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आरबीआई-सीबीआई और ईडी की निष्पक्षता प्रभावित हुई तो खतरे में पड़ जाएगा लोकतंत्र - हाईकोर्ट
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि यदि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता एकनाथ खडसे को कुछ दिनों के लिए पुणे की एमआईडीसी से जुड़ी जमीन की डील से जुड़े मामले में कड़ी कार्रवाई से सुरक्षा प्रदान की जाती है, तो कौन सा आसमान गिर पड़ेगा। इससे पहले हाईकोर्ट ने कहा कि न्यायपालिका, रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई), सीबीआई व प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) जैसी संस्थाओं को स्वतंत्र व निष्पक्ष रुप से काम करना चाहिए। यदि ये संस्थाएं बिना पक्षपात के काम नहीं करेगी तो यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक हो सकता है। गुरुवार को न्यायमूर्ति एस एस शिंदे व न्यायमूर्ति मनीष पीटले की खंडपीठ ने एकनाथ खडसे की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान यह बात कही। याचिका में खडसे ने ईडी द्वारा खुद के खिलाफ दर्ज मामले को रद्द करने की मांग की है। ईडी ने पिछले साल इस प्रकरण को लेकर खडसे के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
खडसे की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता आबाद पोंडा ने राज्य के राजस्व मंत्री रह चुके खडसे को इस मामले में कड़ी कार्रवाई से संरक्षण प्रदान करने का आग्रह किया। वहीं ईडी की ओर से पैरवी कर रहे एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने कहा कि ईडी याचिकाकर्ता के खिलाफ 25 जनवरी 2021 तक कड़ी कार्रवाई नहीं करेंगी। इस पर खंडपीठ ने कहा कि आखिर ईडी सिर्फ 25 तारीख तक ही क्यों याचिकाकर्ता को संरक्षण दे रही है। ज्यादा दिनों तक राहत देने से आखिर कौन सा आसमान टूट। हम हमेशा इस बात को मानते हैं कि ईडी, सीबीआई, आरबीआई व न्यायपालिक जैसी संस्थानों को स्वतंत्र व बिना किसी पक्षपात के काम करना चाहिए। यदि ये संस्थाएं स्वतंत्र रुप से काम नहीं करेंगी तो यह लोकतंत्र के लिए खतरा साबित हो सकता है।
खडसे ने पिछले साल भारतीय जनता पार्टी को छोड़कर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का दामन थाम लिया था। पिछले दिनों ईडी ने खडसे के खिलाफ समन जारी किया था जिसे बाद खडसे ईडी के सामने हाजिर हुए थे। सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने कहा कि यदि कोई जांच में सहयोग कर रहा है और ईडी के सामने उपस्थित होकर उसके सवालों का जवाब भी दे रहा है तो ऐसे में गिरफ्तारी की जरुरत क्या है। खंडपीठ ने कहा कि इस मामले में याचिकाकर्ता (खडसे) ने ईडी की ओर से जारी समन का सम्मान किया है और जांच में सहयोग किया है। यदि कोई जांच में सहयोग न करे तो बात अलग है।
खडसे ने याचिका में दावा किया है कि साल 2016 में पुणे की विवादित जमीन को उनकी पत्नी व दामाद ने खरीदा था। जबकि ईडी ने दावा किया है कि कई सबूत इस मामले में मनीलांडरिंग के संकेत देते हैं। उन्होंने कहा कि कोर्ट ने इस मामले में क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार नहीं किया है। इसलिए यह मामला अभी भी जारी है।
Created On :   21 Jan 2021 7:27 PM IST