Nagpur News: विदर्भ में 6 श्रम, 12 औद्योगिक न्यायालय की आवश्यकता

विदर्भ में 6 श्रम, 12 औद्योगिक न्यायालय की आवश्यकता
  • राज्य सरकार के पास प्रस्ताव लंबित
  • हाई कोर्ट ने दो सप्ताह में मांगा जवाब

Nagpur News पिछले कुछ वर्षों में विदर्भ का दायरा बढ़ा है। इसके अनुरूप श्रमिकों और उद्योगों की समस्याएं भी बढ़ती जा रही हैं। इसे ध्यान में रखते हुए विदर्भ में अतिरिक्त 6 श्रम न्यायालयों और 12 औद्योगिक न्यायालयों की आवश्यकता है। इसके लिए मुंबई उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल ने राज्य सरकार को प्रस्ताव भी भेजा है।

हालांकि, इस पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। बुधवार को हुई सुनवाई में बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने राज्य सरकार को दो सप्ताह में इस पर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। नागपुर खंडपीठ में विदर्भ लेबर लॉ प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन ने यह जनहित याचिका दायर की है। इसमें शहर में श्रम एवं औद्योगिक न्यायालय में रिक्त पदों को तत्काल भरने की मांग की गई है। यााचिका पर न्या. नितीन सांबरे और न्या. सचिन देशमुख के समक्ष सुनवाई हुई।

भेदभाव का आरोप : याचिका के अनुसार, नागपुर में पांच औद्योगिक और चार श्रम न्यायालय हैं। एसोसिएशन ने पहले भी रिक्त पदों को भरने की मांग करते हुए एक रिट याचिका दायर की थी। 27 फरवरी 2023 को कोर्ट ने रिक्त पदों को भरने का आदेश दिया था, लेकिन अब तक उस आदेश का पालन नहीं किया गया है। राज्य सरकार ने आउट सोर्सिंग के माध्यम से विधि एवं न्याय विभाग के अंतर्गत सिविल न्यायालयों के लिए न्यायिक अधिकारियों के 283 पद, सहायक कर्मचारियों के 11 हजार 64 पद स्वीकृत किए हैं, लेकिन श्रम एवं औद्योगिक न्यायालयों के मामले में कोई निर्णय नहीं लिया गया। याचिका में आरोप लगाया गया है कि यह दूजा भाव है। नागपुर में श्रम और औद्योगिक न्यायालयों में 63 स्वीकृत पद हैं। जबकि हकीकत में मात्र 42 कर्मचारी ही काम करते हैं। याचिका में आरोप लगाया गया है कि राज्य सरकार से बार-बार अनुरोध करने के बावजूद शेष 21 रिक्त पदों पर भर्ती के लिए कोई प्रयास नहीं किए गए हैं।

शपथपत्र प्रस्तुत किया : पिछली सुनवाई में न्यायालय ने इन पदों की भर्ती पर विस्तृत शपथ पत्र दाखिल करने का आदेश दिया था। इसके चलते बुधवार को हुई सुनवाई में राज्य सरकार ने शपथपत्र प्रस्तुत किया, लेकिन अपर्याप्त जानकारी प्रस्तुत करने के कारण न्यायालय ने इसे स्वीकार नहीं किया। अंतिम अवसर देते हुए तारीखों के साथ विस्तृत शपथपत्र दो सप्ताह में दाखिल करने का निर्देश दिया। याचिकाकर्ता की ओर से एड. अरुण पाटील और रजिस्ट्रार जनरल की ओर से एड. रेणुका सिरपुरकर ने पक्ष रखा।

लिफ्ट के प्रस्ताव को क्यों खारिज किया गया? श्रम और औद्योगिक न्यायालयों में लिफ्ट के लिए 49 लाख रुपये का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा गया था। निधि की कमी का हवाला देकर इस मांग को अप्रैल महीने में खारिज कर दिया गया, जैसा कि याचिकाकर्ता संगठन ने आवेदन दाखिल करते हुए कोर्ट को यह बताया। इस पर कोर्ट ने प्रस्ताव को खारिज करने का कारण दो सप्ताह में प्रस्तुत करने का आदेश राज्य सरकार को दिया है।

Created On :   3 July 2025 1:46 PM IST

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