सायबर क्राइम को सुलझाने में नाकाम हो रहा पुलिस का सायबर सेल 

Cyber ​​cell of police failing to resolve cyber crime
सायबर क्राइम को सुलझाने में नाकाम हो रहा पुलिस का सायबर सेल 
सायबर क्राइम को सुलझाने में नाकाम हो रहा पुलिस का सायबर सेल 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। साइबर अपराधों को सुलझाने के लिए बनाया गया अलग पुलिस स्टेशन भी नाकाम साबित हो रहा है। मुंबई स्थित साइबर पुलिस स्टेशन में पिछले छह सालों में 627 मामले दर्ज किए गए लेकिन इनमें से 169 को ही सुलझाया जा सका। इससे जाहिर होता है कि विशेष पुलिस स्टेशन और विशेष प्रशिक्षण के बावजूद पुलिस महकमा साइबर अपराधियों के आगे फिसड्डी साबित हो रहा है। साइबर विशेषज्ञों के मुताबिक हालात में सुधार के लिए कई कदम उठाए जाने की जरूरत है।

आरटीआई के तहत मिली जानकारी से साफ होता है कि साइबर पुलिस स्टेशन न सिर्फ मामले सुलझाने में नाकाम हो रहा है बल्कि दर्ज मामलों में भी लगातार कमी आ रही है। साल 2015 में साइबर पुलिस स्टेशन में सबसे ज्यादा 300 मामले दर्ज किए गए थे जो साल 2018 में घटकर सिर्फ 27 रह गए। दर्ज 27 मामलों में से सिर्फ 9 ही सुलझाए जा सके हैं। शकील अहमद शेख ने आरटीआई के जरिए 1 जनवरी 2013 से दिसंबर 2018 के बीच साइबर पुलिस स्टेशन में दर्ज और सुलझाए गए मामलों की जानकारी मांगी थी। सूचना अधिकारी और सहायक पुलिस आयुक्त सूर्यकांत तरडे से मिली जानकारी के मुताबिक साइबर पुलिस स्टेशन में दर्ज ज्यादातर मामले डेबिट/क्रेडिट कार्ड ठगी, नौकरी ने नाम पर ठगी, सोशल मीडिया और हैकिंग से जुड़े अपराध शामिल हैं।  

साल           2013    2014    2015   2016   2017   2018

दर्ज मामले       41       66      300     163    30       27

सुलझे मामले   17       15        66       47    15         9

साइबर अपराध विशेषज्ञ और वकील प्रशांत माली के मुताबिक साइबर पुलिस स्टेशन को हर साल 5 हजार से ज्यादा शिकायतें मिलती हैं इनमें के कुछ मामलों में ही एफआईआर दर्ज की जाती है और मामले सुलझाने का भी हाल बुरा है। कई बार पुलिस स्टेशन में बहाना बनाया जाता है कि 2 करोड़ रूपए से कम के ठगी के मामले हम दर्ज नहीं करते लेकिन राज्य सरकार ने ऐसा कोई आदेश नहीं जारी किया है। साइबर मामलों की जांच के लिए प्रशिक्षित पुलिसकर्मियों का पुलिस स्टेशनों में कानून व्यवस्था देखने के लिए ट्रांसफर कर दिया जाता है। इससे भी जांच पर असर पड़ता है- 

आरटीआई कार्यकर्ता शकील अहमद शेख के मुताबिक सरकार की कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को डिजिटल भुगतान के लिए प्रोत्साहित किया जाए लेकिन ठगी का शिकार होने के बाद उन्हें दर दर भटकना पड़ता है। इसके लिए विशेष रूप से बनाई गई साइबर पुलिस भी नाकाम साबित हो रही है। फिर इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा। साइबर बुलिंग और दूसरे छोटे मोटे मामलों की तो कहीं सुनवाई ही नहीं है”

   

Created On :   26 March 2019 9:36 PM IST

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