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दैनिक भास्कर हिंदी: रेमो डिसूजा को राहत नहीं, हाईकोर्ट ने कहा - विलफुल डिफॉल्टर घोषित करने से पहले नियमों का पालन करें बैंक

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने फिल्म निर्देशक व बॉलीवुड के सुप्रसिद्ध कोरियोग्राफर रेमो डिसूजा की ओर से दायर किए अग्रिम जमानत आवेदन को खारिज कर दिया है। डिसूजा धोखाधड़ी के एक मामले में आरोपी हैं। जिसको लेकर उत्तरप्रदेश की एक कोर्ट ने उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है। हाईकोर्ट ने कहा कि उत्तरप्रदेश की बीते 23 अक्टूबर को डिसूजा गाजियाबाद की मैजिस्ट्रेट कोर्ट के सामने हाजिर रहने में विफल रहे थे जिसके कारण कोर्ट ने उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है। इस मामले में गिरफ्तारी की आशंका को देखते हुए अग्रिम जमानत व वारंट को रद्द करने की मांग को लेकर डिसूजा ने हाईकोर्ट में आवेदन दायर किया था। गुरुवार को अवकाशकालीन न्यायमूर्ति केके तातेड के सामने डिसूजा के आवेदन पर सुनवाई हुई। इस दौरान अतिरिक्त सरकारी वकील जयेश याज्ञनिक ने कहा कि पुलिस को अब तक उत्तरप्रदेश कोर्ट की ओर से जारी किए गए वारंट की प्रति नहीं मिली है। ऐसे में फिलहाल डिसूजा के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी। इस बात को रिकार्ड में लेते हुए न्यायमूर्ति ने डिसूजा के आवेदन को खारिज कर दिया। डिसूजा के खिलाफ उत्तर प्रदेश के कारोबारी सतेंद्र त्यागी ने पांच करोड़ रुपए की धोखाधड़ी के आरोप को लेकर शिकायत दर्ज कराई है। त्यागी के अनुसार डिसूजा ने उनसे यह रकम फिल्म ‘अमर मस्ट डाइ’ में निवेश करने के लिए ली थी। उन्होंने दो गुनी रकम वापस करने का वादा किया था। लेकिन बाद में डिसूजा ने यह रकम त्यागी को नहीं लौटाई और उलटे उसे माफिया सरगनाओं से धमकी भी दिलाई। गाजियाबाद कोर्ट में मामले से जुड़ा मुकदमा चल रहा है।
विलफुल डिफॉल्टर घोषित करने से पहले नियमों का पालन करें बैंकः हाईकोर्ट
उधर विलफुल डिफॉल्टर (जानबूझ कर कर्ज न लौटाने) की सूची तैयार करते समय बैंक की मनमानी पर रोक लगाने के लिए रिजर्व बैंक आफ इंडिया (आरबीआई) ने परिपत्र जारी किया है। इस सूची में किसी का नाम शामिल करने से पहले उस शख्स का पक्ष सुना जाना जरुरी है। विलुफुल डिफॉल्टर के मामले के से जुड़े नियम सिर्फ अौपचारिकता मात्र नहीं है। बांबे हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में यह बात साफ करते हुए रुचि सोया इंडस्ट्री लिमिटेड के गैर पूर्णकालिक निदेशक कैलाश शहरा को राहत प्रदान की है। आईडीबीआई बैंक ने शहरा को विलफुल डिफॉल्टर की सूची में डाल दिया था। जिसके खिलाफ शहरा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। शहरा ने अपनी याचिका में दावा किया था कि वे कंपनी के रोजाना के कामकाज और उसके अहम फैसले लेने की प्रक्रिया से नहीं जुड़े थे। वे कंपनी के पूर्णकालिक निदेशक भी नहीं थे। फिर भी बैंक ने उन्हें विलफुल डिफॉल्टर की सूची में डाल दिया है। ऐसा करते समय उनके पक्ष को नहीं सुना गया है। बैंक ने इस मामले में प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का पालन नहीं