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अनलॉक-1 में अदालती कामकाज ने नहीं पकड़ी रफ्तार, कोरोना का डर
डिजिटल डेस्क, मुंबई। सरकार की ओर से लॉकडाउन में ढील (अनलॉक-1) से सड़कों पर लोगों की आवाजाही में तेजी आई है, वहीं कार्यसुलभ सुविधाएं न होने व कोरोना संक्रमण से जुड़ी घबराहट के कारण अदालतों के कामकाज ने अब तक रफ्तार नहीं पकड़ी है। जिससे अनलॉक के माहौल में भी वकीलों के चेहरों पर मायूसी छायी हुई है। जिन वकीलों के पास सिर्फ हलफनामा बनाने, अनुबंध तैयार करने, दुकान के स्थानांतरण से जुड़े दस्तावेज बनाने, विवाह पंजीयन कराने व अदालत में जाकर सिर्फ तारीख लेने से जुड़े कार्य थे, उनका कामकाज अभी भी लगभग बंद है। कोरोना महामारी के चलते अदालतों का कामकाज सीमित होने के कारण अनलॉक के बावजूद बड़ी संख्या में वकीलो के पास काम नहीं है। इसलिए अनलॉक-1 को वकील अपने लिए फायदेमंद नहीं मान रहे हैं।
बार कॉउन्सिल ऑफ महाराष्ट्र एंड गोवा के चेयरमैन सुभाष घाडगे के मुताबिक अदालतों में अभी भी वीडियों कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई का सशक्त ढांचा नहीं है पर सुनवाई ऑनलाइन ही हो रही है। इसलिए जब तक यह ढांचा व इंटरनेट कनेक्टविटी मजबूत नहीं होगा तब अनलॉक वकीलों के लिए फायदेमंद साबित नहीं होगा। उन्होंने कहा कि उनके पास ऐसी शिकायतें भी आयी है जहां वकीलो को कोर्ट के भीतर तक नहीं घुसने दिया गया है। फिलहाल इस पहलू को देखा जा रहा है। वर्चुअल कोर्ट का ढांचा जब तक मजबूत नहीं होगा तब तक अनलॉक से न तो अदालत के कामकाज में तेजी आएगी और न ही वकीलों को कार्यसुलभ माहौल मिलेगा। कोरोना से पैदा हुई घबराहट को कम करने के लिए ऑनलाइन कोर्ट ढांचा आवश्यक है।
वहीं अंधेरी कोर्ट बार एसोसिएशन के प्रेसिडेंट अधिवक्ता आरपी मिश्रा के मुताबिक अनलॉक-1 में कोर्ट के कार्य की अवधि बढ़ी है लेकिन इससे मामलों की सुनवाई की रफ्तार पर कोई असर नहीं पड़ा है। क्योंकि अदालतों में सिर्फ जमानत व हिरासत से जुड़े आवेदनों की सुनवाई को प्राथमिकता मिल रही है। दूसरे आवेदन (मिसलेनियस एप्लिकेशन) नहीं सुने जा रहे हैं। कुछ वकील सिर्फ हलफनामा बनाने, अनुबंध तैयार करने सहित अन्य काम करते थे लेकिन अभी तक यह काम बंद हैं। इसलिए वकीलो को अनलॉक अनलकी लग रहा है। उन्होंने कहा कि बहुत से वकील काम की कमी के चलते अपने गांव चले गए हैं।
वरिष्ठ अधिवक्ता गायत्री सिंह के मुताबिक अनलॉक से सड़कों पर लोगों की आवाजाही बढ़ी है पर अदालत का कामकाज अभी भी जरुरी मामलों के जाल में फंसा हैं। अधिवक्ता राकेश भाटकर के मुताबिक अनलॉक से अदालत में सिर्फ नए जरूरी मामलों पर सुनवाई हो रही हैं। चूंकि कागजों से अदालत में संक्रमण के फैलने की संभावना है, इसलिए सिर्फ ऑनलाइन सुनवाई हो रही हैं। जिससे हम उतने प्रभावी ढंग से अपनी बात नहीं रख पाते जैसे प्रत्यक्ष रुप से रखते थे। अनल़क से अदालत पर असर नहीं पड़ा है। पहले जैसी तेजी नहीं दिख रही है। ठाणे सत्र न्यायालय में वकालत करने वाली अधिवक्ता सुनीता देवगोंडे के मुताबिक कोर्ट का कामकाज पहले के मुकाबले थोड़ा बढ़ा है जिसकी हमें खुशी है पर अनलॉक का आकार और बढ़ाने की जरुरत है।
Created On :   15 Jun 2020 8:35 PM IST