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निर्माल्य को खाद में तब्दील कर रहे पर्यावरण प्रेमी, पेड़-पौधों के लिए बनाते हैं संजीवनी

डिजिटल डेस्क, चंद्रपुर। सावन के महीने से लेकर देवी विसर्जन तक बड़े पैमाने पर निर्माल्य जमा होता है। नदी, नालों में इसे बहाया जाता है। इसका उचित प्रयोग पर्यावरण के साथ-साथ समाज के लिए भी बेहतर हो सकता है। इसी सोच से शहर के नागपुर मार्ग के दत्तनगर परिसर के कुछ पर्यावरणविद ने एक पहल की। निर्माल्य से खाद बनाने की कोशिश की। यह कोशिश रंग लायी है। पिछले वर्ष करीब 100 किलो बेहतरीन खाद बनाने के बाद इस वर्ष दशहरे तक इसमें इजाफा होने की उम्मीद इस समूह के प्रमुख महेंद्र राले ने जतायी।
ऐसे शुरू हुआ खाद प्रकल्प
नागपुर मार्ग के साई मंदिर समीप एक नाला है। इस नाले में पूजा की निर्माल्य सामग्री फेंकी जाती थी, इससे नाला प्रदूषित होने के साथ दुर्गंध फैल जाती थी। ऐसे में यह नाले में जानेवाला निर्माल्य स्वयं ही संकलित किया तो खाद बनाई जा सकती है, इस विचार ने 3 वर्ष पूर्व उपक्रम चलाया, जो आज सफल हुआ है।
दूसरे वर्ष मिली सफलता
पहले वर्ष अपेक्षाकृत प्रतिसाद नहीं मिला। फिर जनजागृति कर, लोगों के घर जा-जाकर निर्माल्य संकलन किया गया। 260 किलो निर्माल्य डेढ़ माह में जमा हो गया। इससे प्रक्रिया के बाद 100 किलो उत्कृष्ट खाद बनाया गया। इसकी पूरी प्रक्रिया के लिए 6 महीनों का समय लगा। यह खाद परिसर के लोगों को दी गयी, इससे पौधे अच्छे खिल उठे।
70 लोगों की टीम करती है काम
इस उपक्रम में 70 लोगों की टीम काम करती है, जिसमें राले के अलावा प्रेम वैरागड़े, केतन बुरडकर, नितेश देशभ्रतार, अनोखी इंगले व मृणाली श्रीरामे अहम है। उनके साथ कक्षा 5 वीं से 12 वी तक के विद्यार्थी परिश्रम करते हैं।
अबतक 150 किलो निर्माल्य जुटाया
मंगलवार तक इस टीम के पास करीब 150 किलो निर्माल्य जमा हुआ है। दशहरे तक इसमें इजाफा होगा। नवरात्रि तक यह संकलन मुहिम चलेगी।
इस तरह बनाते हैं खाद
खाद बनाने निर्माल्य संकलन हेतु 2 बडी सीमेंट की टंकियां बनाई गयी है। 2 हरी बैग है। इसके अलावा 5 ड्रम रखे गए हैं। एक मशीन पर निर्माल्य प्रक्रिया करने के बाद इसे सुखाया जाता है। करीब 6 माह में प्रक्रिया पूरी होकर खाद बनती है। मनपा भी इसमें योगदान देती है। बैक्टेरिया पाउडर आदि मुहैया कराती है।
हर कोई बना सकता है खाद
दत्तनगर युवक-युवती संघ तथा डा. पंजाबराव देशमुख विद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में यह उपक्रम गत 3 वर्षों से जारी है। खाद के नतीजे अच्छे है। हम एक पॉकेट में भर कर इसे लोगों को मुहैया करा रहे हैंं। शहर में अपनी तरह का सर्वप्रथम शुरू हुआ संभवत: यह पहला उपक्रम है। ऐसा सभी तरफ होना चाहिए।
-महेंद्र राले, उपक्रम प्रमुख-पर्यावरणप्रेमी
Created On :   11 Sept 2019 2:29 PM IST