किया है। चूंकी मैं कंपनी की ओर से गारेंटर था इसलिए बैंक ने उन्हें जुलाई 2017 में कारण बताओं नोटिस जारी किया। लेकिन मुझे बैंक की कमेटी के सामने अपना पक्ष रखने का अवसर नहीं दिया। इसके साथ ही बैंक की ओर से मुझे विलफुल डिफॉल्टर से जुड़ी आइडेंटिफिकेशन व रिव्यू कमेटी के दस्तावेज भी नहीं दिए गए। आरबीआई ने एक मास्टर सर्कुलर जारी कर साफ किया है कि विलफुल डिफॉल्टर से जुड़ी कार्रवाई के दौरान नियमों का पालन किया जाए। एक बार बैंक ने मुझे अपना पक्ष रखने का अवसर दिया था लेकिन निजी परेशानी के कारण मैं बैंक की कमेटी के सामने उपस्थित नहीं हो पाया था। इसलिए मुझे बैंक की कमेटी के सामने अपना पक्ष रखने का अवसर प्रदान किया जाए। वहीं बैंक की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता ने कहा कि कंपनी ने बैंक के करोड़ो रुपए का भुगतान नहीं किया है। इसलिए कंपनी व उसके कई निदेशकों के खिलाफ बैंक ने कार्रवाई शुरु की है। हमने नियमों के तहत याचिकाकर्ता का नाम विलफुल डिफॉल्टर की सूची में डाला है। इसलिए कोर्ट के इस मामले में हस्तक्षेप करने की जरुरत नहीं महसूस हो रही है। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने व इस विषय पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए फैसलों पर गौर करने के बाद न्यायमूर्ति एससी धर्माधिकारी की खंडपीठ ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने भी माना है कि विलफुल डिफॉल्टर घोषित करने को लेकर नियमों का पालन किया जाना चाहिए। अन्यथा बैंक मनमानी तरीके से काम करने लगेंगे। खंडपीठ ने कहा कि इस मामले में हम सिर्फ याचिकाकर्ता को राहत प्रदान कर रहे हैं। बैंक याचिकाकर्ता को अपनी बात रखने का अवसर प्रदान करे। इसके बाद याचिकाकर्ता को विलफुल डिफॉल्टर घोषित करने के बारे में निष्कर्ष निकाला जाए। खंडपीठ ने बैंक की रिव्यू कमेटी को चार सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ता का पक्ष सुनने के बाद निर्णय लेने को कहा है।
कॉपी राईट उलंघन मामले में विवो को एक करोड़ जमा करने का आदेश
वहीं बांबे हाईकोर्ट ने मोबाइल निर्माता कंपनी विवो कंपनी को कापीराइट से जुड़े नियमों के उल्लंघन के लिए कोर्ट में एक करोड़ रुपए जमा करने का निर्देश दिया है। ब्रांड डेविड कम्युनिकेशन ने इस संबंध में हाईकोर्ट में दावा दायर कर 11 करोड़ रुपए के मुआवजे की मांग की है। न्यायमूर्ति बीपी कुलाबावाला के सामने इस मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी करनेवाले वरिष्ठ अधिवक्ता डा विरेंद्र तुलझापुरकर ने दावा किया कि साल 2018 में उनके मुवक्किल ने विवो मोबाईल को वी 15 मॉडल के मार्केटिंग से जुड़ा प्रस्ताव भेजा था। इस प्रस्ताव के लिए 10 लाख रुपए के भुगतान की बात तय हुई थी। विवो ने इसके लिए रजामंदी भी जाहिर की थी। लेकिन बाद में विवो ने कह दिया कि उसे अपने मोबाईल मॉडल ‘विवो 15’ प्रचार के लिए ब्रांड डेविड की सेवा की जरुरत नहीं है। इसके बाद विवो इस बात पर राजी हुआ था कि मेरे मुवक्किल ने प्रस्ताव के रुप में जो सामाग्री भेजी है वह ब्रांड डेविड कम्युनिकेशन की बौध्दिक संपदा है। किंतु साल 2019 में उनके मुवक्किल तब आश्चर्यचकित रह गए जब