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बेटी की हाईकोर्ट में अपील, सौतेली मां को न मिले पिता की नौकरी
डिजिटल डेस्क, मुंबई। पिता के स्थान पर अनुकंपा नियुक्ति के लिए उसकी सौतेली मां को योग्य न माना जाए और न ही उसे पिता का उत्ताराधिकारी समझा जाए। इस तरह की मांग को लेकर एक 23 वर्षीय युवती ने बांबे हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में हर्षा काले ने कहा है कि उसकी मां की मौत के बाद पिता ने जिस महिला से दूसरी शादी की थी, उसने शादी करने से पहले अपने पति से तलाक नहीं लिया था। इसलिए उसकी सौतेली मां की दूसरी शादी को वैध नहीं मानी जा सकती है। उसलिए उसे ही अपने पिता का उत्तराधिकारी माना जाए और अनुकंपा नियुक्ति के लिए योग्य ठहराया जाए।
हाईकोर्ट में 23 साल की युवती ने दायर की याचिका
बुधवार को जस्टिस शांतनु केमकर और जस्टिस राजेश केतकर की खंडपीठ के सामने याचिका सुनवाई के लिए आई। याचिका में उल्लेखित तथ्यों पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने इस मामले में अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया और मामले की सुनवाई 22 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दी। याचिका में काले ने कहा है कि उसके पिता केंद्र सरकार के सामाजिक न्याय मंत्रालय के तहत आनेवाले एक संस्थान में काम करते थे। काले ने कहा है कि उसकी मां की मौत के बाद उसके पिता ने दूसरा विवाह किया था। लेकिन जिस महिला से उन्होंने विवाह किया था, उसने अपने पति से तलाक नहीं लिया था।
सौतेली मां को न माना जाए पिता का उत्तराधिकारी
हाईकोर्ट में युवती ने कहा कि जब उसकी सौतेली मां ने बिना तलाक के पिता से शादी कि तो इस स्थिति में सौतेली मां के दूसरे विवाह को वैध नहीं माना जा सकता और उसकी सौतेली मां उनकी उत्ताराधिकारी नहीं हो सकती है। इसके साथ ही वह अनुकंपा नियुक्ति के लिए दावा भी नहीं कर सकती है। महिला ने कहा कि मेरी मां पिता के सेवानिवृत्ति से जुड़े लाभ माने की भी हकदार नहीं है।
Created On :   13 Dec 2017 4:10 PM GMT