हाईकोर्ट : असहमति का स्वर भी सुना जाना जरुरी, आपात परिस्थियों में ही लें खाता जब्त करने का फैसला

Bombay High Court : Also needs to be heard voice of disagreement
हाईकोर्ट : असहमति का स्वर भी सुना जाना जरुरी, आपात परिस्थियों में ही लें खाता जब्त करने का फैसला
हाईकोर्ट : असहमति का स्वर भी सुना जाना जरुरी, आपात परिस्थियों में ही लें खाता जब्त करने का फैसला

डिजिटल डेस्क, मुंबई। फिल्मकार आनंद पटवर्धन की फिल्म को इसलिए अस्वीकार नहीं किया गया है कि उसकी विषयवस्तु आलोचनात्मक है बल्कि चयन कमेटी ने फिल्म को देखने के बाद तय मानकों के तहत खारिज किया है। सोमवार को केंद्र सरकार के सूचना प्रसारण मंत्रलाय के फिल्म विभाग की ओर से पैरवी कर रहे एडिशनल सालिसिटर जनरल अनिल सिंह ने बांबे हाईकोर्ट को यह जानकारी दी। इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार असहमति रखने वालों को मंच प्रदान करे क्योंकि विरोधाभासी मत रखने वालों को महसूस होता है कि उन्हें अनसुना कर निशाना बनाया जा रहा है। इससे विश्वस्तर पर यह संदेश जाता है कि असहमति के स्वर को नहीं सुना जा रहा। प्रसंगवश कोर्ट ने उदाहरण के तौर पर कहा कि कल कोई नागरिकता संशोधन कानून पर फिल्म बनाता है और इसे यहां प्रदर्शित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी लेकिन विश्वभर में यह फिल्म लोगों का ध्यान अकर्षित करेगी। लिहाजा सरकार असहमति रखनेवालों को भी मंच प्रदान करे। सरकार के फिल्म विभाग की ओर से मुंबई में डाक्युमेट्री (वृत्त चित्र) व एनिमेशन फिल्मों का इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल का आयोजन किया गया है। 28 जनवरी से शुरु हो रहे पांच दिवसीय इस फिल्म फेस्टिवल में फिल्मकार आनंद पटवर्धन व फिल्मकार पंकज कुमार की फिल्म को दिखाने से इंकार किया गया है। लिहाजा दोनों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में दावा किया था कि फिल्मों को आयोजकों ने क्यों अस्वीकार किया है। इसको लेकर कोई कारण नहीं बताया गया है। याचिका में आशंका जाहिर की गई थी कि चूंकि याचिकाकर्ताओं की फिल्में सरकार की आलोचना करती हैं इस वजह से उनकी फिल्म को आयोजकों ने अस्वीकार किया है। मामले की पिछली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के दौरान सरकार को फिल्मों का चयन करनेवाली कमेटी से जुड़ा ब्यौरा पेश करने का निर्देश दिया था। याचिका में दावा किया गया था कि कमेटी ने मनमाने तरीके से उनकी फिल्मों को खारिज किया है। उनकी फिल्म सामाजिक कार्यकर्ता नरेद्र दाभोलकर, गोविंद पानसरे, एमएम कलबुर्गी, पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या पर आधारित है। सोमवार को यह याचिका न्यायमूर्ति एससी धर्माधिकारी व न्यायमूर्ति रियाज छागला की खंडपीठ के सामने सुनवाई के लिए आयी। इस दौरान एडिशनल सालिसिटर जनरल सिंह ने कहा कि फिल्म फेस्टिवल में प्रदर्शन के लिए फिल्म का चयन करनेवाली कमेटी स्वतंत्र होती है। सरकार की फिल्मों के चयन में कोई भूमिका नहीं होती है। याचिकाकर्ताओं की फिल्म तय मानकों के तहत खारिज की गई है। और उनसे (याचिकाकर्ताओं) बेहतर फिल्मों का चयन किया गया है। याचिकाकर्ताओं के फिल्म की विषय वस्तु अलोचनात्मक है इसलिए उनकी फिल्मों को अस्वीकार नहीं किया गया है। श्री सिंह की ओर से दी गई इन दलीलों के बाद याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका को वापस ले लिया। 

 

आपात परिस्थियों में ही लें खाता जब्त करने का फैसला

इसके अलावा सैध्दांतिक रुप से खाता जब्त करने के अधिकार का इस्तेमाल सामान्य तौर पर नहीं केवल आपात परिस्थिति में ही करना चाहिए। क्योंकि बैंक खाता जब्त करने का आदेश काफी कठोर होता है। बांबे हाईकोर्ट ने यह बात कैंश इंपैक्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के सैध्दांतिक रुप से खाता जब्त करने के आदेश को रद्द करते हुए कही। इनपुट टैक्स क्रेडि़ट में कथित गड़बड़ी को लेकर खुफिया प्रकोष्ठ से मिली जानकारी व संदेह के आधार पर जीएसटी महानिदेशालय ने कंपनी के खाते को जब्त करने का आदेश दिया था। जिसके खिलाफ कंपनी के निदेशक ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। न्यायमूर्ति नितिन जामदार व न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक की खंडपीठ के सामने इस याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान जीएसटी प्राधिकरण की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता प्रदीप जेटली ने कहा कि राजस्व के संरक्षण के लिए जीएसटी निदेशालय को खाते जब्त करने संबंधी अधिकार दिया गया है। इस मामले में नियमानुसार कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की गई है। जबकि याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल के कंपनी को सिर्फ एक समन जारी किया गया है। कानून के तहत खाता जब्त करने को लेकर तय किए गए मानकों का पालन नहीं किया गया। इसलिए खाता जब्त करने के संबंध में दिया गया आदेश कानूनी दायरे में नहीं आता है। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि जीएसटी कानून की धारा 83 के तहत खाता जब्त करने संबंधी अधिकार का इस्तेमाल सीमित परिस्थितियों में करना चाहिए। आम अधिकार की तरह खाता जब्त करने की शक्ति का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इस दौरान खंडपीठ ने सिर्फ समन जारी करने के आधार पर खाता जब्त करने के निर्णय को गलत माना और उसे रद्द कर दिया। 
 

Created On :   27 Jan 2020 2:45 PM GMT

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