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आदिवासी विभाग घोटाले में दो महीने के भीतर दायर होगा आरोपपत्र, वाडिया अस्पताल को लेकर फटकारा
डिजिटल डेस्क, मुंबई। आदिवासी विभाग में साल 2005 से 2010 के बीच हुए 6 हजार रुपए करोड़ रुपए के कथित घोटाले के मामले में राज्य सरकार सभी आरोपियों के खिलाफ मार्च 2020 तक आरोपपत्र दायर कर देगी। इसके साथ ही इस मामले से संबंधित ठेकेदारों को ब्लैक लिस्ट करने की दिशा में भी कदम उठाया जाएगा। शुक्रवार को राज्य सरकार की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल साखरे ने यह जानकारी दी। इसके बाद हाईकोर्ट ने कहा कि इस प्रकरण को लेकर सेवानिवृत्त न्यायाधीश गायकवाड कमेटी ने 336 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करने का निष्कर्ष निकाला है। लिहाजा सरकार गायकवाड कमेटी की इस सिफारिश का ध्यान रखे। अदालत के पिछले निर्देश के तहत इस दौरान कोर्ट में आदिवासी विभाग की प्रधान सचिव मनीषा वर्मा कोर्ट में उपस्थित थी।
इससे पहले सरकार की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता अनिल साखरे ने कहा कि आदिवासी विभाग घोटाले के कुल 226 मामले हैं। इसमें से163 मामलों में आपराधिक मामला दर्ज किया गया है। 119 सरकारी अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज है। 90 ठेकेदारों में 40 ठेकेदारों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। जहां तक बात विभागीय कार्रवाई की है तो इस दिशा में भी कदम उठाए जा रहे हैं। चार्ट स्वरुप दी गई इस जानकारी को देखने के बाद न्यायमूर्ति एससी धर्माधिकारी व न्यायमूर्ति रियाज छागला की खंडपीठ ने कहा कि हम चाहते हैं कि सरकार गायकवाड कमेटी की सिफारिशों के हिसाब से काम करे और अब आदिवासी विभाग में हुई पुरानी गड़बडियों में कथित रुप से संलिप्त अधिकारियों की भूमिका की जांच के लिए और कमेटी न गठित की जाए। इसके साथ ही प्रधान सचिव इस मामले में सक्रिय भूमिका निभाए।
खंडपीठ के सामने बहीराम मोतीराम की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील रांजेंद्र रघुवंशी खंडपीठ के सामने कहा कि गायकवाड कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में 336 अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की थी। लेकिन सरकार ने सिर्फ मामला दर्ज किया है कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं किया है। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने आदिवासी विभाग की सचिव को मामले को लेकर विस्तृत हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया और मामले की सुनवाई 10 फरवरी तक के लिए स्थगित कर दी।
वाडिया अस्पताल मामले को लेकर हाईकोर्ट ने सरकार को फटकारा
इसके अलावा मुंबई के वाडिया अस्पताल की बकाया राशि के भुगतान को लेकर राज्य सरकार व मुंबई महानगरपालिका के रुख पर शुक्रवार को बांबे हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर की। हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार व मुंबई मनपा वाडिया अस्पताल में साझीदार है। यह अस्पताल लोगों को स्वास्थ्य सुविधा देने में सरकार को सहयोग दे रहा है पर सरकार व मनपा साझीदार के रुप में एक कुरुप चित्र पेश कर रही है। यदि पैसे के भुगतान के संबंध में अस्पताल प्रशासन की भूमिका पर प्रश्न उपस्थित करेगा तो भविष्य में सरकार व मनपा को कौन अपना साझीदार बनाएगा। खंडपीठ ने कहा कि इससे सरकार व मनपा की विश्वस्तर पर छवि मलीन हो रही है। जबकि सरकार को लोगों को दिखाए जानेवाले सपनों को पूरा करने के लिए आए दिन साझीदार की जरुरत महसूस होती रहती है। गुरुवार को हाईकोर्ट ने इस मामले में तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा था कि क्या सरकार के पास सिर्फ डाक्टर बाबा साहेब आंबेडकर की प्रतिमा की उंचाई बढाने के लिए पैसे हैं, गरीब व बीमार लोगों के उपचार के लिए उसके पास निधि नहीं है? इससे पहले मनपा की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता एसएस पाकले ने न्यायमूर्ति एससी धर्माधिकारी व न्यायमूर्ति रियाज छागला की खंडपीठ के सामने कहा कि उन्हें वाडिया के बच्चों के अस्पताल में कथित गड़बड़ी की शिकायत मिली है। इसके बाद पैसे जारी करने में सतर्कता बरती जा रही है। वैसे हमने अस्पताल को दस करोड़ रुपए जारी किए हैं। कुछ रकम वाडिया के मैटरनिटी अस्पताल को भी दी गई है। इस दौरान सरकार की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता गिरीष गोडबोले ने भी अस्पताल को रकम के भुगतान की जानकारी दी लेकिन उन्होंेने भी अस्पताल के खाते को लेकर सवाल खड़े किए। इस पर खंडपीठ ने कहा कि सरकार व मनपा वाडिया अस्पताल के ट्रस्ट में शामिल हैं। उसके प्रतिनिधि अस्पताल के बोर्ड में शामिल है। ऐसे में मनपा व सरकार द्वारा अपने साझीदार को लेकर ऐसी भूमिका अपनाना उचित नहीं है वे दुनिया को गलत दृश्य न दिखाए। खंडपीठ ने कहा कि इस मामले को लेकर बोर्ड की बैठक बुलाई जाए। खंडपीठ ने फिलहाल मामले की सुनवाई 20 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी है।
नागरिक कानून के पालन करने से जुडी अपनी जिम्मेदारी को समझे
वहीं बांबे हाईकोर्ट ने कहा कि नागरिक ट्रैफिक व पार्किंग के कानून से जुड़ी अपनी जिम्मेदारी को समझे हम बार-बार कानून के पालन करने के संबंध में निर्देश जारी नहीं करेगे। हाईकोर्ट ने कहा कि अक्सर देखा गया है कि दंड भरने व कार्रवाई होने की स्थिति में ही लोग कानून का पालन करते है। यह ठीक नहीं हैठ नागरिकों को कानून से जुडी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। हाईकोर्ट ने ट्रैफिक व पार्किंग से जुड़े नियमों को लेकर दायर की गई जनहित याचिका को समाप्त करते हुए यह बात कही। इस दौरान सरकारी वकील ने कहा कि हम ट्रैफिक से जुड़े नियमों के उल्लंघन को लेकर मिलनेवाली आनलाइन शिकायतों पर भी कार्रवाई कर रहे है। इसके साथ ही पार्किंग व टैफिक से जुड़े नियमों के कडाई से पालन के लिए भी ठोस कदम उठाए गए है। इन दलीलों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति एससी धर्माधिकारी की खंडपीठ ने उपरोक्त बाते कही।
Created On :   17 Jan 2020 2:25 PM GMT