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Nagpur News: राष्ट्रीय स्वास्थ्य अभियान के कर्मियों को राहत, आशा वर्करों में निराशा

- 9 जुलाई को विरोध में मोर्चा
- सरकार की नीति के खिलाफ रोष
Nagpur News राष्ट्रीय स्वास्थ्य अभियान (एनएचएम) अंतर्गत सेवा देनेवाले हजाराें ठेका कर्मियों को मानधन मिल गया है। हाल ही जनवरी से मई तक बकाया पूरा मानधन नागपुर जिले के 1350 कर्मचारियों को मिला है। लेकिन आशा वर्कर और गटप्रवर्तकों में मानधन और सरकार की नीतियों के खिलाफ असंतोष है। उन्हें जनवरी से जनवरी नहीं मिला है। सरकार ने जल्दी कोई निर्णय नहीं लिया तो जिले की 3050 आशा वर्कर और 100 गटप्रवर्तक ने नागपुर के सुभाष रोड से सरकार के खिलाफ मोर्चा निकालने का निर्णय लिया है।
जनवरी से नहीं मिला मानधन, गुजारा हुआ मुश्किल : आशा वर्कर व गट प्रवर्तकों को जनवरी से वेतन नहीं मिला है। इससे उनका गुजारा करना मुश्किल हो चुका है। यदि सरकार ने उनके मानधन को लेकर गंभीरता नहीं दिखायी तो आनेवाली 9 तारीख को मोर्चा निकाला जाएगा। इसके बाद एक बड़ा आंदोलन करने की दिशा में निर्णय लिया जानेवाला है। नागपुर के शहरी क्षेत्र में 1150 और ग्रामीण में 1900 आशा वर्कर और पूरे जिले में 100 गटप्रवर्तक मानधन का इंतजार कर रहे हैं।
आशा व गटप्रवर्तक कर्मचारी यूनियन नागपुर के पदाधिकारियों ने बताया कि केंद्र और राज्य सरकार आशा वर्कर और गटप्रवर्तकों के साथ अन्याय कर रही हैं। यूनियन ने केंद्र का जनवरी 2025 से लंबित मानधन और राज्य का मार्च 2025 से रुका हुआ मानधन तत्काल देने की मांग की है। बताया गया कि बिना मानधन के भी आशा वर्कर्स पर विभिन्न ऑनलाइन सर्वेक्षण पूरे करने का दबाव डाला जा रहा है। काम के तनाव के चलते आशा वर्कर्स को स्वास्थ्य समस्याओं से जुझना पड़ रहा है। इसलिए हर 6 महीने में आशा वर्कर्स की स्वास्थ्य जांच की जानी चाहिए। उन्हे हर महीने की पहली तारीख को मानधन मिलना चाहिए। ऐसी मांग की गई है।
सरकार की नीति को लेकर असंतोष : राष्ट्रीय स्वास्थ्य अभियान महाराष्ट्र की ओर से 13 जून 2025 को जारी अधिसूचना में स्पष्ट किया गया कि आशा वर्कर कोई सरकारी या संविदा कर्मचारी नहीं हैं, बल्कि स्वयंसेविका हैं। साथ ही इसमें 60 वर्ष की आयुसीमा तय की गई है। यूनियन ने सवाल उठाया कि जब वह स्वयंसेविका हैं तो, उन पर आयु सीमा किस आधार पर लागू की जा रही है? यदि सरकार उन्हें 60 वर्ष में कार्य से हटाना चाहती है, तो उन्हें सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए या सेवा समाप्ति के बाद ₹5 लाख की एकमुश्त सहायता राशि और ₹10,000 मासिक पेंशन दी जाए।
पदाधिकारियों ने बताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री, राजस्व मंत्री, वित्त मंत्री और स्वास्थ्य मंत्री से कई बार पत्राचार और संवाद किया, लेकिन कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया। आशा व गटप्रवर्तकों को समायोजन में भी शामिल नहीं किया गया है। सरकार की नीति के कारण उनके साथ अन्याय हो रहा है। राजेंद्र साठे, प्रीती मेश्राम, लक्ष्मी कोत्तेजवार, रंजना पौनीकर, माया कावले, सोनम सोनवणे और सुनीता पकीडे आदि ने कहा है कि सरकार ने जल्दी कोई सकारात्मक निर्णय नहीं लिया तो राज्यव्यापी हड़ताल और बड़ा आंदोलन किया जाएगा।
Created On :   3 July 2025 3:41 PM IST