कोर्ट ने लूट के दो युवा आरोपियों को दिया सुधरने का मौका, कहा- नहीं चाहते आधी उम्र जेल में गुजरे

Court gave chance to  two youth to stop the practice of crime
कोर्ट ने लूट के दो युवा आरोपियों को दिया सुधरने का मौका, कहा- नहीं चाहते आधी उम्र जेल में गुजरे
कोर्ट ने लूट के दो युवा आरोपियों को दिया सुधरने का मौका, कहा- नहीं चाहते आधी उम्र जेल में गुजरे

डिजिटल डेस्क, नागपुर। समाज में न्याय व्यवस्था का उद्देश्य केवल अपराधियों को सजा देना ही नहीं, बल्कि उनके सुधार और एक बेहतर भविष्य के प्रयास करने का भी होता है। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में जस्टिस सुनील शुक्रे और जस्टिस एस.एम.मोडक की बेंच ने हाल ही में एक फैसले में यह निरीक्षण दिया। आरोपी आकाश देशपांडे (21) और निकुंज साधवानी (23) को निचली अदालत द्वारा 7 से अधिक लूट मामलों में लगातार 20 वर्षों से अधिक सजा भुगतने को कोर्ट ने उनके भविष्य की दृष्टि से सही नहीं माना। उनके बेहतर भविष्य की संभावना को देखते हुए कोर्ट ने उनकी सजा को समवर्ती यानी एक साथ चलाने के आदेश नागपुर जेल प्रशासन को दिए।

कोर्ट ने अपने फैसले में ऑस्कर वाइल्ड की प्रसिद्ध पंक्तियां लिखी, कहा कि "हर संत का एक अतीत होता है और हर पापी का एक भविष्य होता है"। कोर्ट ने कहा कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि दोनों याचिकाकर्ता आदतन लुटेरे हैं, लेकिन अब तक उन्हें यह समझ आ गया होगा कि इस राह पर चल कर उनका ही नुकसान हुआ है, इस पेशे ने उन्हें परिवार और समाज से तोड़ दिया है। कोर्ट ने कहा कि हम नहीं चाहते कि दोनों युवाओं की आधी उम्र जेल में गुजरे।

जेल में सुधारात्मक प्रशिक्षण दें
इस मामले में हाईकोर्ट ने अपना निरीक्षण दिया कि प्राचीन काल में कानून का उल्लंघन करने वाले को अपराधी माना जाता था। उसका मुकदमा कोर्ट के विचाराधीन भी हो तब भी समाज उसे अपराधी  की ही  नजर से देखता, लेकिन वक्त के साथ न्यायदान में बदलाव हुआ है। अब व्यक्ति को दोषी करार देते वक्त कानून का उल्लंघन करवाने वाली परिस्थितियां भी देखी जाती हैं। साथ ही अपराधी को सुधारने के लिए अब उसके पुनर्वसन की भी व्यवस्था होती है।

कानून उनके पास निचली अदालत के फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालत में अपील करने का विकल्प है। हाईकोर्ट ने उनके ट्रायल और सजा काल के दौरान जेल में सुधारात्मक ट्रेनिंग प्रोग्राम के जरिए उनके ह्रदय परिवर्तन के प्रयास करने के आदेश नागपुर जेल प्रशासन को दिए हैं।

ये सजा दी गई थी
याचिकाकर्ताओं को विभिन्न मजिस्ट्रेट कोर्ट द्वारा लूट की घटना को अंजाम देने का दोषी माना गया था। आकाश देशपांडे को 8 और निकुंज साधवानी को 7 लूट के मामले में दोषी करार दिया गया था। प्रत्येक प्रकरण में 3 वर्ष की जेल और 5 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई गई थी। दोषियों को यह सजा लगातार भोगनी थी। आरोपियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर लगातार सजा भुगतने की जगह एक साथ सभी सजा भुगतने के आदेश जारी करने की प्रार्थना की थी। मामले में याचिकाकर्ता की ओर से एड.मीर नगमान अली और सरकार की ओर से सरकारी वकील मयुरी देशमुख ने पक्ष रखा। 

Created On :   18 Feb 2019 5:47 AM GMT

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