मेट्रो कॉरिडोर से लगे मकानों पर संकट

Crisis on the houses adjacent to Metro Corridor, reason is this
मेट्रो कॉरिडोर से लगे मकानों पर संकट
मेट्रो कॉरिडोर से लगे मकानों पर संकट

डिजिटल डेस्क, नागपुर। मेट्रो रेलवे का काम तीव्र गति से जारी है। यह कार्य करते समय सरकार के नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। खुद उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने इस पर टिप्पणी की है। अंबाझरी तालाब का  ताजा मामला है। अंबाझरी तालाब हेरिटेज सूची में शामिल  है। उसे बांध का दर्जा मिलने से बांध सुरक्षा संगठन के नियमानुसार 200 मीटर तक कोई निर्माण कार्य नहीं किया जा सकता है। बावजूद मेट्रो रेलवे से तालाब से सटकर पिलर खोदे हैं। दूसरी ओर मेट्रो रेलवे कॉरिडोर क्षेत्र से सटे छोटे भूखंड धारकों को जगह छोड़ने की शर्त लाद दी गई है। इसे लेकर छोटे भूखंड धारकों में भारी रोष है। 

नहीं मिल रही कार्य की अनुमति
जानकारों ने बताया कि छोटे भूखंड धारकों को पुराने नियमानुसार घनी आबादी क्षेत्र में टचिंग कंस्ट्रक्शन और 1 मीटर, 2 मीटर छोड़ कर निर्माण कार्य की अनुमति है, लेकिन नए नियमों के कारण घनी आबादी वाले क्षेत्र में छोटे भूखंड धारकों को निर्माण कार्य की अनुमति नहीं मिल रही है। पहले से कम जगह, ऊपर से 10 फीट तक छोड़ने की शर्त ने भूखंड धारकों को मुसीबत में डाल दिया है, जिससे अनेक लोगों ने अब मनपा से नक्शा मंजूर कराने की बजाए सीधे निर्माण कार्य शुरू कर दिया है। जिस वजह से ये अवैध निर्माण कार्य की श्रेणी में शामिल हो गए हैं।

जानकारों ने नाराजगी जताते हुए कहा कि सरकारी जगह पर अतिक्रमण करने वाले नागरिकों को अल्प दर में घर-मकान उपलब्ध कराए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना में उन्हें मकान दिए जा रहे हैं। दूसरी ओर प्रमाणिकता से कर भुगतान करने वाले नागरिकों द्वारा नियमानुसार नक्शा पेश नहीं किया है, इसलिए निर्माण कार्य नामंजूर करना अन्यायकारक है। पीड़ितों ने मांग की कि सरकार तत्काल इसे संज्ञान में ले कर छोटे भूखंड धारकों पर होने वाले अन्याय को दूर करे और संबंधित नियमों में सुधार कर पुराने नियमानुसार प्रकरण मंजूर करें। 

मनपा को राजस्व का नुकसान 
मेट्रो रेलवे कॉरिडोर के 500 मीटर क्षेत्र में छोटे भूखंड धारकों को, जिनका क्षेत्रफल 500 से 1000 वर्ग फीट है, उन्हें नए नियमानुसार सभी बाजू से 3 मीटर यानी लगभग 10-10 फीट जगह छोड़ने के लिए बाध्य किया जा रहा है। जगह नहीं छोड़ने पर उनका नक्शा मंजूर नहीं हो रहा है। नक्शा मंजूर नहीं होने से किसी भी बैंक द्वारा कर्ज मंजूर नहीं किया जा रहा है। अनुमति नहीं मिलने से भूखंड धारक धड़ल्ले से अवैध निर्माणकार्य कर रहे हैं। ऐसे लोगों की संख्या भी बढ़ रही है। इसका सर्वाधिक नुकसान मनपा के राजस्व को हो रहा है। नक्शा मंजूरी से मनपा को होने वाली आय में कमी आई है। 

इससे हमारा कोई लेना-देना नहीं 
अखिलेश हलवे, डिप्टी जनरल मैनेजर, मेट्रो के मुकताबिक यह प्रावधान पहले से है। मेट्रो कंपनी ने कोई अलग से नियम नहीं बनाया है। नक्शा मंजूरी से हमारा कोई लेना-देना नहीं है। यह मनपा का नियम है। 
 

Created On :   29 April 2018 6:33 PM IST

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