दूसरी पत्नी के दावे को कोर्ट ने नकारा, पहली को मिली नौकरी

court gave permission of job in rbi to first wife of service man
दूसरी पत्नी के दावे को कोर्ट ने नकारा, पहली को मिली नौकरी
दूसरी पत्नी के दावे को कोर्ट ने नकारा, पहली को मिली नौकरी

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने आरबीआई में कार्यरत एक कर्मचारी की दूसरी पत्नी को नौकरी पर दावा मानने से इंकार कर दिया है। कर्मचारी शिवराम मकवाना की मौत के बाद उसकी दूसरी पत्नी कमला ने मृतक आश्रित के तौर पर रिजर्व बैंक से नौकरी की मांग की थी। आरबीआई ने मकवाना का सर्विस रिकार्ड देखने के बाद पाया कि पहले से उसकी एक पत्नी है। 
 हालांकि मकवाना ने नौकरी के दौरान आरबीआई में एक आवेदन दायर कर उसके न रहने पर उसके सेवा से जुड़े लाभ पाने के लिए दूसरी पत्नी कमला को नामित किया था। जबकि नौकरी में नियुक्ति के दौरान मकवाना ने अपने आवेदन में अपनी पहली पत्नी दिवाली के नाम का उल्लेख किया था। लिहाजा आरबीआई ने कमला को कहा कि वह अदालत का आदेश दिखाए जिससे यह साफ हो सके कि मकवान ने अपनी पहली पत्नी से तलाक ले लिया था। कमला ऐसा करने में विफल रही। वहीं दिवाली ने भी आरबीआई में नौकरी के लिए आवेदन किया। उसने आरबीआई की ओर से मांगे गए सारे दस्तावेज दिखाए। इसके साथ ही साबित किया कि वह मकवान की पहली वैध ब्याहता पत्नी है। लिहाजा आरबीआई ने दिवाली को नौकरी दे दी। आरबीआई के निर्णय के खिलाफ कमला ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। 

 जस्टिस एससी धर्माधिकारी व जस्टिस भारती डागरे की बेंच के सामने सुनवाई हुई। इस दौरान आरबीआई की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता सुरेश कुमार ने कहा कि कमला ने सहानूभूति के आधार पर नौकरी के लिए आवेदन किया था। हमने उससे कहा कि वह कोर्ट का वह आदेश लाए जो यह दर्शाए कि उसके पति ने अपनी पहली पत्नी से तलाक ले लिया था। लेकिन वह कोर्ट का यह आदेश नहीं पेश कर पायी।

नौकरी के समय कर्मचारी ने जो आवेदन किया था उसमे पहली पत्नी के रुप में दिवाली का उल्लेख है। दिवाली ने मकवाना की वैध पत्नी होने को लेकर सबूत दिए हैं। उसने आरबीआई को वे सारे दस्तावेज दिए जो नौकरी के लिए जरुरी थे। मामले से जुड़े तथ्यों को देखने के बाद बेंच ने कमला को राहत देने से इंकार कर दिया। इसे देखते हुए कमला ने अपनी याचिका को वापस ले लिया। जिसके बाद बेंच ने याचिका को समाप्त कर दिया। बेंच ने कहा कि यदि याचिकाकर्ता चाहे तो वह राहत के लिए दूसरे कानूनी विकल्पों का सहारा ले सकती है।

Created On :   7 Oct 2017 12:50 PM GMT

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