सदन में उमड़ा भाई-बहन का प्यार,  धनंजय की तारीफ कर गदगद हुई पंकजा 

सदन में उमड़ा भाई-बहन का प्यार,  धनंजय की तारीफ कर गदगद हुई पंकजा 
सदन में उमड़ा भाई-बहन का प्यार,  धनंजय की तारीफ कर गदगद हुई पंकजा 
सदन में उमड़ा भाई-बहन का प्यार,  धनंजय की तारीफ कर गदगद हुई पंकजा 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य की महिला व बाल कल्याण मंत्री पंकजा मुंडे और उनके चचेरे भाई विधान परिषद में विपक्ष के नेता धनंजय मुंडे के बीच की राजनीतिक दुश्मनी जग जाहिर है। लेकिन मंगलवार को विधान परिषद में नजारा बदला-बदला नजर आया। भाई-बहन एक दूसरे की तारीफ करते दिखाई दिए। दरअसल मंगलवार को विधान परिषद में अल्पकालीन चर्चा के माध्यम से आंगनवाड़ी सेविकाओं की विभिन्न समस्याओं पर चर्चा हुई। इस दौरान सदन में विपक्ष के नेता धनंजय मुंडे ने राज्य में कुपोषण की दर घटने को लेकर महिला व बाल विकास विभाग और इस विभाग की मंत्री पंकजा को बधाई दी। मुंडे ने कहा कि राज्य में कुपोषण की दर कम होकर 17 प्रतिशत तक पहुंची है। इसके लिए मैं पंकजा का अभिनंदन करता हूं। इसके जवाब में मंत्री पंकजा ने कहा कि मैं विपक्ष के नेता धनंजय का आभार व्यक्त करती हूं।

कुपोषण को लेकर सदन में हमेशा नकारात्मक चर्चा होती है। लेकिन विपक्ष के नेता ने माना है कि राज्य में कुपोषण की दर में कमी आई है। इससे साफ है कि राज्य के महिला व बाल विकास विभाग ने कुछ ठोस काम किया है। पंकजा ने कहा कि मंत्री बनने के बाद पहली बार मुझे ऐसा अनुभव हुआ कि किसी ने मेरे काम कि तारीफ की है। इसके बाद धनंजय ने कहा कि ऐसा नहीं है कि हम सदन में हमेशा विरोध करने के लिए खड़े ही होते हैं। मैंने तो विभाग के अधिकारियों और मंत्री दोनों को बधाई दी है। इस दौरान सदन में उपसभापति माणिकराव ठाकरे ने मुस्कराते हुए कहा कि आपको आगे भी इस तरह का अनुभव होगा। इसके बाद पंकजा ने कहा कि सरकार आंगनवाड़ी सेविकाओं को विभिन्न सुविधाएं दे रही है। पंकजा ने कहा कि भविष्य में आंगनवाड़ी सेविकाओं की विभिन्न मांगों को लेकर आप ( धनंजय) मेरे पास आइए। मैं आपकी मौजूदगी में आंगनवाड़ी सेविकाओं के साथ बैठक कर समस्याओं को सुलझाने का प्रयास करूंगा।

नहीं बदलेगा मेस्मा लगाने का फैसला
प्रदेश में हड़ताल पर जाने वाली आंगनवाड़ी सेविकाओं पर मेस्मा कानून लगाने संबंधी राज्य सरकार के फैसले पर विधान परिषद में विपक्ष ने जमकर हंगामा किया। विपक्ष के हंगामे के बावजूद प्रदेश की महिला व बाल विकास मंत्री पंकजा मुंडे ने स्पष्ट कर दिया है कि सरकार  मेस्मा कानून लगाने संबंधी फैसले पर कायम रहेगी। मेस्मा कानून नहीं हटाया जाएगा। पंकजा ने कहा कि आंगनवाड़ी सेविकाएं महीने भर हड़ताल पर चली जाती हैं। इससे आंगनवाड़ी में आने वाले बच्चों को पोषण आहार नहीं मिल पाता है। इसलिए आंगनवाड़ी सेविकाओं की सेवा को अतिआवश्यक सेवा अधिनियम में शामिल किया गया है।

सरकार के विधि विभाग के सुझाव के बाद यह फैसला लिया गया है। इस पर विपक्ष के नेता मुंडे ने कहा कि मेस्मा कानून सरकारी कर्मचारियों के लिए लागू किया जाता है। आंगनवाड़ी सेविकाओं को केवल मानधन मिलता है। यदि आंगनवाड़ी सेविकाओं पर मेस्मा लगाना है तो सरकार पहले आंगनवाड़ी सेविकाओं को सांतवा वेतन आयोग और सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाली सुविधाओं को लागू करे। इसके बाद सरकार आंगनवाड़ी सेविकाओं के लिए इस तरह का फैसला ले।

आंगनवाड़ी सेविकाओं की सेवानिवृत्ति आयु 65 वर्ष
इस बीच महिला व बाल विकास मंत्री पंकजा ने बताया कि सरकार ने आंगनवाड़ी सेविकाओं की सेवानिवृत्ति आयु 60 साल से बढ़ा करके 65 साल करने का फैसला लिया गया है। पंकजा ने कहा कि सरकार ने आंगनवाड़ी सेविकाओं का मानधन बढ़ा करके 6500 रुपए किया गया है। पंकजा ने कहा कि अगले साल आंगनवाड़ी सेविकाओं के मानधन में 5 प्रतिशत की बढ़ोतरी की जाएगी। सरकार आंगनवाड़ी सेविकाओं के मानधन पर 926 करोड़ रुपए खर्च करती है जबकि बच्चों के पोषण आहार पर 1236 करोड़ खर्च होता है। इसलिए सरकार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए तत्काल और मानधन बढ़ाना संभव नहीं है।

Created On :   20 March 2018 7:55 PM IST

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