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कोश्यारी के बयान से भाजपा सांसद नाराज, कांग्रेस ने की माफी मांगने की मांग
डिजिटल डेस्क, मुंबई। छत्रपति शिवाजी महाराज पर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के बयान को लेकर विवाद पैदा हो गया है। राज्यपाल ने रविवार को औरंगाबाद के एक कार्यक्रम में समर्थ रामदास को शिवाजी महाराज का गुरु बताया था। राज्यपाल ने कहा था कि समर्थ के बिना शिवाजी महाराज को कौन पूछेगा? उनके इस बयान पर शिवजी महाराज के वशंज व भाजपा सांसद उदयनराजे के अलावा विपक्षी दलों ने भी नाराजगी जताई है।
इस पर सोमवार को भाजपा के राज्यसभा सांसद श्रीमंत छत्रपति उदयनराजे भोसले ने राज्यपाल के बयान को लेकर नाराजगी जताई। वहीं राज्यपाल के खिलाफ महाविकास आघाड़ी के तीनों घटक दल भी आक्रामक हो गए हैं। महाविकास आघाड़ी के कार्यकर्ताओं ने कई जगहों पर राज्यपाल के खिलाफ आंदोलन भी किया है। भाजपा सांसद भोसले ने कहा कि शिवाजी महाराज की गुरु राजमाता जिजाबाई थीं। इसलिए यह कहना गलत होगा कि समर्थ के बिना शिवाजी महाराज को कौन पूछेगा? भोसले ने कहा कि कोश्यारी राज्यपाल जैसे बड़े पद पर बैठे हैं। उन्होंने इतिहास जानकर बयान दिया होता तो ज्यादा उचित होता। भोसले ने कहा कि राज्यपाल को अपना बयान वापस लेना चाहिए। हम इतिहास को नहीं बदल सकते हैं।
राकांपा सांसद सुप्रिया सुले ने राज्यपाल के बयान की आलोचना की है। सुले ने ट्वीटर पर राकांपा अध्यक्ष शरद पवार के एक भाषण को साझा किया है। जिसमें पवार ने कहा था कि कुछ लोग कहते हैं कि शिवाजी महाराज के गुरु समर्थ रामदास थे। यह साफ झूठ है। शिवाजी महाराज की गुरु राजमाता जिजाबाई थीं। सुले ने एक अन्य ट्वीट में कहा कि बाम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद खंडपीठ के 16 जुलाई 2018 के आदेश के अनुसार शिवाजी महाराज और रामदास के बीच मुलाकात के कोई सबूत नहीं हैं। छत्रपति शिवाजी महाराज महाराष्ट्र के देवता हैं और वे पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की संस्कृति में पले-बढ़े कोश्यारी ने जिस तरह ने जिस तरह शिवाजी महाराज का अपमान किया है, उसे महाराष्ट्र कभी बर्दाश्त नहीं करेगा।
राज्यपाल को वापस बुलाए केंद्र सरकारः पटोले
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि छत्रपति शिवाजी का अपमान करने के लिए राज्यपाल कोश्यारी को सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए। पटोले ने कहा कि रामदास स्वामी छत्रपति शिवाजी महाराज के गुरु नहीं थे, इसके बावजूद पिछले कुछ वर्षों में कुछ इतिहासकारों ने जानबूझकर इतिहास को विकृत करने के उद्देश्य से रामदास स्वामी को छत्रपति शिवाजी महाराज का गुरु बनाने की कोशिश की है। पटोले ने कहा कि भगत सिंह कोश्यारी संवैधानिक पद पर बैठे हैं, लेकिन वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मिशन को अंजाम देते हुए इतिहास को तोड़ने-मरोड़ने का काम कर रहे हैं। ऐसे व्यक्ति को राज्यपाल के पद पर बैठने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है और केंद्र सरकार को चाहिए कि उन लोगों को वापस बुला ले, जिन्होंने राज्यपाल पद की गरिमा को खत्म किया है । प्रदेश के आपदा प्रबंधन मंत्री विजय वडेड्टीवार ने कहा कि राज्यपाल के बयान से शिवाजी महाराज के प्रेमियों की भावना आहत हुई है। ऐसा लगता है कि राज्यपाल ने हिमालय में अध्ययन किया है जहां पर सभी लोगों को गुरु की जरुरत पड़ती है।
राज्यपाल के खिलाफ करुंगा मानहानि का मुकदमा
राकांपा विधायक अमोल मिटकरी ने कहा कि राज्यपाल महाराष्ट्र से माफी मांगें नहीं तो मैं उनके खिलाफ मानहानि का दावा करूंगा। इसके अलावा संभाजी बिग्रेड समेत अन्य संगठनों ने राज्यपाल के बयान का विरोध किया है।
क्या कहा था राज्यपाल ने
इसके पहले रविवार को औरंगाबाद में आयोजित श्री समर्थ साहित्य परिषद में राज्यपाल ने समर्थ रामदास को शिवाजी महाराज का गुरु बताते हुए कहा था कि समर्थ के बिना शिवाजी महाराज को कौन पूछेगा? राज्यपाल ने कहा कि मैं शिवाजी महाराज को छोटा नहीं बता रहा हूं। भारत में गुरु और शिष्य की बहुत बड़ी परंपरा रही है।
Created On :   28 Feb 2022 8:44 PM IST