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नहीं मिला एड्स फैलाने का सबूत, कोर्ट ने खारिज की याचिका
डिजिटल डेस्क, मुंबई। खतरनाक बीमारी फैलाने के आरोपों को झेल रही एक महिला को बांबे हाईकोर्ट ने राहत प्रदान की है। महिला की बहू ने आरोप लगाया था कि शादी से पहले उसकी सास व रिश्तेदारों ने इस बात को छुपाया था कि उसका बेटा एड्स जैसी खतरनाक बीमारी से पीड़ित है। इस संबंध में उसने कोर्ट में वैद्यकीय सबूत पेश करने के लिए कोर्ट में आवेदन भी दायर किया था।
बहू के दावे के अनुसार सागली के मैजिस्ट्रेट ने सास व अन्य लोगों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 269(जीवन के लिए खतरा मानी जानेवाली बीमारी को फैलाना) व 270 के तहत आरोप भी तय कर दिए। बहू ने अपनी सास व अन्य रिश्तेदारों के खिलाफ दहेज उत्पीड़न (भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए,323 व 506) की शिकायत भी दर्ज कराई है।
बहू ने सास पर लगाए थे आरोप
सागली की निचली अदालत के इस आदेश के खिलाफ सास अंजना पाटील ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। याचिका में पाटील ने मांग की थी कि धारा 269 व 270 के तहत तय किए गए आरोपों को रद्द कर दिया जाए। जस्टिस मृदुला भाटकर के सामने मामले की सुनवाई हुई। मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद जस्टिस ने पाया कि याचिकाकर्ता के बेटे अनिल का साल 2001 में विवाह हुआ। बीमारी के चलते अनिल का साल 2012 में निधन हो गया। वैवाहिक जीवन के 11 से 12 साल तक याचिकाकर्ता की बहू ने कभी भी अपने पति व सास के खिलाफ एड्स जैसी खतरनाक बीमारी फैलाने की शिकायत नहीं की। बहू ने पहली बार साल 2016 में शिकायत दर्ज कराई। जस्टिस को बताया गया कि याचिकाकर्ता की बहू एड्स से पीड़ित नहीं है। इस बात को जानने के बाद जस्टिस ने निचली अदालत के आदेश को खारिज कर दिया और कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 269 व 270 के तहत आरोप तय करने का कोई सबूत नहीं है। इस तरह से हाईकर्ट ने पाटील को राहत प्रदान की।
Created On :   30 March 2019 6:06 PM IST