विवो 17 प्रो मॉडल के प्रचार के लिए विवो 15 वाली सामाग्री का इस्तेमाल किया गया । यह कॉपीराइट से जुड़े नियमों का उल्लंघन है। वहीं विवो की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता व्यक्टेश धोंड ने कहा कि इस मामले से कोई भी गोपनीय सूचना नहीं जुड़ी है। नियमानुसार आइडिया पर कोई कॉपीराइट नहीं होता। विवो 15 व विवो प्रो 17 के प्रचार प्रसार की सामाग्री में काफी भिन्नता है। यह दावा सिर्फ पैसे की वसूली के लिए किया गया है। उन्होंने कहा कि मेरे मुवक्किल मोबाइल फोन के प्रमोशन के लिए 50 करोड़ रुपए खर्च कर फिल्म तैयार की है। जिसके प्रदर्शन के लिए अलग-अलग जगह टाइम स्लाट बुक कर लिए गए हैं। ऐसे में यदि कोई आदेश जारी किया जाता है तो इससे विवो को नुकसान उठाना पड़ेगा। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति ने कहा कि प्रथम दृष्टया याचिकाकर्ता की ओर से प्रमोशन को लेकर दी गई सामाग्री व विवो की ओर से प्रो 17 मॉडल के लिए तैयार की गई प्रमोशनल फिल्म में काफी समानता दिख रही है। इसलिए जब तक अंतरिम राहत के मुद्दे पर सुनवाई पूरी नहीं हो जाती है तब तक विवो कोर्ट में एक करोड़ रुपए बैंक गारंटी के रुप में जमा करे। अगले सप्ताह इस मामले को लेकर सुनवाई हो सकती है।
स्वास्थ्य योजना: आरोग्य संजीवनी पॉलिसी खरीदने के 6 फ़ायदे
डिजिटल डेस्क, भोपाल। आरोग्य संजीवनी नीति का उपयोग निस्संदेह कोई भी व्यक्ति कर सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह बिल्कुल सस्ती है और फिर भी आवेदकों के लिए कई गुण प्रदान करती है। यह रुपये से लेकर चिकित्सा व्यय को कवर करने में सक्षम है। 5 लाख से 10 लाख। साथ ही, आप लचीले तंत्र के साथ अपनी सुविधा के आधार पर प्रीमियम का भुगतान कर सकते हैं। आप ऑफ़लाइन संस्थानों की यात्रा किए बिना पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन कर सकते हैं। आरोग्य संजीवनी नीति सामान्य के साथ-साथ नए जमाने की उपचार सेवाओं को भी कवर करने के लिए लागू है। इसलिए, यह निस्संदेह आज की सबसे अच्छी स्वास्थ्य योजनाओं में से एक है।
• लचीला
लचीलापन एक बहुत ही बेहतर पहलू है जिसकी किसी भी प्रकार की बाजार संरचना में मांग की जाती है। आरोग्य संजीवनी पॉलिसी ग्राहक को अत्यधिक लचीलापन प्रदान करती है। व्यक्ति अपने लचीलेपन के आधार पर प्रीमियम का भुगतान कर सकता है। इसके अलावा, ग्राहक पॉलिसी के कवरेज को विभिन्न पारिवारिक संबंधों तक बढ़ा सकता है।
• नो-क्लेम बोनस
यदि आप पॉलिसी अवधि के दौरान कोई दावा नहीं करते हैं तो आरोग्य संजीवनी पॉलिसी नो-क्लेम बोनस की सुविधा देती है। उस स्थिति में यह बोनस आपके लिए 5% तक बढ़ा दिया जाता है। आपके द्वारा बनाया गया पॉलिसी प्रीमियम यहां आधार के रूप में कार्य करता है और इसके ऊपर यह बोनस छूट के रूप में उपलब्ध है।
• सादगी
ग्राहक के लिए आरोग्य संजीवनी पॉलिसी को संभालना बहुत आसान है। इसमें समान कवरेज शामिल है और इसमें ग्राहक के अनुकूल विशेषताएं हैं। इस पॉलिसी के नियम और शर्तों को समझने में आपको ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी। इससे पॉलिसी खरीदना आसान काम हो जाता है।
• अक्षय
