कैंपो का किराया गोदाम से अधिक, शासन पर पड़ सकता है अतिरिक्त भार

डिजिटल डेस्क,शहडोल। धान उपार्जन के अनेक केंद्रों में अव्यवस्था के बाद अब भंडारण में शासन के नियमों की अनदेखी भी सामने आ रही है। शासन के स्पष्ट निर्देश हैं कि किसानों से खरीदी गई उपज को सुरक्षित भंडारण किया जाए। इसके तहत उपलब्ध गोदामों में सबसे पहले धान का भंडारण कराया जाना है। गोदामों में जगह नहीं बचने की स्थिति में ही ओपन कैप का प्रयोग किया जाए। लेकिन जिले में इसके उलट पहले ओपन केपों में धान भंडारित कराई जा रही है। हालांकि गोदाम आधारित खरीदी केंद्रों की धान वहीं रखवाई जा रही है, लेकिन अभी भी गोदामों में पर्याप्त जगह बची हुई है। इसके बाद भी ओपन कैप फुल कराए जा रहे हैं। जानकारों की मानें तो इसके चलते किराए के रूप में शासन को लाखों का नुकसान उठाना पड़ सकता है।
अनदेखी से दो तरफा हो सकता है नुकसान
गोदामों के स्थान पर पहले ओपन कैप में धान भंडारण से शासन को दो तरफा नुकसान होने की आशंका जताई जा रही है। पहला तो यह कि उपज को गोदामों में ही बेहतर ढंग से सुरक्षित रखा जा सकता है। क्योंकि हर वर्ष ओपन कैप में रखी हजारों क्विंटल धान खराब होती रही हैं। चन्नौड़ी के ओपन केप में अभी भी सैकड़ों क्विंटल सड़ी हुई धान पड़ी हुई है। जो क्षति होती है उसका भुगतान शासन किसानों का कर चुकी होती है। दूसरा नुकसान किराए के रूप में उठाना पड़ सकता है। निजी गोदामोंं का किराया 45 से 60 रुपए प्रति टन ही लगता है, लेकिन कैप का किराया इससे कहीं अधिक 200 से 250 रुपए प्रति टन होता है। यही कारण है कि शासन द्वारा पहले गोदामों में भंडारण के नियम बनाए गए हैं। बताते हैं कि जिले में ओपन केप का ठेका जिस कंपनी को दिया गया है उसे सीधे फायदा पहुंचाने के लिए मिलीभगत कर अधिक धान भंडारित कराई जा रही है।
एक गोदाम में ही बची 8 हजार एमटी की जगह
अनाज भंडारण के लिए निजी व शासकीय मिलाकर जिले में हर ब्लाक मुख्यालय में गोदाम हैं। जिला मुख्यालय स्थित पीजी गोदाम में ही अभी 8 हजार मीट्रिक टन की जगह बची हुई है, जबकि यहां तीन केंद्रों की खरीदी धान व रखी जा चुकी है। अन्य गोदामों में जगह होने बची हुई है। इनकी क्षमता लाखों टन की है। वहीं जिले में 7-8 लाख टन की क्षमता के ओपन कैप हर ब्लाक में बनाए गए हैं। ब्यौहारी में 2, जयसिंहनगर में 3, गोहपारू-छतवई में 1-1 व बुढ़ार के 2 ओपन कैप लगभग फुल हो चुके हैं।
जवाब देने से बचते रहे अधिकारी
गोदामों व ओपन कैप की जिम्मेदारी वेयर हाउसिंग की है। इस विभाग के अधिकारी जवाबदेही से बचते नजर आ रहे हैं। गोदामों एवं ओपन केप में भंडारण की क्या स्थिति है, इस बारे में जब वेयर हाउस के प्रभारी अधिकारी धीरज गुप्ता से पूछा गया तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। जानकारी लेकर बताते हैं यह कहकर मोबाइल रिसीव करना ही बंद कर दिया।
लक्ष्य से अधिक हो चुकी खरीदी
जिले में लक्ष्य से अधिक हो चुकी धान की खरीदी भी सवालों के घेरे में है। वर्तमान में 14 लाख 20 हजार क्विंटल से अधिक की खरीदी हो चुकी है, जबकि अभी करीब 3 हजार किसान उपज लेकर पहुंचे ही नहीं। यहीं नहीं इस बार धान बोनी का रकबा भी कम किया गया था। आरोप लगाए जा रहे हैं कि किसानों के नाम पर पंजीयन कराकर व्यापारियों ने धान बेच दी है। पंजीकृत किसानों द्वारा बेची गई धान की मात्रा की यदि जांच कराई जाए तो सच्चाई सामने आ सकती है।
इनका कहना है
खरीदी केंद्रों से 50 किलोमीटर के दायरे में ही भंडारण कराया जा रहा है। इसकी मैपिंग पहले ही कराई जा चुकी है। लक्ष्य से अधिक धान खरीदी में गड़बड़ी की संभावना नहीं है, क्योंकि पंजीयन के समय दर्ज रकबे के आधार पर ही ऑन लाइन खरीदी होती है।
वंदना वैद्य, कलेक्टर
Created On :   6 Jan 2023 5:57 PM IST