सनातन संस्था पर पाबंदी की मांग जल्दबाजी, केसरकर बोले- तुरंत नहीं ले सकता फैसला 

C‌‌urrently Ban on Sanatan Sanstha is not possible - keskar
सनातन संस्था पर पाबंदी की मांग जल्दबाजी, केसरकर बोले- तुरंत नहीं ले सकता फैसला 
सनातन संस्था पर पाबंदी की मांग जल्दबाजी, केसरकर बोले- तुरंत नहीं ले सकता फैसला 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। सनातन संस्था को लेकर गरमाई सियासत के बीच प्रदेश के गृह राज्य मंत्री दीपक केसरकर ने कहा कि सनातन संस्था पर पाबंदी लगाने की मांग अपरिपक्व बयान है। केसरकर ने कहा कि संस्था पर पाबंदी लगाने की मांग करना अभी जल्दबाजी है। क्योंकि अभी पुलिस मामले की जांच कर रही है। मंत्रालय में गुरुवार को पत्रकारों से बातचीत में केसरकर ने कहा कि सनातन संस्था पर पाबंदी लगाने का प्रस्ताव राज्य सरकार की तरफ से केंद्र को भेजा गया है। लेकिन केंद्र सरकार भी तत्काल फैसला नहीं ले सकती। क्योंकि किसी भी संस्था पर पाबंदी लगाने के लिए एक प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। केसरकर ने कहा कि पुलिस ने नालासोपारा से जिन आरोपियों को पकड़ा है, उनकी जांच चल रही है। आरोपियों के पास से व्हाट्सएप के जरिए कुछ सबूत मिले हैं। फिलहाल इस मामले में पुलिस कड़ियों को जोड़ रही है।

सनातन संस्था पर पाबंदी को लेकर साफ थी आघाडी सरकार की भूमिका

पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज  चव्हाण ने कहा है कि सनातन संस्था पर पाबंदी को लेकर आघाडी सरकार की भूमिका साफ थी। उन्होंने कहा कि सनातन पर प्रतिबंध लगाने की चर्चाओं के बीच आघाडी सरकार के क्रिया कलापों को लेकर मीडिया में आ रही खबरे सही नहीं हैं। पूर्व मुख्यमंत्री चव्हाण ने कहा कि 2008 में ठाणे में हुए बम विस्फोट के मामले में सनातन संस्था के कार्यकर्ता दोषी पाए गए थे। अदालत ने इस मामले में 14 साल की सजा सुनाई थी। इसके बाद आंतकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) ने सनातन संस्था को लेकर राज्य सरकार को एक रिपोर्ट भेजी थी। संस्था के इतिहास, एटीएस की रिपोर्ट सहित अन्य सबूतों के साथ तत्कालिन कांग्रेस-राकांपा आघाडी  सरकार ने सनातन संस्था पर पाबंदी लगाने के लिए 11 अप्रैल 2011 को केंद्र सरकार के पास प्रस्ताव भेजा था। उन्होंने कहा कि सनातन संस्था पर पाबंदी का यह प्रस्ताव डा नरेंद्र दाभोलकर की हत्या के पहले भेजा गया था। इस लिए उस वक्त सनातन को लेकर तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं थी। इसके बावजूद आघाडी सरकार ने एटीएस की रिपोर्ट के आधार पर तत्कालिन केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम के पास पाबंदी का प्रस्ताव भेजा।

पूर्व मुख्यमंत्री ने बताया कि इस बीच सितंबर 2011 में सनातन संस्था पर पाबंदी की मांग को लेकर बांबे हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर हुई। इस याचिका में केंद्र व राज्य सरकार को प्रतिवादी बनाया गया था। 2012 में इस मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने अदालत में सनातन संस्था पर पाबंदी लगाए जाने का समर्थन किया और केंद्र सरकार को 1 हजार पन्नों की रिपोर्ट भेजी। चव्हाण ने कहा कि समाज में धार्मिक तनाव पैदा करने वाले और हिंसा की समर्थक सनातन संस्था को लेकर आघाडी सरकार की भूमिका शुरुआत से स्पष्ट थी।

लड़कियों से छेड़छाड़ मामले में होगी कार्रवाई 

गृह राज्य मंत्री केसरकर ने कहा कि औरंगाबाद के कन्नड तहसील में छेड़छाड़ से परेशान लड़की के आत्महत्या के मामले की जांच के आदेश दिए गए हैं। केसरकर ने कहा कि यदि लड़की ने पहले शिकायत की होगी और पुलिस कि तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की गई होगी तो संबंधित पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि बारामती के सोनगांव मामले के जांच के आदेश दिए गए हैं।

एक गांव, एक पुलिस परिकल्पना राज्य भर में 

प्रदेश सरकार महिलाओं की सुरक्षा की दृष्टि से राज्य भर में एक गांव, एक पुलिस परिकल्पना को लागू करने पर विचार कर रही है। प्रदेश के गृह राज्य मंत्री दीपक केसरकर ने कहा कि एक गांव, एक पुलिस परिकल्पना को औरंगाबाद और सिंधुदुर्ग में शुरू किया गया है। यदि यह सफल रहा तो पूरे राज्य में इसको लागू किया जाएगा। इस योजना के तहत हर गांव के लिए एक पुलिसकर्मी तैनात किया जाएगा। किसी लड़की-महिला को कोई समस्या होगी तो सीधे पुलिस से शिकायत की जा सकेगी।

केसरकर ने कहा कि सरकार गांवों में तैनात किए जाने वाल पुलिस पाटील को भी ज्यादा अधिकार देगी। पुलिस पाटील के मानधन में बढ़ोतरी करके उन्हें सक्षम बनाया जाएगा। पुलिस पाटील को स्थायी रूप से बैठने के लिए ग्राम पंचायत और तलाठी (पटवारी) कार्यालय में जगह दी जाएगी। केसरकर ने कहा कि पुलिस पाटील को नियंत्रण करने का काम राजस्व और गृह दोनों विभाग करते हैं। लेकिन आगामी समय में पुलिस पाटील का कामकाज गृह विभाग के अधीन किया जाएगा।

Created On :   23 Aug 2018 3:48 PM GMT

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