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RTI : बोगस प्रमाण पत्र के चलते मुंबई के 21 नगरसेवकों ने गवाएं पद, नहीं दर्ज हुए आपराधिक मामले
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डिजिटल डेस्क, मुंबई। पिछले तीन चुनावों में बोगस जाति प्रमाण पत्र के चलते मुंबई महानगर पालिका के 21 नगरसेवकों को अपना पद गंवाना पड़ा है, लेकिन हैरानी की बात ये है कि पद गंवाने वाले किसी भी नगर सेवक के खिलाफ फर्जीवाड़े के आरोप में एफआईआर नहीं हुई है। सूचना के अधिकार (आरटीआई) के जरिए मांगी गई जानकारी से इसका खुलासा हुआ है। इस दौरान जिन नगरसेवकों का निर्वाचन फर्जी जाति प्रमाणपत्र की वजह से रद्द हुआ है उनमें मुंबई के मौजूदा महापौर विश्वनाथ महाडेश्वर का नाम भी शामिल है।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुंबई महानगर पालिका के सेक्रेटरी डिपार्टमेंट से पिछले तीन चुनावों में जिन नगरसेवकों के पद विभिन्न कारणों से रद्द हुए उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर की जानकारी मांगी थी, लेकिन एफआईआर दर्ज कराने की जिम्मेदारी को लेकर लीगल, सेक्रेटरी और इलेक्शन डिपार्टमेंट पल्ला झाड़ रहे हैं। गलगली के मुताबिक सेक्रेटरी विभाग ने आरटीआई लीगल और इलेक्शन विभाग को ट्रांसफर कर दिए। इसके बाद डिप्टी लीगल ऑफीसर अनंत काजरोलकर ने दावा किया कि मामले में किसी भी नगरसेवक या नगरसेविका पर एफआईआर दर्ज नहीं की गई है।
उन्होंने स्पष्टीकरण देते हुए जानकारी दी कि स्मॉल कॉज कोर्ट में जरूरत के मुताबिक दावा दायर करने और याचिकाकर्ताओं के मुकदमे पर मनपा अपना पक्ष रखती है, लेकिन एफआईआर दर्ज करने से जुड़ी जानकारी उसके पास नहीं है। इसके बाद इलेक्शन डिपार्टमेंट ने जानकारी दी कि पिछले तीन चुनावों में 21 नगसेवकों के पद जाति के फर्जीवाड़े के चलते रद्द किए गए हैं लेकिन उसका काम चुनाव करवाना है एफआईआर करवाना नहीं। वहीं डिप्टी लीगल ऑफीसर एसडी फुलसुंगे ने कहा कि विभाग सिर्फ मनपा का पक्ष रखता है।
गलगली ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को खत लिखकर मांग की है कि फर्जीवाडे के चलते नगरसेवक पद रद्द होने पर संबंधित नगरसेवक के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की जिम्मेदारी किसी विभाग को देनी चाहिए। साथ ही ऐसे नगरसेवकों के दोबारा चुनाव लड़ने पर भी रोक लगाई जानी चाहिए।
Created On :   7 Feb 2019 7:32 PM IST