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दिहाड़ी मजदूर बन गए 'आपली बस' के कंडक्टर

डिजिटल डेस्क, नागपुर। शहर के सक्करदरा तालाब, मानेवाड़ा रोड, हसनबाग चौक, तीन नल चौक, रामनगर चौक, महल आदि स्थानों पर, हर रोज सुबह-सुबह दिहाड़ी मजदूरों का मेला लगता है। इनके अलावा शहर में चार स्थान और हैं, जहां ठीक इसी तरह मेला लगता है, यहां मजदूर नहीं बल्कि बस कंडक्टर मिलते हैं। यह कंडक्टर "आपली बस" के है।
नागपुर महानगर पालिका ने "आपली बस" चलाने का ठेका जिन कंपनियों को दिया है, उनकी मनमानी ने तमाम हदें पार कर ली हैं। मनपा का कंट्रोल नहीं होने से "आपली बस" के कर्मचारी दिहाड़ी मजदूर बनकर रह गए हैं। आधी रात को "आपली बस" के कर्मचारी दिहाड़ी मजदूरों की तरह 4 डिपो में पहुंचते हैं, और अपनी रोजी-रोटी का जुगाड़ करते हैं। इन कर्मचारियों में केवल पुरुष ही नहीं, बल्कि महिला कर्मियों का भी समावेश है। इस समय "आपली बस" में सेवा देने वाले कर्मचारियों की संख्या 1850 हैं। इनमें 750 ड्राइवर और 1100 कंडक्टर हैं। इनमें महिला कंडक्टरों की संख्या 250 है, जबकि शहर में 308 आपली बसें दौड़ रही हैं। दो शिफ्टों में 616 और एक्स्ट्रा में 100 कुल मिलाकर 716 कंडक्टरों की आवश्यकता है, लेकिन ठेका कंपनियों ने 1100 कंडक्टरों की भर्ती कर ली है और भर्ती का सिलिसिला शुरू है। हर दिन 384 और एक्सट्रा मिलाकर 484 से अधिक कंडक्टरों को वापस घर भेजा जाता है। हालात ऐसे हैं कि कर्मचारियों को परिवार पालना मुश्किल हो चुका है।
वजह है कम तनख्वाह, नहीं होता गुजारा
ठेका कंपनियों की मनमानी के चलते किसी भी कर्मचारी को महीनाभर काम नहीं मिलता, इस कारण उनका पूरा वेतन नहीं निकल पाता है। "आपली बस" के कर्मचारियों को महीने में 15-20 दिन ही काम मिल पाता है। न्यूनतम वेतन नियमानुसार 11 हजार 198 रुपए वेतन देने का नियम है, लेकिन नियमानुसार वेतन नहीं दिया जा रहा है। इसके अलावा भविष्यनिधि और अन्य सरकारी कटौतियों के बारे में भी कंपनियों ने खुलासा नहीं किया है। कुछ कंडक्टरों ने बताया कि वर्तमान में उन्हें 9237 रुपए मासिक वेतन दिया जा रहा है। इसमें कटौती के बाद 7500 रुपए मिलता है। यह वेतन 26 दिन काम करने पर ही दिया जाता है, लेकिन किसी को भी 26 दिन काम नहीं मिलता। इस कारण हर एक का वेतन प्रतिमाह 5000 से ऊपर नहीं जाता। ऐसे में कंडक्टरों को अपने परिवारों को पालने की समस्या से दो-चार होना पड़ रहा है।
शुरुआत और सहयोगी कंपनियां
नागपुर महानगर पालिका द्वारा जनसुविधाओं को ध्यान में रखकर चलायी जा रही अनेक योजनाएं ठेका पद्धति से संचालित की जा रही हैं। इन्हीं में से एक है शहर बस सेवा। "आपली बस" नामक यह सेवा 5 दिसंबर 2016 को शुरू की गई है। इससे पहले 2007 में वंश निमय इंफ्राप्रोजेक्ट्स लिमिटेड को यह ठेका दिया गया था। 28 फरवरी 2017 को इसका ठेका खत्म हो गया। इस बीच 2016 में मनपा ने बस संचालन का ठेका 5 नई कंपनियों को दिया। वर्तमान में हंसा ट्रैवल्स, मेसर्स श्यामा श्याम सर्विसेस, मेसर्स ट्रैवल्स टाइम कार रेंटल प्राइवेट लिमिटेड नामक तीन कंपनियां काम देख रही हैं। इनके अलावा यूनिटी सिक्युरिटी फोर्सेस और एसआईएस कंपनी कंडक्टरों की नियुक्ति और उनके व्यवस्थापन को संभाल रही हैं। इन पांचों कंपनियों की निगरानी के लिए दिल्ली इंटीग्रेटेड मल्टीमॉडल टांजिस्ट सिस्टम लिमिटेड को नियुक्त किया गया है। यात्रियों को दी जाने वाली सेवा-सुविधाएं, उनकी समस्या, कर्मचारियों के हित व अहित, नीति-नियम आदि का रिमोट कंट्रोल मनपा के परिवहन विभाग के पास है। इसके बावजूद पांचों कंपनियों की मनमानी के आगे मनपा का कंट्रोल पॉवर फ्यूज हो गया है। परिणामस्वरूप हर दिन सैंकड़ों कर्मचारियों को रोजी-रोटी से वंचित रहना पड़ता है।
Created On :   9 Aug 2017 7:57 PM IST