विधायकों की अयोग्यता पर फैसला फिर टला, 1 अगस्त को होगी अगली सुनवाई  

Decision on disqualification of MLAs postponed again, next hearing on August 1
विधायकों की अयोग्यता पर फैसला फिर टला, 1 अगस्त को होगी अगली सुनवाई  
महाराष्ट्र राजनीतिक संकट विधायकों की अयोग्यता पर फैसला फिर टला, 1 अगस्त को होगी अगली सुनवाई  

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को महाराष्ट्र में राजनीतिक संकट से जुड़ी सभी याचिकाओं पर नोटिस जारी किया और पक्षकारों को इस मामले में एक हफ्ते के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है। मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हेमा कोहली की पीठ ने कहा है कि याचिकाओं में उठाए गए कुछ मुद्दों पर एक बड़ी पीठ द्वारा विचार करने की आवश्यकता हो सकती है। हालांकि, पीठ ने मसले को बड़ी पीठ को भेजे जाने संबंधी कोई आदेश पारित नहीं किया। पीठ ने सुनवाई के दौरान इस सवाल पर विचार किया कि क्या पार्टी में अल्पसंख्यकों को बहुमत से की गई नियुक्तियों को भंग करने का अधिकार है? इस पर निर्णय लेने की आवश्यकता बताते हुए मामले की अगली सुनवाई 1 अगस्त को तय कर दी।

कोर्ट महाराष्ट्र के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे सहित 16 शिवसेना विधायकों की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें विधानसभा के उपाध्यक्ष द्वारा उनके खिलाफ शुरू की गई अयोग्यता कार्यवाही को चुनौती दी गई थी। मामले की सुनवाई में शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दलील रखते हुए कहा कि आधिकारिक व्हिप के विपरीत मतदान करके शिवसेना का कार्य 10वीं अनुसूची का उल्लंघन है। राज्यपाल किसी ऐसे व्यक्ति को शपथ नहीं दिला सकते जिसने लोगों द्वारा चुनी गई पार्टी से खुद को अलग करने की मांग की थी और इस तरह 10वीं अनुसूची के तहत अयोग्य घोषित कर दिया था।

शिवसेना के पूर्व मुख्य सचेतक सुनील प्रभु की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि एक तिहाई विधायक जो मुख्य पार्टी से अलग होते हैं उनको किसी और पार्टी को ज्वाइन करना है या उसके साथ सम्मिलित होना है। यहां पर न बागी विधायकों ने भाजपा ज्वाइन की है और न ही उसमें बागियों की पार्टी का विलय हुआ है। फिर राज्यपाल ने कैसे नई सरकार का गठन कर दिया। ये तो सीधा अयोग्यता का मामला बनाता है। इसके अलावा सिंघवी ने कहा कि ये मोरल, एथिकल और संवैधानिक मामला है जिसे कोर्ट को देखना चाहिए। 

एकनाथ शिंदे की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि यहां अयोग्यता का मामला नहीं बनता। अयोग्यता का नियम पार्टी के अंदर डेमोक्रेसी को खत्म करता है। दलबदल तब आता है जब आप किसी और पार्टी को ज्वाइन करते हैं। यहां क्या हुआ है कि पार्टी की बड़ी संख्या के लोग तत्कालीन सीएम के साथ नहीं थे। वो सीएम को पसंद नहीं करते थे। उन्होंने कोर्ट से कहा कि याचिकाओं पर उनके जवाब के बाद विरुद्ध पार्टी की धारणाएं विफल हो जायेंगी। लिहाजा मामले को एक सप्ताह के लिए स्थगित किया जाए। इसके बाद मुख्य न्यायाधीश ने मामलों को एक शीर्ष बेंच को भेजने की संभावना व्यक्त की और पक्षकारों को याचिकाओं पर जवाब दाखिल करने के लिए कहा और मामला 1 अगस्त तक मुल्तवी किया।

 

Created On :   20 July 2022 9:59 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story