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लोक अभियोजकों के पदों पर कार्यरत अधिकारियों की पदोन्नति का रास्ता साफ, महाराष्ट्र सरकार की याचिका खारिज
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। महाराष्ट्र में लोक अभियोजकों तथा अतिरिक्त लोक अभियोजकों के पदों पर कार्यरत अधिकारियों के पदोन्नति का करीब 20 साल बाद रास्ता साफ हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को लोक अभियोजन अधिकारियों को पदोन्नति से वंचित रखने वाली महाराष्ट्र सरकार की याचिका खारिज करते हुए इन अधिकारियों को पदोन्नत करने का सरकार को आदेश दिया। इसके साथ ही अदालत ने इन पदों पर अस्थायी रुप से कार्यरत अधिकारियों को पद से मुक्त करने के लिए छह महीने का समय दिया है। महाराष्ट्र सरकार ने अभियोजन एजेंसी बनाकर वर्ष 1997 में लोक अभियोजक के लिए नियम बनाए थे। जिसके तहत सहायक लोक अभियोजक, अतिरिक्त लोक अभियोजक, लोक अभियोजक और अभियोजन निदेशक पद बनाए। प्रतिवादी महाराष्ट्र स्टेट पब्लिक प्रॉसिक्यूटर एसोसिएशन के एड प्रशांत कातनेश्वरकर ने कहा कि यह सभी पद एमपीएसी द्वारा भरे गए, लेकिन राज्य सरकार ने तब से कई अधिकारियों को पदोन्नति ही नही दी। इसके खिलाफ एसोसिएशन की ओर से वर्ष 1999 में बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद खंडपीछ में याचिका दायर की गई। जिस पर 2017 में हुई सुनवाई में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिए कि बनाए गए नियमों के अनुसार लोक अभियोजकों को पदोन्नत किया जाए। इस आदेश को महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
प्रधान न्यायाधीश शरद बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ में आज इस मामले में हुई सुनवाई में अदालत ने औरंगाबाद हाईकोर्ट के आदेश को सही ठहराया और महाराष्ट्र सरकार की याचिका खारिज कर दी। अदालत ने सरकार को आदेश दिए कि लोक अभियोजन पदों पर अस्थायी तौर पर नियुक्त किए अधिकारियों को हटाकर सरकार के लोक अभियोजन अधिकारियों को पदोन्नति देने की व्यवस्था की जाए। इसके लिए अदालत ने सरकार को 6 महीने का समय दिया है। एड प्रशांत कातनेश्वरकर ने बताया कि अतिरिक्त लोक अभियोजक और लोक अभियोजक के महाराष्ट्र में करीब 900 पद है। अदालत के फैसले के बाद करीब 50 फीसदी लोगों को पदोन्नति का रास्ता साफ हो गया है।
Created On :   3 Dec 2019 10:06 PM IST