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बेटियाें ने कमाया नाम, एक का पैर नहीं- दूसरी देख नहीं सकती
डिजिटल डेस्क, नागपुर। बेटियों को शक्ति का स्वरूप माना जाता है। इन दिनों शक्ति आराधना का पर्व शुरू है, इसलिए बेटियों की उपलब्धियों को समाज के सामने रखना जरूरी हो जाता है। शहर की दो बेटियां ऐसी हैं, जिन्होंने दिव्यांगता को मात देकर स्विमिंग चैंपियन बनीं। सश्रुति नाकाडे और ईश्वरी पांडे नामक ये बेटियां शहर के लिए गर्व से कम नहीं हैं। 23 फरवरी 2004 को विठ्ठलनगर में रहनेवाले विनायक नाकाडे के यहां एक बेटी का जन्म हुआ। परिवार खुशियां मना रहा था, लेकिन यह जानकर थोड़ा मायूस हुए कि बेटी का एक पैर किसी काम का ही नहीं है। देश भर के अनेक डॉक्टरों को दिखाया, हर किसी ने उन्हें पैर को काटकर अलग करने की सलाह दी। परिजनों ने इस बेटी का नाम सश्रुति रखा। चार साल की थी, तो उसके पैर में कैलिपर्स लगाया गया। सेंट जेवियर्स स्कूल में दाखिला कराया गया। कुछ साल बाद उसे मुंबई ले जाया गया। वहां के एक नामी अस्पताल में उसकी जांच करवाई गई। वहां के एक डॉक्टर ने बताया कि पैर काटना जरूरी है। इसके बाद कैलिपर्स लगाने पर वह आसानी से चल सकेगी। डॉक्टर की सलाह के अनुसार 2014 की शुरुआत में मुंबई में ही उसकी छोटी-छोटी 11 सर्जरी की गई। इसके बाद हैदराबाद में बड़ी सर्जरी कर एक पैर अलग किया गया।
उम्र छोटी, उपलब्धियां बड़ी
इसी साल माता-पिता ने उसे स्विमिंग के लिए मानसिक रूप से तैयार किया। 2015 से उसके लिए उपलब्धियों के द्वार खुलने लगे। इस साल नेशनल पैरालिंपिक स्विमिंग चैंपियनशिप बेलगांव में उसने 3 गोल्ड, 1 सिल्वर और 2 ब्रांज मेडल जीते। 2017 में नेशनल पैरा स्विमिंग चैंपियनशिप जयपुर में 4 गोल्ड व 1 सिल्वर मेडल जीता। इसी साल नेशनल पैरा स्विमिंग चैंपियनशिप उदयपुर में 3 गोल्ड, 1 सिल्वर और 1 ब्रांज मेडल जीता। 2020 में नेशनल पैरा स्विमिंग चैंपियनशिप बंगलुरु में 3 गोल्ड मेडल, 1 सिल्वर और 1 ब्रांझ मेडल जीता। इसके अलावा भी कई मेडल जीतकर उसने शहर का नाम रोशन किया है। 2017 में एशियन यूथ पैरा गेम दुबई, 2018 में जर्मनी के बर्लिन में आईडीएम स्विमिंग में हिस्सा लिया। अब वह 12वीं कक्षा में है। दिव्यांगता को मात देकर उस बेटी ने नई ऊंचाइयां छू ली है।
अंबाझरी तालाब क्रॉस करने वाली पहली लिटिल गर्ल
ईश्वरी पांडे दोनों आंखों से देख नहीं सकती। बावजूद इसके स्विमिंग में नाम कमाया है। कोच की निगरानी में अभ्यास जारी है। 26 जनवारी 2020 को अंबाझरी तालाब में 2 किलोमीटर का आर-पार स्विमिंग का परीक्षण लिया गया। ईश्वरी ने यह अंतर 2 घंटे 24 मिनट में पूरा कर दिखाया। इस तरह अंबाझरी तालाब क्रॉस करने वाली वह पहली लिटिल गर्ल बनी। इसके पहले इस अंतर को इतने कम समय में किसी ने पार नहीं किया है। इस तरह उसकी उपलब्धि की शुरुअात हुई है। पानी के भीतर सहायकों की मदद से दिशा बताई जाती है। 12 साल की ईश्वरी पांडे दोनों आंखों से देख नहीं सकती, जब 7 साल की थी, तब से स्विमिंग कर रही है। वह प्री-मैच्योर बेबी है। जन्म के समय उसका वजन मात्र 700 ग्राम था। उसे ढाई महीने ऑक्सीजन पर रखा गया था। इसके कारण उसकी आंखों पर विपरीत परिणाम हुआ। कई नामी अस्पतालों में जांच करवाई, लेकिन कोई रास्ता नहीं निकला। दिव्यांगता के बावजूद हौसला बुलंद है। वह 7वीं कक्षा में पढ़ रही है। स्विमिंग क्षेत्र में चैंपियन का खिताब जीतने की लालसा है।
Created On :   10 Oct 2021 4:57 PM IST