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बांबे हाईकोर्ट ने नाबालिग लड़की को 26 सप्ताह के एबार्शन की नहीं दी परमिशन
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने एक नाबालिग लड़की को गर्भपात की अनुमति देने से इंकार कर दिया। विशेषज्ञ कमेटी की रिपोर्ट पर गौर करने के बाद अदालत ने पाया कि लड़की व उसके गर्भ में पल रहे भ्रूण की स्थिति ठीक है। इसके बाद कोर्ट ने लड़की को गर्भपात की इजाजत देने से इंकार कर दिया।
9 लोगों पर अपहरण का आरोप
सोलापुर निवासी 17 वर्षीय लड़की के पिता ने याचिका में दावा किया था कि नौ लोगों ने उसकी बेटी का अपहरण किया था। इस दौरान एक लड़के ने उसकी बेटी के साथ जबरन शादी की और उसके साथ संबंध बनाए। जिसके चलते मेरी बेटी गर्भवती हुई है। यह यौन शोषण का मामला है। इसलिए उनकी बेटी को 26 सप्ताह के भ्रूण के गर्भपात की इजाजत दी जाए। इसके अलावा उनकी बेटी की उम्र काफी कम है। वह शारीरिक व मानसिक रूप से पैदा होने वाले बच्चे की देखभाल करने में सक्षम नहीं है। इसके साथ ही बच्चे को जन्म देने से उनकी बेटी की जान को भी खतरा हो सकता है।
नियमानुसार 20 सप्ताह से अधिक के भ्रूण का गर्भपात अदालत की अनुमति के बिना नहीं किया जा सकता है। इसलिए नाबालिग लड़की ने अपने पिता के मार्फत हाईकोर्ट में गर्भपात की अनुमति दिए जाने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
आरोपी युवक अपनाने को तैयार
याचिका पर गौर करने के बाद जस्टिस नरेश पाटील व जस्टिस गिरीष कुलकर्णी की बेंच ने केईएम अस्पताल की विशेषज्ञ कमेटी को लड़की का परीक्षण करने का निर्देश दिया था। जांच के बाद कमेटी ने अपनी रिपोर्ट बेंच के सामने पास पेश की। जिसमें साफ किया गया कि लड़की व उसके गर्भ में पल रहे बच्चे की स्थिति ठीक है। ऐसी स्थिति में गर्भपात की इजाजत देना ठीक नहीं होगा। इस दौरान सरकारी वकील ने बेंच को बताया कि लड़की व उसके घरवाले बच्चे को रखने को तैयार नहीं है। इसके बाद बेंच ने सुझाव स्वरुप कहा कि जन्म के बाद बच्चे को एडाप्शन केंद्र को दे दिया जाए। जहां से कोई बच्चे को गोद ले सके। हालांकि मामले में आरोपी युवक ने बच्चे को अपने पास रखने की इच्छा जाहिर की। किंतु लड़की के पिता अपनी बेटी को उसके साथ रखने के लिए तैयार नहीं है।
Created On :   4 Aug 2018 12:40 PM GMT