आरोग्य संजीवनी स्वास्थ्य नीति की वैधता अवधि 1 वर्ष है। इसलिए, यह आपके लिए अपनी पसंद का निर्णय लेने के लिए विभिन्न विकल्प खोलता है। आप या तो प्रीमियम का भुगतान कर सकते हैं या योजना को नवीनीकृत कर सकते हैं। अंत में, आप चाहें तो योजना को बंद भी कर सकते हैं।
• व्यापक कवरेज
यदि कोई व्यक्ति आरोग्य संजीवनी पॉलिसी के साथ खुद को पंजीकृत करता है तो वह लंबा कवरेज प्राप्त कर सकता है। यह वास्तव में स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों से संबंधित बहुत सारे खर्चों को कवर करता है। इसमें दंत चिकित्सा उपचार, अस्पताल में भर्ती होने के खर्च आदि शामिल हैं। अस्पताल में भर्ती होने से पहले से लेकर अस्पताल में भर्ती होने के बाद तक के सभी खर्च इस पॉलिसी द्वारा कवर किए जाते हैं। इसलिए, यह नीति कई प्रकार के चिकित्सा व्ययों के खिलाफ वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने की दिशा में एक समग्र दृष्टिकोण है।
• बजट के अनुकूल
आरोग्य संजीवनी स्वास्थ्य योजना एक व्यक्ति के लिए बिल्कुल सस्ती है। यदि आप सीमित कवरेज के लिए आवेदन करते हैं तो कीमत बिल्कुल वाजिब है। इसलिए, जरूरत पड़ने पर आप अपने लिए एक अच्छी गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य देखभाल का विकल्प प्राप्त कर सकते हैं।
निष्कर्ष
आरोग्य संजीवनी नीति समझने में बहुत ही सरल नीति है और उपरोक्त लाभों के अलावा अन्य लाभ भी प्रदान करती है। सभी सामान्य बीमा कंपनियां ग्राहकों को यह पॉलिसी सुविधा प्रदान करने के लिए बाध्य हैं। हालांकि, यह सरकार द्वारा प्रायोजित नहीं है और ग्राहक को इस पॉलिसी की सेवाएं प्राप्त करने के लिए भुगतान करना होगा। इसके अलावा, अगर वह स्वस्थ जीवन शैली का पालन करता है और उसे पहले से कोई मेडिकल समस्या नहीं है, तो उसे इस पॉलिसी को खरीदने से पहले मेडिकल टेस्ट कराने की जरूरत नहीं है। हालाँकि, इस नीति के लिए आवेदन करते समय केवल नीति निर्माताओं को ही सच्चाई का उत्तर देने का प्रयास करें।
SSC MTS Cut Off 2023: जानें SSC MTS Tier -1 कटऑफ और पिछले वर्ष का कटऑफ
डिजिटल डेस्क, भोपाल। कर्मचारी चयन आयोग (SSC) भारत में केंद्रीय सरकारी नौकरियों की मुख्य भर्तियों हेतु अधिसूचना तथा भर्तियों हेतु परीक्षा का आयोजन करता रहा है। हाल ही में एसएससी ने SSC MTS और हवलदार के लिए अधिसूचना जारी किया है तथा इस भर्ती हेतु ऑनलाइन आवेदन भी 18 जनवरी 2023 से शुरू हो चुके हैं और यह ऑनलाइन आवेदन 17 फरवरी 2023 तक जारी रहने वाला है। आवेदन के बाद परीक्षा होगी तथा उसके बाद सरकारी रिजल्ट जारी कर दिया जाएगा।
एसएससी एमटीएस भर्ती हेतु परीक्षा दो चरणों (टियर-1 और टियर-2) में आयोग के द्वारा आयोजित की जाती है। इस वर्ष आयोग ने Sarkari Job एसएससी एमटीएस भर्ती के तहत कुल 12523 पदों (हवलदार हेतु 529 पद) पर अधिसूचना जारी किया है लेकिन आयोग के द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार भर्ती संख्या अभी अनिश्चित मानी जा सकती है। आयोग के द्वारा एसएससी एमटीएस भर्ती टियर -1 परीक्षा अप्रैल 2023 में आयोजित की जा सकती है और इस भर्ती परीक्षा हेतु SSC MTS Syllabus भी जारी कर दिया गया है।
SSC MTS Tier 1 Cut Off 2023 क्या रह सकता है?
