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जिला परिषद चुनाव में होगी भाजपा की अग्निपरीक्षा
डिजिटल डेस्क, नागपुर। जिला परिषद में साढ़े सात वर्ष सत्ता में रही भाजपा की इस चुनाव में अग्निपरीक्षा है। विधानसभा चुनाव में ग्रामीण मतदाताओं ने भाजपा के विरोध में मतप्रदर्शन कर नाराजगी प्रकट की है। वर्ष 2014 के चुनाव में ग्रामीण क्षेत्र की 6 विधानसभा सीटों में भाजपा का 5 सीटों पर कब्जा रहा। इस चुनाव में सिर्फ 2 सीटों पर लाकर खड़ा कर दिया है। राज्य में सत्ता की कुर्सी तक पहुंचने के लिए भाजपा के पसीने छूट रहे हैं। इन हालातों में जिला परिषद चुनाव में बाजी मारना भाजपा के लिए आसान नहीं है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि बदलते राजनीतिक समीकरणों का कांग्रेस काे लाभ मिल सकता है। इसे भुनाने के लिए कांग्रेस को आपसी गुटबाजी छोड़कर ताकत झोंकनी जरूरी है।
वर्ष 2009 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के 3, शिवसेना 1, कांग्रेस तथा राष्ट्रवादी कांग्रेस के एक-एक विधायक चुनकर आए थे। इसके बाद वर्ष 2012 में जिला परिषद चुनाव हुए। जिला परिषद चुनाव में इसके परिणाम सामने आए। भाजपा 21 सीटों पर जीत दर्ज कर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरकर सामने आई। दूसरे नंबर पर कांग्रेस के 19 सदस्य चुनाव जीत गए। शिवसेना 8 और राष्ट्रवादी कांग्रेस के 7 सदस्य चुनाव जीत पाए। पहले टर्म में ढाई वर्ष के लिए भाजपा ने राष्ट्रवादी कांग्रेस के साथ हाथ मिलाकर सत्ता काबिज कर ली। परस्पर वैचारिक मतभेद के चलते भाजपा, राकांपा का गठबंधन ज्यादा समय नहीं चल पाया।
दूसरे टर्म में मित्रदल शिवसेना के साथ दिलजमाई होकर भाजपा सत्ता में आई। ढाई वर्ष कार्यकाल समाप्त होने के बाद और ढाई वर्ष अतिरिक्त कार्यकाल तक सत्ता में बनी रही। स्थानीय स्वराज संस्था पर 13 वर्ष प्रशासकराज समाप्त होने के बाद वर्ष 1997 में हुए चुनाव में भाजपा, शिवसेना सत्ता में आई। पहली बार भाजपा का अध्यक्ष बना। अगले पांच वर्ष में राजनीतिक समीकरण बदल गया। कांग्रेस सत्ता में आई। सुरेश भोयर अध्यक्ष बने। वर्ष 2009 के चुनाव में भाजपा, सेना सत्ता ने सत्ता काबिज की। इस बीच भाजपा के कुछ सदस्य कांग्रेस में चले जाने से सत्ता का तख्त पलट गया। ढाई वर्ष बाद पुन: कांग्रेस के सुरेश भोयर अध्यक्ष बने। वर्ष 2012 के चुनाव में भाजपा के 21 सदस्य चुनकर आने से सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरकर सामने आई। पहले टर्म में राकांपा के साथ मिलकर भाजपा सत्ता पर आसीन हुई। दूसरे टर्म में राकांपा को छोड़ शिवसेना, बसपा से हाथ मिलकर जिला परिषद बर्खास्त होने तक भाजपा सत्ता में बनी रही।
डीबीटी का असर
दो वर्ष पूर्व व्यक्तिगत लाभ योजनाओं के लिए डीबीटी लागू कर दी गई है। कोई भी व्यक्ति को लाभ उठाने के लिए पहले अपनी जेब से लाभ वस्तु खरीदी करनी पड़ती है। इसके बाद अनुदान उसके खाते में जमा किया जाता है। गरीबों की जेब में पैसा नहीं रहने से वस्तु खरीद नहीं पा रहे हैं। नतीजा सरकार की अनुदान का लाभ नहीं मिल पा रहा है। जब से व्यक्तिगत लाभ योजना को डीबीटी लागू की गई है, एक चौथाई लाभार्थी भी योजना का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। जिला परिषद के माध्यम से चलाए जाने वाली सभी व्यक्तिगत योजनाओं पर डीबीटी लागू किए जाने से ग्रामीण क्षेत्र में नाराजगी है। जानकारों का मानना है कि विधानसभा चुनाव में मतदाताओं ने सत्ता के िवरोध में मतप्रदर्शन कर अपना रोष प्रकट किया है।
जिप में दलगत स्थिति
भाजपा : 21
कांग्रेस : 19
शिवसेना : 8
राकांपा : 7
बसपा : 1
रिपाइं : 1
गोंगपा : 1
Created On :   3 Nov 2019 4:59 PM IST