शास्त्रीय नृत्य बन रहा लड़कों का 'पैशन', पढ़ें इनकी कहानी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। शास्त्रीय नृत्य की बात हो तो फुल कॉस्ट्यूम में मुद्राओं द्वारा अपनी आंखें और फेस के एक्सप्रेशन देती गर्ल्स का चेहरा ही सामने आता है, लेकिन अब लड़के भी इसमें पीछे नहीं हैं। एक समय था जब गर्ल्स ही शास्त्रीय नृत्य में दिखाई देती थीं। उपराजधानी में शास्त्रीय नृत्य में पारंगत युवा हैं। पीयूष अगस्ती और सतीष बागड़े, पिछले 5 वर्षों से भरतनाट्यम नृत्य कर रहे हैं। इनका कहना है कि जब लड़िकयां किसी क्षेत्र में लड़कों से पीछे नहीं, तो लड़के भी पीछे क्यों रहें। लड़के इस बात को फॉलो कर रहे हैं। शास्त्रीय नृत्य सीख कर और इस विधा में पारंगत होकर कुछ युवाओं ने तो अपनी क्लासेस भी खोल ली है। कुछ नेशनल लेवल पर पुरस्कार भी प्राप्त कर चुके हैं। ऐसे युवा शास्त्रीय नृत्य को पैशन मान कर नृत्य का रोज अभ्यास भी करते हैं।
डेली प्रैक्टिस जरूरी
वर्धमान नगर के आयुष दुबे ने कहा कि शास्त्रीय नृत्य में डेली प्रैक्टिस बहुत जरूरी है, तभी हम इसमें आगे बढ़ सकते हैं। मैंने इसके लिए बहुत मेहनत की। इंजीनियरिंग भी करनी थी, क्योंकि मम्मी-पापा का सपना भी पूरा करना है। मैंने डांस और पढ़ाई दोनों के लिए समय दिया और इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी कर ली। साथ ही शास्त्रीय नृत्य में िवशारद भी हूं। कथक मुख्य रूप से मुद्राओं और चेहरे के हावभाव पर डिपेंड करता है। यह बात एकदम सही है कि अभ्यास ही इंसान को परफेक्ट बनता है। डेली प्रैक्टिस से प्रतिभा में निखार आता है।
बचपन से रही हॉबी
सदर के रहने वाले आकाश पटेल का कहना है कि शास्त्रीय नृत्य करना आसान नहीं है। उसकी मुद्राएं बहुत कठिन होती हैं। मैं पिछले 10 सालों से कथक सीख रहा हूं। अभी तक मैंने स्टेट और नेशनल लेवल के अलावा शहर में भी कई जगह परफॉर्मेंस दी है। हिप-हॉप और वेस्टर्न डांस करना तो आसान है, पर क्लासिकल नृत्य में मुद्राओं और फेस एक्सप्रेशन सबसे ज्यादा महत्व रखता है। मैं जब 5 साल का था, तबसे कथक सीख रहा हूं। मैंने इसमें िवशारद प्राप्त किया है। मैं विरजू महाराज को अपना आदर्श मानता हूं।
मजाक भी बनाते हैं कुछ लोग
जरीपटका के वीरेंद्र सिद्धराऊ ने कहा कि जब हम कहीं परफॉर्मेंस देने के लिए तैयार होते हैं, तो कुछ लोग देखकर मजाक भी बनाते हैं, पर मैंने इन सब बातों पर ध्यान नहीं दिया और अपने काम की ओर ध्यान दिया। शास्त्रीय नृत्य को लेकर बचपन से ही मेरे मन में अलग जज्बा था। शास्त्रीय नृत्य के लिए मेकअप करना होता है। इसके लिए मेरे दोस्त कहते थे कि लड़की की तरह मेकअप करने में शर्म नहीं आती है। पर जब कॉलेज में एक शो के दौरान उन्होंने मेरा परफॉर्मेंस देखा तबसे उन्होंने हमेशा मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया है।



Created On :   12 Sept 2017 5:55 PM IST