एसएससी एमटीएस कटऑफ को पदों की संख्या तथा आवेदन करने वाले उम्मीदवारों की संख्या प्रभवित करती रही है। पिछले वर्षों की अपेक्षा इस वर्ष भर्ती पदों में वृद्धि की गई है और संभवतः इस वर्ष आवेदन करने वाले उम्मीदवारों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो सकती है तथा इन कारणों से SSC MTS Cut Off 2023 बढ़ सकता है लेकिन यह उम्मीदवार के वर्ग तथा प्रदेश के ऊपर निर्भर करता है। हालांकि आयोग के द्वारा भर्ती पदों की संख्या अभी तक सुनिश्चित नहीं कि गई है।
SSC MTS Tier 1 Expected Cut Off 2023
हम आपको नीचे दिए गए टेबल के माध्यम से वर्ग के अनुसार SSC MTS Expected Cut Off 2023 के बारे में जानकारी देने जा रहें हैं-
• वर्ग कटऑफ
• अनारक्षित 100-110
• ओबीसी 95 -100
• एससी 90-100
• एससी 80-87
• पुर्व सैनिक 40-50
• विकलांग 91-95
• श्रवण विकलांग 45-50
• नेत्रहीन 75-80
SSC MTS Cut Off 2023 – वर्ग के अनुसार पिछले वर्ष का कटऑफ
उम्मीदवार एसएससी एमटीएस भर्ती हेतु पिछले वर्षों के कटऑफ को देखकर SSC MTS Cut Off 2023 का अनुमान लगा सकते हैं। इसलिए हम आपको उम्मीदवार के वर्गों के अनुसार SSC MTS Previous Year cutoff के बारे में निम्नलिखित टेबल के माध्यम से बताने जा रहे हैं-
• वर्ग कटऑफ
• अनारक्षित 110.50
• ओबीसी 101
• एससी 100.50
• एससी 87
• पुर्व सैनिक 49.50
• विकलांग 93
• श्रवण विकलांग 49
• नेत्रहीन 76
SSC MTS के पदों का विवरण
इस भर्ती अभियान के तहत कुल 11994 मल्टीटास्किंग और 529 हवलदार के पदों को भरा जाएगा। योग्यता की बात करें तो MTS के लिए उम्मीदवार को भारत के किसी भी मान्यता प्राप्त बोर्ड से कक्षा 10वीं उत्तीर्ण होना चाहिए। इसके अलावा हवलदार के पद के लिए शैक्षणिक योग्यता यही है।
ऐसे में परीक्षा की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए यह बेहद ही जरूरी है, कि परीक्षा की तैयारी बेहतर ढंग से करें और परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करें।
रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय: वेस्ट जोन इंटर यूनिवर्सिटी क्रिकेट टूर्नामेंट का पहला मैच रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय ने 4 रनों से जीत लिया
डिजिटल डेस्क, भोपाल। रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के स्पोर्ट ऑफिसर श्री सतीश अहिरवार ने बताया कि राजस्थान के सीकर में वेस्ट जोन इंटर यूनिवर्सिटी क्रिकेट टूर्नामेंट का आज पहला मैच आरएनटीयू ने 4 रनों से जीत लिया। आज आरएनटीयू विरुद्ध जीवाजी यूनिवर्सिटी ग्वालियर के मध्य मुकाबला हुआ। आरएनटीयू ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया। आरएनटीयू के बल्लेबाज अनुज ने 24 बॉल पर 20 रन, सागर ने 12 गेंद पर 17 रन और नवीन ने 17 गेंद पर 23 रन की मदद से 17 ओवर में 95 रन का लक्ष्य रखा। लक्ष्य का पीछा करने उतरी जीवाजी यूनिवर्सिटी की टीम निर्धारित 20 ओवर में 91 रन ही बना सकी। आरएनटीयू के गेंदबाज दीपक चौहान ने 4 ओवर में 14 रन देकर 3 विकेट, संजय मानिक ने 4 ओवर में 15 रन देकर 2 विकेट और विशाल ने 3 ओवर में 27 रन देकर 2 विकेट झटके। मैन ऑफ द मैच आरएनटीयू के दीपक चौहान को दिया गया। आरएनटीयू के टीम के कोच नितिन धवन और मैनेजर राहुल शिंदे की अगुवाई में टीम अपना श्रेष्ठ प्रदर्शन कर रही है।
विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. ब्रह्म प्रकाश पेठिया, कुलसचिव डॉ. विजय सिंह ने खिलाड़ियों को जीत की बधाई और अगले मैच की शुभकामनाएं दीं।
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