग्रंथ साहिब में जहां सिख गुरुओं की वाणी है, वहीं हिन्दू और मुस्लिम संतों की वाणी भी दर्ज है, जिनमें प्रमुख नाम बाबा कबीर जी और शेख फरीद जी शामिल हैं। अलग- अलग भाषाओं में संकलन है, जिससे साफ संकेत है कि भाषा केवल संचार का माध्यम मात्र है, ईश्वर का नाम जिसी भी जुबान में लिया जा सकता है।
करतारपुर कॉरिडोर के उद्घाटन के दौरान अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंघ जी ने कहा कि जब देश में हिन्दुओं पर विपत्ति आन पड़ी तो नौंवे गुरु, गुरु तेगबहादुर जी ने शहादत दी थी। इसी तरह जब कश्मीरी मुसलमानों और सीरिया में मदद की जरूरत पड़ी, तो सिखों ने उनका हाथ पकड़ा। जत्थेदार ने कहा यही सिख धर्म का फलसफा है।
जानकारों का कहना है कि गुरु नानक पात्शाह ने उस वक्त करतारपुर से धर्म प्रचार शुरु किया था। भारत ही नहीं बल्कि अरब देशों की यात्रा के तहत इराक के बगदाद और सउदी अरब के मक्का मदीना भी गए। असम और उड़ीसा भी गए, जहां जगन्नाथपुरी में उन्होंने लोगों को ब्रम्हांड की आरती से अवगत कराया था। गुरु पात्शाह चीन तक गए, जहां उन्हें नानक लामा कहा गया। उन्होंने अपनी यात्रा के दौरान हिन्दू और मुसलमानों को एक ईश्वर का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि परमात्मा एक ही है। उसे बांटा नहीं जा सकता। यही कारण है कि सिख धर्म हिन्दू और मुसलमानों के बीच सेतु बनकर उभरा।
कोई नावै तीरथ, कोई हज जाए, कोई करे पूजा, कोई सिर निवाए
कहो नानक जिस हुकम पछाता, प्रभ साहिब का तिन भेद जाता
कोई तीर्थ जाता है, तो हज जाता है, कोई पूजा करता है तो कोई सिर झुकाता है
बाबा नानक कहते हैं कि जो एक ईश्वर के हुक्म को समझ लेता है, वहीं ईश्वर को भेद समझ उसे पा लेता है।
जगत गुरु बाबा अपनी वाणी में कहते हैं कि गंग बनारस हिन्दुआं, मुसलमाना मक्का काबा
जिस तरह हिन्दू के लिए गंगा और बनारस है, उसी तरह मुसलमान के लिए मक्का काबा बेहद पवित्र हैं।
संगत ने पुष्पवर्षा कर नगर कीर्तन का स्वागत किया। खास बात थी कि इस दिन करतारपुर कॉरिडोर की शुरुआत भी हुई। भारत और पाकिस्तान दोनो देशों की ओर से ऐतिहासिक कदम उठाया गया। सही मायनों में देखा जाए, तो गुरु बाबा नानक जी के उपदेश हिन्दू-मुसलमान के बीच अंतर को पाट रहे हैं।
Created On :   10 Nov 2019 5:16 PM IST