‘साइलेंट किलर’ है डायबिटीज, 7.2 करोड़ हैं पीड़ित, बच्चों को भी घेर रही बीमारी

‘साइलेंट किलर’ है डायबिटीज,  7.2 करोड़ हैं पीड़ित, बच्चों को भी घेर रही बीमारी
‘साइलेंट किलर’ है डायबिटीज, 7.2 करोड़ हैं पीड़ित, बच्चों को भी घेर रही बीमारी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। टीयर टू की श्रेणी में आने वाले नागपुर शहर के बीस से अधिक आयु के 10 से 12 फीसदी लोगाें को टाइप टू डायबिटीज होने का खतरा है। टाइप टू डायबिटीज जीवनशैली से जुड़ी बीमारी है। यही खतरा महानगरों में 15 से 16 फीसदी हो जाता है। यही नहीं, टाइप टू डायबिटीज बच्चों को भी तेजी से गिरफ्त में ले रहा है। फिलहाल डायबिटीज के सौ मरीजों में 4 से 5 बच्चे होते हैं। इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन के अनुसार 7.2 करोड़ डायबिटीज पीड़ितों के कारण भारत डायबिटीज की राजधानी बन चुका है। डायबिटीज जांच का दायरा बढ़ाकर 54 फीसदी लोगों को डायबिटीक होने से बचाया जा सकता है। इसके साथ ही बीमारी की जल्द पहचान होने और उपचार शुरू होने से बाद में होने वाली जटिलाएं भी उसी हद तक कम होती हैं। 

सबसे बड़ी परेशानी यह...देरी से पहचान के कारण उपचार कठिन

सर्वे के अनुसार, नागपुर में टाइप टू डायबिटीज के ज्यादातर मरीजों को कंसल्टिंग डॉक्टर के बताए गए उपचार तरीकों के पालन में परेशानी होती है। 48 फीसदी मरीज भूलने की आदत के कारण दवा लेना भूल जाते हैं। इस तरह के मामलों में बीमारी की देर से पहचान व उपचार प्रमुख कारण है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि शुरुआती स्तर पर लक्षण व परेशानी कम होने के कारण बीमारी से ग्रस्त 54 फीसदी लोगों को पता ही नहीं होता है कि वे डायबिटीज से पीड़ित हैं।

डायबिटीज के साथ आती हैं कई बीमारियां

टाइप टू डायबिटीज के मरीजों के उपचार का प्रबंधन ठीक से नहीं होने पर सेहत से कई अन्य कई बीमारियों का खतरा उत्पन्न हो जाता है। इनमें किडनी फेल्योर, नर्वस डैमेज, अंधापन, हार्ट डिजीज और स्ट्रोक प्रमुख हैं। डायबिटीज के पचास फीसदी मरीजों को हाइपर टेंशन की शिकायत भी होती है। डायबिटीज के मरीजों में 70 फीसदी की मौत हार्ट अटैक या ब्रेन अटैक के कारण होती है। समय पर उपचार शुरू होने पर 85 फीसदी मामलों में पैर को बचाया जा सकता है। इसी तरह आंखों और अन्य समस्याओं को भी कम से कम किया जा सकता है।

Created On :   25 Dec 2019 7:09 AM GMT

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