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जमीनी हकीकत : बीएसएनएल ने वेंडरों को दी है कॉपर व फाइबर इंटरनेट कनेक्शन लगाने की जिम्मेदारी
डिजिटल डेस्क, नागपुर। भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) ने 48 से 72 घंटे में इंटरनेट कनेक्शन लगाने (इंस्टाल) का लक्ष्य रखा है, लेकिन पर्याप्त मैन पॉवर (मनुष्यबल) नहीं होने से तय मियाद में कनेक्शन लगाने में परेशानी हो रही है। इंटरनेट फाइबर की स्पीड 300 एमबीपीएस तक होने से जिले में इसकी मांग बढ़ गई है। बीएसएनएल ने इंटरनेट कनेक्शन इंस्टाल करने का काम वेंडरों को दिया है।
इसलिए मांग ज्यादा
बीएसएनएल के जिले में 65 हजार लैंडलाइन, 32 हजार कॉपर (इंटरनेट) व 10 हजार फाइबर (इंटरनेट) है। कॉपर की स्पीड जहां 10 एमबीपीएस है, वहीं फाइबर की स्पीड 300 एमबीपीएस तक है। फाइबर कनेक्शन की स्पीड बहुत ज्यादा होने से उपभोक्ता इसकी ज्यादा मांग कर रहे हैं। महज डेढ़ साल में जिले में फाइबर के 10 हजार इंटरनेट कनेक्शन हो गए हैं आैर एक हजार के करीब अभी लाइन में हैं।
यह है परेशानी
बीएसएनएल हो या वेंडर दोनों के पास मनुष्यबल की कमी है। बीएसएनएल में अब मुश्किल से 450 कर्मचारी रह गए हैं। फाइबर कनेक्शन के लिए केवल मोडम का पैसा देना होता है। वेंडर खुद अपने खर्चे पर इसे इंस्टाल (जोड़ता) करता है। इसके लिए वेंडर को बिल पर 30-50% तक कमिशन दिया जाता है। ग्रामीण में वेंडर का एक कामगार सैकड़ों कनेक्शन देखता है। ग्रामीण में क्षेत्रफल काफी बड़ा होता है। एक या दो कनेक्शन के लिए वेंडर दिलचस्पी नहीं लेता। ऐसे में 10 दिन तक कनेक्शन नहीं लग पाते हैं। ग्रामीण में एक्सचेंज की जिम्मेदारी एक जूनियर टेलीकाम आफिसर (जेटीओ) पर है।
शिकायतें मिलने पर जेटीओ भी मनुष्यबल की कमी का रोना रोते हैं। कनेक्शन की मांग आने पर एक किमी तक केबल डालना वेंडर के लिए ज्यादा खर्चीला होता है। फिजिबिलिटी नहीं होने का कारण बताकर वेंडर उसी एरिया के आैर कनेक्शन की राह देखता है। समूह में कनेक्शन की मांग आने पर काम पर लग जाता है।
Created On :   8 Feb 2021 4:43 PM IST